वाराणसी, 09 फरवरी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने रविवार को शिरोमणी गुरु रविदास जयंती पर उनके जन्म स्थल मंदिर में मत्था टेका, आम श्रद्धालुओं के साथ जमीन पर बैठकर लंगर चखा एवं तरह खुद बर्तन धोया और जन्मोत्सव को संबोधित करते हुए कहा कि महान संत शिरोमणी रविदास जी महाराज ने हमे इंसान की बराबरी, भाईचारा और मेहनत की इज्जत करना सिखाया। श्रीमती वाड्रा ने 14वीं शताब्दी के महान संत की 643वीं जयंती पर देश-विदेश से आये हजारों श्रद्धालुओं को अपने संक्षिप्त संबोधन में उन्होंने कहा कि जगत पितामा, साहिबे कमाल, सदगुरु श्री रविदास जी महाराज की चौखट पर मत्था टेकना उनके (प्रियंका गांधी वाड्रा) लिए बहुत बड़ा सौभाग्य है। श्रीमती वाड्रा ने संत रविदास जी की सोच को भारत की आत्मा बताते हुए कहा कि जिस प्रकार से उन्होंने (रविदास जी) भेदभाव रहित समाज का संदेश दिया, उसी प्रकार हमारे संविधान में भेदभाव नहीं करने पर जोर दिया गया है। हमें उनकी वाणी से सीख लेनी चाहिए। उन्होंने ने महान संतों से सीख लेने की नसीहत देते हुए कहा, “संत कबीर एवं संत रविदास ने हम सब को अपनी वाणी एवं संदेश से इंसान की बराबरी, भाईचारा और मेहतन की इज्जत करना सिखाया।” कांग्रेस महासचिव ने वाराणसी के बाबतपुर हवाई अड्डा पहुंचने के बाद सीधे काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) इलाके में स्थित सीरगोवर्धनपुर के संत रविदास मंदिर पहुंचीं, जहां पारंपरिक तरीके से उन्होंने दर्शन कर मत्था टेका और गुरु का आशीर्वाद लिया। अन्य श्रद्धालुओं के साथ जमीन पर पंगत में बैठकर लंगर (प्रसाद) चखा। श्रीमती वाड्रॉ मत्था टेकने के बाद जन्म जयंती समारोह स्थल पहुंचीं, जहां मंच पर गद्दीनशीन संत निरंजन दास की चरणों में नीचे अन्य श्रद्धालुओं की तरह बैठीं और मंच संचालक के आमंत्रण पर लोगों को संबोधित किया। कांग्रेस महासचिव ने मंदिर से करीब पांच-छह सौ मीटर की दूरी पर स्थित समारोह स्थल कार से पहुंचने के दौरान सड़क किनारे एवं आसपास की मकानों उन्हें देखने खड़े हजारों लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया तथा उनका अभिवादन स्वीकार किया। कार्यक्रम के बाद वह अपने निर्धारित कार्यक्रम से थोड़ा विलंब से विमान से दिल्ली के लिए रवाना हो गईं। श्रीमती वाड्रा ने प्रचीन धार्मिक नगरी पहुंचने से पहले अपने ‘ट्यूटर हैंडल’ से संत श्री गुरु रविदास को उनके जन्मदिन पर नमन करते हुए यहां आने की जानकारी देते हुए लोगों को बधाईयां दीं थी। उन्होंने लिखा, ‘‘ऐसा चाहूँ राज मैं, जहां मिले सबन को अन्न। छोट-बड़ों सब सम बसै, रैदास रहे प्रसन्न।’’ “जगत पितामा, साहिबे कमाल, सदगुरु श्री रविदास जी महाराज की जयंती की आप सबको लख-लख बधाइयाँ।” आगे उन्होंने लिखा, “संत शिरोमणि गुरु रविदास जन्म स्थान मंदिर की चौखट पर मत्था टेकने आज बनारस में रहूँगी।” श्री वाड्रा के अपने निर्धारित कार्यक्रम पर अपराह्न करीब सवा 12 बजे वाराणसी में बाबतपुर के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पहुंचने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व विधायक अजय राय, पार्टी के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष राजेश्वर सिंह पटेल, नगर अध्यक्ष राधवेंद्र चौबे समेत सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने उनका गर्मजोशी के साथ अपने नेता का स्वागत किया। मान्यता है कि श्री गुरु संत रविदास का जन्म करीब साढ़े छह सौ साल पहले माघी पूर्णिमा के दिन वाराणसी के सीरगोवर्धनपुर गांव में हुआ था। उनके मंदिर एवं आसपास के इलाकों को भव्य तरीके सजाया गया है। उनकी भव्य जयंती मनायी जा रही है। समारोह में भाग लेने देश-विदेश से लाखों लोग आये हुए हैं। श्री जंयती समारोह में भाग लेने पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तराखंड समेत कई राज्यों के अलावा अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन समेत अनेक देशों में रह रहे प्रवासी भारतीय भी आये हुए हैं। गौतलब है कि गत 10 जनवरी को श्रीमती वाड्रा कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संविधान (संशोधन) विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किये गए लोगों से मुलाकात करने आयी थीं, तभी राजघाट इलाके में स्थित संत रविदास मंदिर में मत्था टेका था।
सोमवार, 10 फ़रवरी 2020
संत रविदास ने बराबरी, भाईचारा एवं मेहनत की इज्जत करना : प्रियंका गाँधी
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