हैदराबाद, 09 जनवरी, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने गुरूवार को उम्मीद जताई कि 2022 में देश की आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मनाये जाने के पहले राजनीति में धन की ताकत के इस्तेमाल को रोकने के लिए प्रभावी उपाय कर लिये जाएंगे। श्री नायडू ने गुरुवार को हैदराबाद में, हैदराबाद विश्वविद्यालय, भारत इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी तथा फाउंडेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से ‘मनी पॉवर इन पॉलीटिक्स’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने मतदाताओं को लुभाने के लिए राजनीतिक दलों और सरकारों द्वारा पैसे के बेलगाम खर्च के कारणों और परिणामों पर विस्तार से चर्चा करते हुए लोगों से अपील की कि वे चरित्र, स्वभाव, क्षमता और योग्यता के आधार पर अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करें। उपराष्ट्रपति ने राजनीतिक दलों के भारी चुनावी खर्च और सरकारों के लो लुभावन खर्चों के खिलाफ प्रभावी कानून बनाने का आह्वान किया और पैसे की बढ़ती ताकत से लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीति की घटती विश्वसनीयता पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने साथ चुनाव कराए जाने के कई फायदों को ध्यान में रखते हुए इस पर गंभीरता से विचार करने पर जोर देते हुए कहा कि आज सच्चाई यह है कि कम आमदनी वाले किसी ईमानदार और अधिक योग्य भारतीय नागरिक की कीमत पर किसी लखपति के पास सांसद या विधायक बनने के मौके ज्यादा हैं। उन्होंने इस संदर्भ में मौजूदा लोकसभा के 475 सांसदों की जांच में पायी गयी करोड़ों रूपए की संपत्ति का जिक्र करते हुए कहा कि यह 533 सांसदों की कुल संपत्ति का 88 प्रतिशत है। श्री नायडू ने कहा, “ देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक की दो भयावह विकृतियों का समाधान राजनीतिक व्यवस्था द्वारा तत्काल किए जाने की जरूरत है। इसमें पहला चुनाव और राजनीति में बेहिसाब पैसे की ताकत का दुरुपयोग है जो अक्सर अवैध और गैर कानूनी होता है, और दूसरा बुनियादी सुविधाओं, बुनियादी ढांचे, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल, विकास और नौकरी के अवसरों को सुनिश्चित करने के दीर्घकालिक लक्ष्यों का प्रचार कर अल्पकालिक लाभ पाने के लिए सरकारों द्वारा मतदाताओं को लुभाने की बढ़ती कोशिश है।’
गुरुवार, 9 जनवरी 2020
राजनीति में धन बल की ताकत के इस्तेमाल को रोका जाए : नायडू
Tags
# देश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
देश
Labels:
देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें