झारखंड की जेलों से फिलहाल नहीं छूटेंगे कैदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 27 मार्च 2020

झारखंड की जेलों से फिलहाल नहीं छूटेंगे कैदी

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रांची (आर्यावर्त संवाददाता)  राज्य की जेलों में बंद कैदियों को विशेष केस में असमय कारा मुक्ति, पैरोल या अग्रिम जमानत का फिलहाल लाभ नहीं मिलेगा। राज्य की उच्च स्तरीय कमेटी ने यह निर्णय लिया है। कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एचसी मिश्रा हैं, जबकि सदस्यों में गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह व कारा महानिरीक्षक शशि रंजन हैं। गुरुवार को इस कमेटी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक की। बैठक में यह बात सामने आई कि राज्य में कोविड-19 का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है। राज्य में लॉकडाउन है। लोगों की आवाजाही बंद है। इसलिए फिलहाल बंदियों को छोडऩे के मसले पर निर्णय नहीं लिया जा सकता है। वर्तमान में राज्य में 07 केंद्रीय कारा, 15 मंडल कारा, छह उपकारा व एक ओपेन जेल है। यहां 18 हजार 227 कैदी रह रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य की जेलों में बंद कैदियों के पैरोल व जमानत की सुविधा देने के लिए न्यायमूर्ति एचसी मिश्रा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी को ही निर्णय लेना है कि किसे यह सुविधा मिलेगी, किसे नहीं मिलेगी। इसका एक ही उद्देश्य था कि जेलों के बोझ को कम किया जा सके, ताकि बंदियों को कोरोना वायरस के खतरे से बचाया जा सके।

 जेलों को सूची तैयार रखने का निर्देश 
राज्य के सभी जेलों के काराधीक्षकों को यह निर्देश दिया गया है कि जेलों में ऐसे कितने बंदी हैं, जिन्हें एक वर्ष से सात वर्ष तक की सजा हो चुकी है। ऐसे बंदियों की सूची तैयार करने को कहा गया है। ऐसे ही बंदियों को पैरोल या जमानत का लाभ दिए जाने पर विचार किया जाना था, जो अब संभव होता नहीं दिख रहा है। ऐसे बंदी मुख्य रूप से चोरी, छिनतई, छेडख़ानी, मारपीट व दहेज प्रताडऩा जैसे छोटे-मोटे केस से संबंधित हैं।

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