पटना,03 फरवरी। आज पटना नगर निगम के आंदोलनकारी कूड़ा-कर्कट को लेकर राजधानी के दिल फ्रेजर रोड पहुंचे। यहां पर आकर कूड़ा-कर्कट को प्रसार कर आंदोलन की शुरूआत कर दिए।पटना नगर निगम स्टाफ यूनियन 21 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल पर है। नगर विकास विभाग ने 31 मार्च तक समय देने को कहा है कि मगर इसे अस्वीकार कर दिया गया है।कंकड़बाग अंचल कार्यालय के समक्ष कार्यालय राह पर टायर जलाकर राह अवरूद्ध किया गया।
पटना नगर निगम के सफाई कर्मियों की हड़ताल
आज से बेमियादी हड़ताल शुरू हो गई है निगम के सफाई कर्मी के एक गुट आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। बता दें कि पटना नगर निगम में नूतन राजधानी अंचल,पाटलिपुत्र अंचल,पटना सिटी अंचल, अजीमाबाद अंचल, कंकड़बाग अंचल, एवं बांकीपुर अंचल 6 अंचल है। इन अंचलों में कार्यरत दैनिक मजदूरों की सेवा पर रोक लगाने के सरकार के फैसले का विरोध करते हुए सफाई कर्मियों ने हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था। नगर विकास विभाग की तरफ से राज्य भर के नगर निकायों में 1 फरवरी से ग्रुप डी की सेवा दैनिक मजदूरों से लेने पर रोक लगा दी गई थी। निगम के सफाई कर्मी सरकार के इसी फैसले का विरोध कर रहे हैं।
सफाई कर्मियों ने आज निगम मुख्यालय का घेराव किया
पटना नगर निगम स्टाफ यूनियन के महासचिव नदंकिशोर दास ने कहा कि सुबह से ही सभी अंचल में हड़ताल जारी है। जो दैनिक मजदूरों को स्थायी करने के समय तक जारी रहेगा। यूनियन ने कहा है कि दैनिक मजदूरों के हटाने का फैसला सरकार ने गलत तरीके से किया है।इस फैसले के खिलाफ यूनियन अपना संघर्ष जारी रखेगा। यूनियन ने कहा कि इसके पहले भी सफाई कर्मियों की हड़ताल बकाए वेतन सहित 21 सूत्री मांगों को लेकर थी। चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ के बैनर तले पांच हजार सफाई कर्मियों ने हड़ताल किया था, जिसको बाद में उन्हें स्थगित करना पड़ गया था। हालांकि हड़ताल से राजधानी की साफ-सफाई पर व्यापक असर पड़ना शुरू हो गया है।
पूर्व घोषित आंदोलनात्मक कार्यवाही के अनुसार ही
बेमियादी हड़ताल के कारण शहर की सफाई व्यवस्था सोमवार से ठप कर दी गयी है। नगर निगम के सभी दैनिक वेतनभोगी सफाई कर्मी सोमवार से हड़ताल पर हैं। दैनिक कर्मियों ने नगर विकास विभाग के उस आदेश को वापस लेने की मांग की है, जिसमें एक फरवरी से सभी दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को कार्य से हटा दिया गया है।पटना नगर निगम में दैनिक वेतन भोगी मजदूर करीब 4500 हैं। वहीं आउटसोर्सिंग पर करीब 1500 मजदूर सफाई का कार्य करते हैं। ऐसे में सभी संगठनों ने विभागीय आदेश को वापस लेने की मांग की है। पटना नगर निगम चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ ने रविवार को आम सभा कर कहा था कि जबतक मांगें मानी नहीं जाती है, तबतक हड़ताल जारी रहेगी। संघ के महासचिव नंद किशोर दास ने बताया कि हड़ताल में निगम के स्थायी सफाई कर्मी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आज सोमवार को सभी अंचल कार्यालयों का घेराव किया गया। मौर्यालोक परिसर स्थित निगम मुख्यालय पर प्रदर्शन किया गया।
रविवार को सफाईकर्मियों ने किया कार्य का बहिष्कार
