नयी दिल्ली 14 जनवरी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर आज यहां तीन दिन के प्रतिष्ठित रायसीना संवाद सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में शामिल हुए जिसमें अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक तथा आर्थिक स्थिति पर गहन विचार विमर्श किया जायेगा। विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्रर्वस रिसर्च फाउंडेशन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में सात देशों के पूर्व राष्ट्राध्यक्षों सहित 100 देशों की 700 से अधिक राजनयिक हस्तियां वैश्विकरण, एजेन्डा 2030 , आधुनिक विश्व में प्रौद्योगिकी की भूमिका , जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद से मुकाबले के बारे में अपने विचार रखेंगे। सम्मेलन में 12 देशों के विदेश मंत्री भी शिरकत कर रहे हैं जिनमें रूस और ईरान के मंत्री भी शामिल हैं। श्री जयशंकर ने इस मौके पर कहा कि पांच वर्ष पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि उभरते हुए शक्तिशाली देश के तौर पर भारत को वैश्विक सम्मेलनों में हिस्सेदारी से आगे बढकर अपने ऐसे मंच विकसित करने होंगे जिनमें दुनिया के सभी ज्वलंत मुद्दों पर गहन मंथन किया जा सके। उन्होंने कहा कि पांच वर्ष बाद हम विश्वास के साथ कह सकते हैं कि हम इन अपेक्षाओं पर खरे उतरे हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान इस मंच ने लंबा सफर तय किया है। विदेश मंत्री ने कहा कि रायसीना संवाद पूरी तरह समसामयिक है और इसमें दुनिया के सब कोनों से प्रतिनिधि हिस्सा लेने आये हैं। अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि भारत को अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में और सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न खतरे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके देश पूरी दुनिया में अकेला है जिसका कार्बन सूचकांक न्यूट्रल है। उन्होंने कहा कि अन्य देशों को भी इस दिशा में काम करना चाहिए। उद्घाटन सत्र में अफगानिस्तान, भूटान, कनाडा, डेनमार्क, स्वीडन, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया सात देशों के पूर्व राष्ट्राध्यक्षों ने हिस्सा लिया। अफ्रीका महाद्वीप से 80 प्रतिनिधि भी सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं।
बुधवार, 15 जनवरी 2020
रायसीना संवाद के उद्घाटन सत्र में शामिल हुए मोदी
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