मधुबनी : वैदेही सांस्कृतिक परिक्रमा फुलहैर और अहल्या स्थान में आयोजित - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 26 फ़रवरी 2020

मधुबनी : वैदेही सांस्कृतिक परिक्रमा फुलहैर और अहल्या स्थान में आयोजित

  • गौतम ऋषि कुंड, कलना, मटिहानी  और बिसोल को भी रामायण सर्किट में शामिल करे सरकार – प्रो. भारती
  • मिथिला की रामायण संस्कृति को अंतर्राष्ट्रीय स्तर लोकप्रिय करने की पहल 
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मधुबनी (रजनीश के झा) बटोही तथा 'रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय' सहरसा द्वारा वैदेही परिक्रमा का आयोजन  22 फरवरी  से 2 अप्रैल, 2020 के बीच राम कथा से जुड़े बिहार के विभिन्न स्थानों पर किया जा रहा है। परिक्रमा का आरंभ 22 फरवरी, 2020 को राजा दशरथ के लिए पुत्रेष्ठि यज्ञ स्थल तथा ऋषि शृंग के आश्रम सिंहेश्वर स्थान से हुआ। 24 फरवरी को परिक्रमा दल ने अहल्या स्थान (दरभंगा) तथा फुलहैर (मधुबनी) में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उल्लेखों तथा साक्ष्यों के अनुसार राम ने मिथिला यात्रा के क्रम अहल्या उद्धार किया था, यही स्थल दरभंगा जिले के अहियारी गाँवमें अहल्या स्थान के नाम से प्रसिद्ध है। फूलहैर में राजा जनक की फुलवारी थी, जहाँ सीता ने राम को पहली वार देखा था। पश्चिम बंगाल से आये पुरुलिया छऊ के कलाकारों ने विशाल गौड़ के नेतृत्व में धुनुष भंजन और तारका वद्ध की प्रस्तुति की। असम के विश्वनाथ ने राम विजय नृत्य नाटिका तथा सहरसा के बिन्दु दास ने नारदी शैली में रामकथा का गायन प्रस्तुत किया। स्थानीय कलाकारों में रामदास मटिहानी अखाड़े के साधुओं ने राम भजन का गायन किया।

'रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय के संयोजक तथा फ़िजी में भारत पूर्व सांस्कृतिक राजनयिक एवं महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के प्रदर्शनकारी कला विभाग के प्रो. (डॉ.) ओम प्रकाश भारती ने उद्घाटनीय उदबोधन में  कहा कि रामकथा तथा रामायण से जुड़े कई सांस्कृतिक धरोहर के स्थल बिहार में है। मिथिला की कला, संस्कृति और साहित्य में व्याप्त रामकथा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्रदान करने तथा राम कथा से जुड़े ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक स्थलों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने हेतु वैदेही परिक्रमा का आयोजन किया जा रहा है। प्रो. भारती ने आगे कहा की सरकार द्वारा अहल्या स्थान और फूलहैर को रामायण सर्किट में शामिल कर उनका विकास किया जा रहा है। गौतम ऋषि कुंड,  कलना, मटिहानी  और बिसोल भी राम कथा से जुड़े महत्वपूर्ण स्थल है, सरकार इन स्थलों को भी  रामायण सर्किट में शामिल करें, इसके लिए रामायण कला संग्रहालय' द्वारा पहल की जा रही है। रामायण सर्किट को लोकप्रिय बनाने और पर्यटक के आकर्षण हेतु  सहरसा में द्वारा एक 'रामायण अंतरराष्ट्रीय कला संग्रहालय' का निर्माण किया जा रहा है । इस संग्रहालय में इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, थाईलैंड, श्रीलंका, फिजी, नेपाल, सूरीनाम तथा मॉरीशस से संगृहीत राम कथा से संबंधित कला वस्तुएं प्रदर्शित की जाएगी। साथ ही संग्रहालय द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर शोध तथा प्रलेखन केंद्र स्थापित भी किया जायेगा। मिथिला सीता की जन्मभूमि है। यहां की लोक परम्पराओं में रामकथा की व्याप्ति हैं। रमखैलिया, लभहैर - कुसहैर, रासधारी तथा मिथिला चित्र राम कथा को अभिव्यक्त करने महत्वपूर्ण कला रूप हैं।  इन सभी कला रूपों को संग्रहालय में संरक्षित रखा जाएगा।

महोत्सव के संयोजक तथा बटोही के सचिव डॉ. महेंद्र कुमार ने कहा कि इसके आगे परिक्रमा पुनौरा धाम (सीता जन्म स्थली, सीतामढ़ी), हलेश्वर स्थान (सीतामढ़ी), पंथ पाखर(सीतामढ़ी), चंकी गढ़ (पश्चिम चंपारण ), बाल्मीकी नगर (पश्चिम चंपारण), सीता कुंड (मुंगेर), राम चौरा(वैशाली), रामरेखा घाट (बक्सर), तार (भोजपुर), गिद्धौर(जमुई) तथा आदि स्थलों  से होते हुए 2 अप्रैल को  जनकपुर धाम (नेपाल) में समापन समारोह होगा। परिक्रमा के दौरान सभी स्थलों पर रामकथा से जुड़े कला रूपों की प्रस्तुति होगी। साथ ही ‘मिथिला में राम कथा की परम्परा’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की जा रही है। परिक्रमा जत्था के साथ एक विशिष्ट शोध दल होगा, जो लोक  जीवन में प्रचलित रामकथा के विभिन्न रूपों को संकलित कर रही है । कार्यक्रम का संचालन राकेश कुमार सिंह तथा अविनव कुमार ने किया।  

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