अरुण शाण्डिल्य (बेगूसराय) आज बिहार के मजदूर वर्गीय जो बाहर फँसे हुए थे उसे दिल्ली सरकार बिहार जाने के लिए बसें तो खोल दी जो कि नहीं खोलना चाहिए था किन्तु यह भी सच है कि उन्हें मजबूरी बस यह कदम उठाना पड़ा।इस लॉक डाउन की परिस्थिति में क्या उनका बिहार या अपने परिबार में आना उचित है,इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार माननीय नीतीश कुमार ने जो फैसला लिया है वह सराहनीय फैसला है।बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों से आ रहे प्रवासी मजदूरों के लिए सीएम नीतीश कुमार ने कैंप बनाने के निर्देश दिए हैं।ये कैंप बिहार के सीमावर्ती जिलों में बनाए जाएंगे,इस कैंप में दूसरे राज्यों से आने वाले मजदूरों को रखा जाएगा।इस कैंप में इनके रहने-खाने और दवा का पूरा इंतजाम होगा।आपको बता दें कि लॉकडाउन की घोषणा के बाद देश के कोने-कोने में फैले बिहार के लोग अपने राज्य लौटना चाहते हैं,लेकिन लॉकडाउन की वजह से इन्हें सुविधा नहीं मिल सकती,जिसके बाद कुछ तो पैदल निकल गए और कुछ वहीं इंतजार करने लगे।इसी बीच शनिवार को एक अफवाह के बाद दिल्ली के आनंद बिहार बस स्टैंड पर लोगों का हूजूम उमड़ पड़ा।जिससे यहां अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गई थी।इसी बीच उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इन मजदूरों को भेजने के लिए बसों की व्यवस्था की थी।इसपर बिहार के सीएम ने कहा कि अगर इन मजदूरों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा गया तो लॉक डाउन का मकसद ही खत्म हो जाएगा,अगर एक भी संक्रमित मरीज शहर से गांव आ गया तो यहां भी संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है।लेकिन लौट रहे मजदूरों को देखते हुए नीतीश कुमार ने सीमावर्ती जिलों में राहत कैंप बनाने की घोषणा की है।इस कैम्प में उन बाहर गांव से आए सभी को रक्खा जाएगा जहां उनके जांच,दवाई,भोजन,आवास आदि का यथोचित व्यवस्थाओं की सेवा मुहैय्या करायी जाएगी।
रविवार, 29 मार्च 2020
बिहार : बाहर से आने वाले के लिए कैम्पिंग का दिशा निर्देश का फैसला सराहनीय
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