नयी दिल्ली, 09 जनवरी, पूरे देश को दहला देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवं हत्या मामले के चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने गुरुवार को उच्चतम न्यायालय में संशोधन (क्यूरेटिव) याचिका दायर की। विनय ने अपनी याचिका में फांसी नहीं दिये जाने की मांग की है। पटियाला हाउस कोर्ट से पिछले दिनों चारों अपराधियों को फांसी पर लटकाये जाने के लिए मंगलवार को ‘ब्लैक वारंट’ (डेथ वारंट) जारी किये जाने के बाद यह पहली याचिका है। पटियाला हाउस अदालत ने सभी चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने का आदेश दिया था। फैसले के बाद सभी दोषियों ने उच्चतम न्यायालय के समक्ष क्यूरेटिव याचिका दायर करने की बात कही थी। निचली अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कहा था कि अब किसी भी दोषी की कोई भी याचिका किसी भी अदालत में या राष्ट्रपति के समक्ष लंबित नहीं है। सभी दोषियों की पुनर्विचार याचिकाएं शीर्ष अदालत ने खारिज कर दी थी। अभियोजन पक्ष ने अदालत से डेथ वारंट जारी करने का आग्रह करते हुए कहा था, “डेथ वारंट जारी करने और तामील करने की अवधि के बीच दोषी सुधारात्मक याचिका दायर करना चाहते हैं तो कर सकते हैं।” निर्भया के साथ 16 दिसम्बर 2012 को सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसकी बाद में हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें एक नाबालिग आरोपी भी था। उसे तीन साल के लिए सुधारगृह में रखा गया था, जहां से वह रिहा हो चुका है। एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगा ली थी, जबकि शेष चार आरोपियों-विनय, पवन गुप्ता, मुकेश कुमार एवं अक्षय कुमार को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनायी गयी थी, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने सही ठहराया है।
गुरुवार, 9 जनवरी 2020
निर्भया कांड पर विनय ने दायर की संशोधन याचिका
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