बिहार : 23 फरवरी के भारत बंद को माले का समर्थन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

बिहार : 23 फरवरी के भारत बंद को माले का समर्थन

  • 25 फरवरी को ऐतिहासिक होगा बिहार विधानसभा मार्च
  • एनपीआर पर रोक लगाओ, संविधान-आरक्षण पर हमला नहीं सहेंगे.

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पटना 21 फरवरी (आर्यावर्त संवाददाता) भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फैसले में प्रमोशन में आरक्षण के अधिकार से इंकार कर दिया है. यह सीधे-सीधे दलित व वंचित समुदाय के लोगों के अधिकारों पर हमला है. इसके खिलाफ आगामी 23 फरवरी को आहूत भारत बंद का हमारी पार्टी समर्थन करती है और केंद्र सरकार से इस मसले पर अविलंब अध्यादेश लाने की मांग करती है. उन्होंने आगे कहा कि दलितों व समाज के कमजोर वर्ग के लोगों पर आज चैतरफा हमला हो रहा है. एनपीआर-एनआरसी की सर्वाधिक मार इन्हीं लोगों पर पड़ने वाली है. दूसरी ओर, मोदी सरकार द्वारा श्रम सुधार के नाम पर जो 4 कोड लाए गए हैं, उनकी मार चतुर्थवर्ग कर्मचारियों पर दिखने लगी है.  अभी हाल में बिहार में नीतीश-भाजपा की सरकार द्वारा सफाई मजदूरों के आउटसोर्स के तहत काम करने का निर्णय लिया गया. यह सफाई मजदूरों की रोजी-रोटी और आजीविका के अधिकार पर सीधा हमला है. यह सफाई मजदूरों को निजी मालिकों का गुलाम बना देने की साजिश है. नीतीश-भाजपा सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग ने राज्य के सभी 143 नगर निगम, निकाय के सफाई मजदूरों सहित ग्रुप डी के सभी स्थाई सृजित पदों को समाप्त कर दिया. अब सफाई कार्य को आउटसोर्सिंग के माध्यम से एजेंसियों व निजी कंपनियों करांएगी. इसके खिलाफ विगत दिनों लंबी हड़ताल चली. उसी तरह से केंद्र सरकार लगातार दलित-पिछड़े समुदाय के छात्रों के अधिकारों पर भी लगातार हमला कर रही है और शैक्षणिक संस्थानों में भी आरक्षण को कमजोर किया जा रहा है. 23 फरवरी के भारत बंद के बाद 25 फरवरी को पटना में एक बार फिर हजारों की संख्या में दलित-गरीबों व अकलियत समुदाय के लोगों का जुटान होगा. विधानसभा मार्च के दौरान हम बिहार विधानसभा से एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने की मांग के साथ-साथ आरक्षण व जल-जीवन-हरियाली के नाम पर दलित-गरीबों को उजाड़ने के सवाल को भी प्रमुखता से उठाएंगे.

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