नयी दिल्ली, 15 फरवरी, रियो ओलंपिक में पहलवान नरसिंह यादव के विवादास्पद डोप प्रकरण से सबक लेते हुए राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) ने फैसला किया है कि इस साल टोक्यो ओलंपिक में वही खिलाड़ी उतर पाएंगे जो तीन डोप टेस्ट पास करेंगे।नाडा के महानिदेशक नवीन अग्रवाल ने यूनीवार्ता के साथ विशेष बातचीत में कहा,“ओलंपिक के जो संभावित खिलाड़ी हैं और जो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं उन्हें तीन बार डोप टेस्ट से गुजरना होगा। यानि उन्हें ओलंपिक जाने से पहले तीन डोप टेस्ट पास करने होंगे।”अग्रवाल ने कहा,“अभी तक कई खिलाड़ियों का एक टेस्ट हो चुका है और कई का दो बार डोप टेस्ट हो चुका है। लगभग सभी डोप टेस्ट ठीक रहे हैं। दो-तीन मामले पॉजिटिव आए हैं तो उन्हें ओलंपिक सूची से बाहर कर दिया गया है।” उन्होंने कहा,“हमारी इस बार पुरजोर कोशिश है कि ओलंपिक में भारत की साफ-सुथरी टीम जाए। ओलंपिक में कोई ऐसा खिलाड़ी ना पहुंचे जो देश की छवि को खराब करे।” उल्लेखनीय है कि चार साल पहले 2016 मेें रियो ओलंपिक से पहले पहलवान नरसिंह का डोपिंग का विवाद सामने आया था। हालांकि उन्हें भारत में क्लीन चिट मिली लेकिन रियो पहुंचने के बाद विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) के टेस्ट में वह दोषी पाए गए और वाडा ने उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया। डोप टेस्ट मामले में खिलाड़ियों से सहयोग के बारे में पूछे जाने पर अग्रवाल ने कहा,“खिलाड़ियों की तरफ से हमें पूरा सहयोग मिल रहा है। उसमें कोई रुकावट नहीं है। जो खिलाड़ी ओलंपिक जा रहे हैं वह पूरा सहयोग दे रहे हैं। उन्हें मालूम है कि यदि उन्होंने सहयोग नहीं दिया तो वह डोप उल्लंघन मामले में फंस जाएंगे।” अग्रवाल ने साथ ही कहा कि डोप टेस्ट व्यक्तिगत खिलाड़ियों के साथ-साथ टीम खेलों के खिलाड़ियों पर भी लागू है और सभी का परीक्षण किया जा रहा है और खिलाड़ी तीनों टेस्ट पास होने की सूरत में ही टोक्यो ओलंपिक में उतर पाएंगे। यह पूछने पर कि ओलंपिक दल के साथ नाडा के कितने अधिकारी जाएंगे, उन्होंने कहा,“हमारी तैयारी पूरी है और यह भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) तथा सरकार पर निर्भर करता है कि भारतीय दल के साथ नाडा की कितनी टीम जाए। वैसे हमने अपनी तैयारी पूरी कर रखी है।” डोपिंग को रोकने को लेकर अग्रवाल ने कहा,“नाडा हमेशा कड़े कदम उठाता है और हम अपनी व्यवस्था में लगातार सुधार कर रहे हैं ताकि कोई खिलाड़ी डोपिंग से बच ना सके। लेकिन फिर भी कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिन्हें लगता है कि हार जाएंगे तो डोप लेने में क्या हर्ज है। लेकिन ऐसे खिलाड़ियों की संख्या बहुत मामूली है और हमारे 95 फीसदी से ज्यादा टेस्ट साफ-सुथरे होते हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि टोक्यो ओलंपिक से पहले भारतीय खिलाड़ियों के देश से बाहर जितने भी कैंप लगेंगे वहां पर खिलाड़ियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी ताकि वह किसी भी तरह की डोपिंग में शामिल ना हो सकें। अग्रवाल ने साथ ही कहा कि देश में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी खिलाड़ियों के टेस्ट लिए जाते हैं और दोषी खिलाड़ियों पर सख्त कार्रवाई की जाती है। पिछले खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 12 खिलाड़ी पकड़े गए थे जबकि इस बार गुवाहाटी में हुए खेलों के डोप टेस्ट के परिणाम आने बाकी हैं। उन्होंने बताया कि 2019 में डोप उल्लंघन करने वाले 157 खिलाड़ियों को नाडा ने खोजा था जिनमें से 147 खिलाड़ियों को सजा सुनायी गयी थी। पिछले वर्ष 4236 खिलाड़ियों के डोप टेस्ट किए गए। उन्होंने बताया कि 2020 में जनवरी महीने में ही 501 डोप टेस्ट किए गए जिसमें 35 रक्त नमूने शामिल हैं। डोपिंग उल्लंघन के लिए भारोत्तोलक गुलाम नवी और शॉटपुट एथलीट परमजीत सिंह को निलंबित कर दिया गया है। नाडा के महानिदेशक ने कहा,“हम खिलाड़ियों को यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि वो डोप टेस्ट को लेकर किसी भी तरह के भ्रम में ना रहें। नाडा किसी भी प्रतियोगिता में या कहीं पर खिलाड़ियों का डोप टेस्ट लेता है तो उसे जांच के लिए कतर स्थित वाडा की प्रयोगशाला में भेजा जाता है। कोई यह ना सोचे कि चलो टेस्ट ले लिया है तो क्या फर्क पड़ेगा, कहां जांच कराएंगे। यह सोच निचले स्तर पर खिलाड़ियों के बीच है। हम जो भी टेस्ट लेते हैं उसे कतर भेजा जाता है और इसकी जानकारी हमें वाडा को देनी होती है।”
शनिवार, 15 फ़रवरी 2020
तीन डोप टेस्ट पास करने के बाद टोक्यो पहुंचेंगे भारतीय खिलाड़ी
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