23 फरवरी, 1961 के दिन बिहार विधानसभा में 1961-62 के बजट प्रस्ताव पर बहस हो रही थी।59साल का समय, कितनी सरकारें आईं और गई मगर यह दोनों काम अभी तक पूरे नहीं हुए।
पटना, 05 फरवरी। बाढ़ मुक्ति अभियान के पूर्व संयोजक दिनेश मिश्रा ने कहा है कि महिषी से विधायक लहटन चौधरी ने बहस में कहा था कि कोसी के दोनों तटबन्धों के बीच रहने वाले लोगों की परिस्थिति खराब है ऐसा रेवेन्यू विभाग भी मानता है । ऐसे लोगों की मालगुजारी माफ की जानी चाहिए और कर्ज की अदायगी स्थगित कर दी जानी चाहिए मगर ऐसा हो नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि विगत मई के महीने में अभी जो हमारे मुख्यमंत्री हैं, उन्होंने पिछले साल मई के महीने में रिवेन्यू मिनिस्टर की हैसियत से एक सरकारी और गैर सरकारी व्यक्तियों कि सम्मेलन बुलाया था और उस सम्मेलन में यह निश्चय हुआ था की इन लोगों की मालगुजारी माफ कर दी जाएगी। रेवेन्यू विभाग ने इस सिफारिश को मान भी लिया था लेकिन अभी तक उस फैसले को कार्यान्वित नहीं किया गया और वहां के किसानों पर मालगुजारी जमा करने के लिये सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है। यह बन्द होना चाहिए...उनका मानना था कि, 'इस विषय पर सदन में चर्चा होती है, सरकार का आश्वासन भी मिलता है, रेवेन्यू विभाग सिफारिश भी करता है किंतु जमीदारी राज में सरकार ने छूट दिलवाई लेकिन अब जबकि कोसी और भी भीषण रूप धारण किये हुए है तो सरकार कहती है कि रुपया दो।' उन्होंने यह भी कहा कि कहा कि महान पंडित मंडन मिश्र जो हमारे देश के बहुत बड़े विद्वान हुए हैं वह महिषी के रहने वाले थे जो हमारे जिले में पड़ता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि राज्य के गवर्नर श्री दिवाकर जो बहुत से अधिकारियों के साथ एक बार महिषी आए थे तब यह आम सहमति बनी थी कि महिषी में मंडन मिश्र का एक स्मारक बनाया जाएगा। उस स्मारक पर भी अभी तक कोई काम नहीं हुआ है। उन्होंने सरकार से कहा इन दोनों कामों को पूरा करने का का समय आ गया है। (चौधरी, लहटन; 1961-62 के आय-व्यक पर सामान्य वाद-विवाद, बिहार विधानसभा वादवृत्त, 23 फरवरी 1961, पृ. 27-28)।
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