हड़ताल पर जाने से शहर की सफाई का काम पूरी तरह से बाधित रहा। इसके लिए नगर निगम प्रशासन जिम्मेवार है। राज्य भर के नगर निगम, नगर परिषद, नगर पंचायतों के हजारों मजदूरों ने एकजुट होकर आंदोलन शुरू कर दिया है। दैनिक कर्मियों का कहना है कि विभागीय मंत्री ने 10 वर्षों से कार्यरत मजदूरों को स्थायी करने का आदेश दिया था। वहीं अब विभाग के सचिव ने दैनिक मजदूरों को हटाने के आदेश दिए हैं। ऐसे में दैनिक मजदूरों के समक्ष भुखमरी की स्थिति बन जाएगी। संघ के अध्यक्ष बिंदेश्वरी सिंह, डॉ. अशोक प्रभाकर आदि शामिल थे। वहीं, रविवार को बिहार लोकल बॉडिज फेडरेशन की बैठक की गई। बैठक की अध्यक्षता शिवबचन शर्मा ने की, जिसमें निर्णय लिया गया कि 18 फरवरी को मुख्यमंत्री के समक्ष राज्य स्तरीय प्रदर्शन किया जाएगा।
हड़ताल का असर शहर में देखने को मिलने लगा
आज फिर से हड़ताल पर हैं।दैनिक मजदूरों की सेवा पर रोक लगाने के सरकार के फैसले का विरोध करते हुए सफाई कर्मियों हड़ताल पर गए हैं।हड़ताल का असर शहर में देखने को मिल रहा है।शहर के कई इलाकों में कचरा का ढेड़ लग गया है। पटना का एक्जीविशन रोड कचरों से पट गया है। कंकड़बाग, मीठापुर, राजेन्द्र नगर, कदमकुआं, भिखना पहाड़ी, बोरिंग रोड,दीघा,कुर्जी,मैनपुरा आदि इलाकों का यही हाल है।नगर विकास विभाग की तरफ से राज्य भर के नगर निकायों में 1 फरवरी से ग्रुप डी की सेवा दैनिक मजदूरों से लेने पर रोक लगा दी गई थी। जिसका निगम के सफाई कर्मी विरोध कर रहे हैं। इससे साफ़- सफाई को लेकर लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
21 सूत्री मांगों को लेकर हड़ताल
इसके पहले सफाई कर्मियों की हड़ताल बकाए वेतन सहित 21 सूत्री मांगों को लेकर थी। चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी संघ के बैनर तले पांच हजार सफाई कर्मियों ने हड़ताल किया था, जिसको बाद में उन्हें स्थगित करना पड़ गया था।सफाई कर्मियों ने आज निगम मुख्यालय का घेराव किया। नगर निगम स्टाफ यूनियन ने कहा है कि दैनिक मजदूरों के हटाने का फैसला सरकार में गलत तरीके से किया है। इस फैसले के खिलाफ यूनियन अपना संघर्ष जारी रखेगा। वहीं, मेयर सीता साहू भी सरकार के इस फैसले के विरोध में है और इसके खिलाफ हैं. सीता साहू ने कहा है कि विभाग का यह कदम असंवैधानिक है। सीता साहू ने कहा है कि अगर सरकार को ऐसा कोई फैसला लेना है तो बिहार के सभी नगर निकायों के जनप्रतिनिधियों को बुलाकर बातचीत करनी चाहिए थी।
लोकायुक्त के निर्णय पर मेयर ने जताया अफसोस
महापौर सीता साहू ने लोकायुक्त के निर्णय को लागू करने पर अफसोस जताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकायुक्त कोर्ट में कई तथ्यों को छुपाकर गुमराह करने का प्रयास किया गया। इस संबंध में निगम अपना पक्ष रखेगा। निगम में दस सालों से अधिक समय से काम कर रहे दैनिक कर्मियों की सेवा को नियमित करने की भी प्रक्रिया चल रही है, जो कर्मचारियों का अधिकार है। जून 2018 में नगर विकास विभाग के पत्र के आधार पर निगम क्षेत्र में आउटसोर्सिंग एजेंसियों से कर्मचारी से काम लिया जा रहा है। बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 की धारा में यह स्पष्ट है कि निगम व निकाय में कोटि ग और कोटि घ की नियुक्ति मुख्य नगर पालिका पदाधिकारी शक्ति प्रदत्त सशक्त स्थायी समिति से अनुमोदन प्राप्त करके कर सकते हैं। सरकार केवल कोटि क व कोटि ख के पदों पर नियुक्ति कर सकती है।
स्वायत्तता छीनने का प्रयास : मेयर
मेयर सीता साहू ने निगम की स्वायत्तता छीनने का आरोप भी लगाया। उन्होंने सवाल किया कि कैसे बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 में दिए गए प्रावधानों को एक-एक कर संकल्प के माध्यम से समाप्त किया जा रहा है। यह नगर निगम और नगर निकाय के स्वायत्तता को छीनने का कुत्सित प्रयास है। मेयर ने कहा कि किसी भी अधिनियम को नियम बनाकर समाप्त नहीं किया जा सकता है। यह असंवैधानिक होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें