अरुण शाण्डिल्य (बेगूसराय) इन गरीबों की भी अजीब किस्मत होते हैं।कुछ ऐसे भी मजदूर हैं जो पटना में जहाँ तहाँ पेट की आग बुझाने और परिवारों के भरण-पोषण के लिए अपने घर मधेपुरा से बाहर पटना में काम कर रहे थे।आज जब यह कोरोना जैसी आपदा पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया है तो पूरे विश्व के साथ भारत में भी लॉक डाउन का आदेश हो चुका है,जो कि 23 मार्च को रात्रि के 12 बजे से ही सख्ती से लागू कर दिया गया है।यह लॉक डाउन जन-जीवन के हित के लिए ही लागू किया गया है।ऐसे में ये मधेपुरा निवासी जहाँ काम करते थे वहाँ का मालिक इन सबों को काम पर से निकालड़िया है।अब जब कि पूरा देश लॉक डाउन है तो बिहार भी है,ऐसे में काम से निकाल दिया यह भी ठिके है।परन्तु जबतक लॉक डाउन है तबतक कम से कम जबतक कहीं आने जाने के लिए वाहन को चलाने की आदेश तक मानवता कनॉट ही उन मालिकों को चाहिए कि इन सभी मजदूरों का रहने और खाने का इन्तजाम तो करवा ही सकता था।मगर शायद अब इन्सानियत और मानवता की तो बात जी करना फिजूल है।अब ये बिचारे पटना से यातायात साधनों के आभाव में हिम्मत जुटाकर राज्यमार्ग पकड़ते हुए पैदल ही अपने गणतव्य मधेपुरा के लिए रवाना हो लिए।आज पैदल चलकर अभी अभी बेगूसराय पहुँचे हैं अब यहाँ से भी इन्हें लगभल 80/90 किलोमीटर की दूरी तय कर मधेपुरा पहुँचना है।जैसा कि अनुमान है कि यदि अनवरत ये लोग चलते रहे तो शायद कल रात या फिर परसों किसी भी समय ये लोग अपने अपने घरों में दस्तक दे सकते हैं।के लोग जैसे तैसे सफर तय करते हुए,रात भर किसी तरह कहीं समय बिताया फिर सभी युवक बुधवार की सुबह अपने घर के लिए रवाना हो गए।उन सभी युवक पटना से एनएच के रास्ते पैदल चलना शुरू कर दिया।बुधवार की सुबह उन्होंने चलना शुरू कर दिया आज 140 किलोमीटर की दूरी तय कर सभी युवक बृहस्पतिवार को सुबह बेगूसराय पहुँच गए।सभी युवक फिर बेगूसराय से 6 युवक मधेपुरा के लिए रवाना हो गया है।युवक ने बताया कि लगातार चलने से थोड़ी सी कठिनाई तो हुई ही है,लेकिन क्या करें सारा चीज बंद है इसके बावजूद भी हम लोग पैदल घर चले जाएंगे।आगे ऊपरवाले की मर्जी।
शुक्रवार, 27 मार्च 2020
बिहार : ढाई सौ किलोमीटर की दूरी पैदल तय करने को मजबूर
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