कोरोना के खिलाफ मिलकर लड़ने की आवश्कता, कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक सांप्रदायिकता का वायरस.
पटना 31 मार्च, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि आज कोरोना जैसी संक्रामक बीमारी से मिलकर एक साथ लड़ने की आवश्यकता थी, लेकिन सांप्रदायिक विचार वालों ने इस संकट के समय भी अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है, जो पूरी तरह निंदनीय है. दिल्ली के मरकज तबलीगी जमात को केंद्र कर अब सांप्रदायिकता का वायरस प्रसारित करने की कोशिश की जा रही है, जो बेहद ही खतरनाक है. संघी ट्रोल इसके दुष्प्रचार में पूरी तरह से उतर गया है कि ये लोग कोरोना फैलाने के लिए एकत्रित हुए थे. तथ्य कुछ और ही गवाही देते हैं. 13 मार्च को भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि कोरोना वायरस से किसी प्रकार का आपात संकट नहीं है. उसके बाद यह जमात आरंभ हुआ था. अचानक लाॅकडाउन होने से जगह-जगह लोग फंसे हुए हैं. 23 मार्च को मौलाना ने एसएचओ और फिर 25 मार्च को भी दुबारा पत्र लिखा. लेकिन प्रशासन की नींद 30 मार्च को खुली जब 6 लोगों की कोविड से मौत हो गई. इसके बाद मीडिया का बड़ा हिस्सा मुस्लिम समुदाय को देशद्रोही कहने में जुट गया है. यह बेहत खतरनाक है. इसी दौर मे 17 व 18 मार्च को तिरूपति बालाजी मंदिर में एक लाख के लगभग लोगों ने दर्शन किए. वैष्णो देवी में श्रदधालु हैं. इन प्रक्रियाओं को सहजता में लेने की बजाए सांप्रदायिक कार्ड खेला जा रहा है. माले राज्य सचिव ने बिहारवासियों से अपील की है कि संकट की इस घड़ी में मजबूती से इस हिंदु-मुुस्लिम कार्ड का विरोध करें, सांप्रदायिकता की राजनीति को बढ़ावा देने वाली ताकतों को शिकस्त दें. कहा कि रामनवमी में विशेष कर ध्यान देने की आवश्यकता है. सभी लोग न केवल कोरोना से बल्कि सांप्रदायिकता के वायरस भी सावधान रहें.
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