पटना से प्रकाशित अमृतवर्षा के रिपोर्टर थे। सांध्य दैनिक अमृतवर्षा के प्रथम पृष्ठ पर धारधार लेखनी प्रवाह करने से सांध्य दैनिक जल्द ही लोकप्रिय हो गया था।पाखी को साहित्यिक जगत में चर्चा में लाने का श्रेय प्रेम भारद्वाज को ही जाता है। उन्होंने कई कहानियां और नाटक भी लिखे….
पटना,10 मार्च। हिंदी के चर्चित साहित्यकार और पत्रकार प्रेम भारद्वाज का कैंसर की बीमारी के बाद आज 10 मार्च को निधन हो गया। वे पिछले सालभर से बीमार चल रहे थे। उनके करीबी साथियों के मुताबिक एक हफ्ते पहले उन्हें ब्रेन हैम्रेज हुआ था। 25 अगस्त 1965 में प्रेम भारद्वाज का जन्म बिहार के छपरा जिले में हुआ था। लंबे समय तक साप्ताहिक समाचार पत्र दि संडे पोस्ट का संपादन करने के बाद कई साल तक साहित्यिक पत्रिका पाखी का संपादन किया और उनके बाद वो अपनी साहित्यिक पत्रिका ‘भवन्ति’ निकाल रहे थे। आखिरी वक्त में प्रेम भारद्वाज इलाज के लिए अपनी बहन के साथ अहमदाबाद में रह रहे थे। मूल रूप से बिहार के रहने वाले प्रेम भारद्वाज तकरीबन ढाई दशक से दिल्ली में रहकर पत्रकारिता और साहित्य जगत में सक्रिय रूप से भागीदार थे। ‘इंतजार पांचवे सपने का’ उनका चर्चित कहानी संग्रह है। कैंसर की बीमारी से जूझने के बावजूद वह काफी सक्रिय थे। पाखी को साहित्यिक जगत में चर्चा में लाने का श्रेय प्रेम भारद्वाज को ही जाता है। उन्होंने कई कहानियां और नाटक भी लिखे। संडे पोस्ट ने उनके संपादन काल में ही कई खबरें ब्रेक की थीं, जिसने इस पत्र को राजनीतिक गलियारों में चर्चित कर दिया था। सोशल मीडिया पर उनके जानने वाले मित्रों, सहयोगियों ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनकी यादों को साझा किया है। परिवार में उनकी माता-पिता और पत्नी की पहले ही मौत हो चुकी है। इसके पहले पटना से प्रकाशित अमृतवर्षा के रिपोर्टर थे। सांध्य दैनिक अमृतवर्षा के प्रथम पृष्ठ पर धारधार लेखनी प्रवाह करने से सांध्य दैनिक जल्द ही लोकप्रिय हो गया था।
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