नयी दिल्ली, 08 जनवरी, कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद की स्थिति को लेकर सवाल किया है कि विपक्ष के नेताओं को वहां जाने की इजाजत नहीं है लेकिन विदेशी सांसदों तथा राजनयिकों का वहां भ्रमण कराया जा रहा है, सरकार को इसका औचित्य बताना चाहिए। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा कि खबरों में कहा जा रहा है कि जम्मू कश्मीर की स्थिति की जानकारी देने के लिए कई देशों के राजदूतों को वहां का भ्रमण कराया जाएगा। यह हैरानी की बात है कि सरकार विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद को अपने ही गृह राज्य जाने से रोकती है और इस अधिकार के लिए उन्हें न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी को वहां जाने की अनुमति नहीं दी जाती है लेकिन दुनिया को बताया जा रहा है कि जम्मू कश्मीर में स्थिति ठीक है। यह संदेश दुनिया को देने के लिए विदेशी सांसदों को अंतरराष्ट्रीय दलाल की मदद वहां ले जाया जाता है और यह संदेश देने का प्रयास किया जाता है कि वहां सबकुछ ठीक है लेकिन अपने देश के सांसदों को वहां नहीं जाने दिया जाता है। प्रवक्ता ने कहा कि सरकार को बताना चाहिए कि वहां विदेशी सांसदों तथा राजनयिकों को क्यों बुलाया जा रहा है। उन्हें जम्मू कश्मीर का दौरा करने की सरकार की क्या मजबूरी है कि वह विदेशी सांसदों को कश्मीर ले जाकर यह जानकारी देने का प्रयास कर रही है कि वहां सब ठीक है। सरकार इस मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण क्यों कर रही है इसका खुलासा किया जाना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि वहां सब कुछ ठीक है तो राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को 157 दिनों से ज्यादा समय से नजरबंद करके क्यों रखा गया है। धारा 370 हटाने की घोषणा के बाद देश के गृहमंत्री से जब संसद में पूछा गया था कि नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुला सदन में नहीं आ रहे हैं तो उनका जवाब था कि उनकी कनपट्टी पर बंदूक रखकर उन्हें सदन में नहीं लाया जा सकता, जबकि असलियत यह थी कि उन्हें हिरासत में रखा गया था और गृह मंत्री ने संसद में झूठ बोला था।
बुधवार, 8 जनवरी 2020
कांग्रेस ने पूछा कश्मीर में विदेशी राजनयिक ले जाने का औचित्य
Tags
# देश
# राजनीति
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
राजनीति
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें