आज सुबह अनिरुद्ध प्रसाद दुनिया को अलविदा कह गए पर उनकी आंखों से कल बिहार के दो नेत्रहीनों को दुनिया को पहली बार देखने का मौका मिलेगा
पटना,17 फरवरी। नेत्रदान है दिव्य दान।इसे साकार कर दिखाया है पटना के 76 वर्षीय श्री अनिरुद्ध प्रसाद। आज अनिरुद्ध प्रसाद जी मर कर भी अमर हो गए। इस बात की जानकारी देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता बमबम लाल ने कहा कि समाजसेवी और रक्तवीर प्रियदर्शी जी ने अपने पिता की दोनों आँखों को दानकर समाज को समर्पित कर दी। आज सुबह अनिरुद्ध प्रसाद दुनिया को अलविदा कह गए पर उनकी आंखों से कल बिहार के दो नेत्रहीनों को दुनिया को पहली बार देखने का मौका मिलेगा।नेत्रदान जैसे पुनीत कार्य को अंजाम देने और समाज को एक नयी रौशनी देने वाले पूरे परिवार के सेवा भाव को शत शत नमन हैं। IGIMS Eye Bank की तरफ से डॉ परमवीर जी ,मारुति नंदन जी और रश्मि जी ने नेत्रदान की प्रक्रिया कार्य को पूरा किया। बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी हैं दधिची देह दान समिति के संरक्षक। कहते है कि भारत तप, त्याग और बलिदान का देश रहा है और यहाँ के अनेक महापुरूषों ने सत्य की रक्षा व परोपकार के लिए अपना सर्वस्व दान कर दिया है। इन दानवीर मनीषियों में महर्षि दधीचि अन्यतम हैं जिन्होंने देवताओं द्वारा मांगे जाने पर अपना शरीर सहर्ष दान कर दिया ताकि देवासुर संग्राम में दानवों को हराने हेतु उनकी हड्डियों से बज्र नामक अजेय शस्त्र बनाया जा सके। आगे कहते हैं कि हमारे देह की नश्वरता सर्वविदित है। पाँच तत्वों से निर्मित यह शरीर अपनी आयु पूरी करने के बाद मृत हो जाता है, किन्तु इसके बाद भी हम अपने शरीर और इसके विभिन्न अंगों को दान करके एवं अनेक जरूरतमंद लोगों की जान बचाकर इसकी उपयोगिता सिद्ध कर सकते हैं। हृदय, किडनी, यकृत आदि को देकर जहाँ अनेक लागों के जीवन की रक्षा हो सकती है, वहीं हमारी आँखें लोगों को नई ज्योति प्रदान कर सकती हैं।अतः दधिची देह दान समिति, पटना आपसे विनम्र अपील करती है कि मृत्यु के उपरांत आप अपने देह और चक्षुओं को दान करने का महान संकल्प लें ताकि जरूरतमंद लोगों को नई जिन्दगी मिल सके, क्योंकि ‘‘परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर‘‘।आइये दधिची देह दान समिति की मुहिम का हिस्सा बने ।
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