बालूपर मुसहरी में रहने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुट्ठी बांधकर महादलित महिलाओं ने शौचालय निर्माण कराने की मांग की हैं।ठेकेदारों का चरागाह बन गया है मुसहरी।ठेकेदार अधूरा शौचालय निर्माण करके नौ दो ग्यारह हो जाते
पटना, 08 मार्च। पटना नगर निगम के विभिन्न अंचलों में सड़क के किनारे शौचालय बनाया गया है।इसमें पाटलिपुत्र अंचल में निर्मित शौचालय ताला में बंद है।न ताला खुला और न ही व्यवहार किया गया। इसके कारण इंसान बाहर ही लघुशंका करने को बाध्य हैं।दूसरी ओर बालूपर मुसहरी में रहने वाले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मुट्ठी बांधकर महादलित महिलाओं ने शौचालय निर्माण कराने की मांग कर रही हैं। बताया जाता है कि बालूपर मुसहरी में 4 पुश्त से रहते हैं महादलित मुसहर।महादलित मुसहर समुदाय के लोग झोपड़ी में ही रहते थे। जब 1975 में प्रलयकारी बाढ़ आयी थी, तब लोग तबाह हो गये। तब भी कांग्रेसी और जनता दल की सरकार ने झोपड़ी को हटाकर मकान बनाने का प्रयास नहीं किया। हां, जब सन् 74 की लड़ाई लड़ने वाले और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सिपाही 1990 में बिहार के सीएम बने लालू प्रसाद यादव तब जाकर कुछ उम्मीद बनी। उनके ही शासनकाल में बालूपर मुसहरी में 16 मकान बने। सरकार के नौकरशाहों ने बालूपर मुसहरी का नामकरण कर लालू नगर रखा। तब से लालू नगर से विख्यात है। यहां पर रहने वाली बहुत सोच समझकर अंजलि देवी कहती हैं कि इस मुसहरी में सरकारी नौकर आते ही नहीं है। अगर आ भी गये तो लूटकर चले जाते हैं। अभी यहां पर निर्मित 16 परिवार के लोगों के लिए 16 शौचालय निर्माण कराया जा रहा है। ठेकेदार अधूरा शौचालय निर्माण करके नौ दो ग्यारह हो गया है। शौचक्रिया करने मेें परेशानी हो रही है। वहीं 16 परिवारों का बना मकान जानलेवा साबित हो रहा है। बड़का-बड़का छत से मलवा गिरता है। इसी जर्जर घर में सर्वश्री विक्रम मांझी, बिहारी मांझी, दिलीप मांझी, शंकर मांझी, पेरू मांझी, रामदेव मांझी, कृष्णा मांझी, विनोद मांझी, दारा मांझी, पप्पू मांझी, डोढ़ा मांझी, चनेश्वर मांझी, टुनटुन मांझी,लक्ष्मण मांझी,छोटे मांझी और बिहारी मांझी परिजनों के साथ रहते हैं। जर्जर घर का आलम यह है कि बरसात के समय छूता है। करवटे बदल बदल कर सोने को बाध्य होते हैं। उनको हरदम डर सताता है कि छत का प्लास्टर गिर न जाए । प्लास्टर के रुप में मलवा गिरने से घर की चौकी टूट जाती है। खुदा को धन्यवाद की किसी को चोट नहीं लगी। 10 फीट चौड़ा और 10 फीट लम्बा घर में दो-दो परिवार रहने को बाध्य हैं। एक परिवार घर के अंदर तो दूसरा बरामदा में रहने को बाध्य हैं। सभी मालिकाना भूमि पर रहते हैं। मालिक का नाम स्व0 लखपत यादव है। निर्गत जमीन का पर्चा 1975 की बाढ़ से बर्बाद हो गयी। कुछ लोगों ने बांसकोठी के कलूठ चौधरी और बालूपर के केदार पासवान के पास पर्चा रखें। जो पर्चा ही पचा लिये। न पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत की पूर्व मुखिया शशि देवी और न पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर-22 ए के वार्ड पार्षद दिनेश कुमार ही महादलितों की बुनियादी समस्याओं को सुलझाने में दिलचस्पी लिए हैं। फलत: जर्जर घर में रहने और खुले में जाकर शौचालय करने को बाध्य हैं। शौचालय निर्माण करवाने के लिए जूझ रहे हैं।
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