नरवाई से जैविक खाद भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट बनाने की सलाह
कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को गेहूँ की फसल काटने के बाद बचे हुए अवशेष (नरवाई) नहीं जलाने की सलाह दी गई है। नरवाई जलाने से एक ओर जहां खेतों में अग्नि दुर्घटना की संभावना रहती है वहीं मिट्टी की उर्वरकता पर भी विपरीत असर पड़ता है। इसके साथ ही धुएँ से कार्बन डायआक्साइड से तापक्रम बढता है ओर वायु प्रदूषण भी होता है। मिट्टी की उर्वरा परत लगभग 6 इंच की ऊपरी सतह पर ही होती है इसमें खेती के लिए लाभदायक मित्र जीवाणु उपस्थित रहते हैं। नरवाई जलाने से यह नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति को नुकसान होता है। नरवाई जलाने की बजाए यदि फसल अवशेषों और ड़ठलो को एकत्र कर जैविक खाद जैसे भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट आदि बनाने में उपयोग किया जाए तो यह बहुत जल्दी सड़कर पोषक तत्वों से भरपूर खाद बना सकते है। इसके अतिरिक्त खेत में कल्टीवेटर, रोटावेटर या डिस्क हेरो की सहायता से फसल अवशेषों को भूमि में मिलाने से आने वाली फसलों में जीवांश के रूप में बचत की जा सकती है। इसके लिए किसान हलधर योजना का लाभ लेकर गहरी जुताई भी कर सकते है। किसान सामान्य हार्वेस्टर से गेहूँ कटवाने के स्थान पर स्ट्रारीपर एवं हार्वेस्टर का उपयोग करे तो पशुओं के लिये भूसा व खेत के लिये बहुमूल्य पौषक तत्वों की उपलब्धता बढने के साथ मिट्टी की संरचना को बिगड़ने से भी बचाया जा सकता है।
पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति के ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि 20 मार्च
अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति योजनांतर्गत वर्ष 2019-20 हेतु विद्यार्थियों के आवेदन ऑनलाइन प्राप्त किये जाने की अंतिम तिथि 20 मार्च, 2020 निर्धारित की गई है। जिला कार्यालय द्वारा प्राप्त आवेदनों की स्वीकृति की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2020 है। अनुसूचित जाति के समस्त विद्यार्थियों जिन्होंने छात्रवृत्ति हेतु आवेदन नहीं किया है वे पोस्ट मेट्रिक छात्रवृत्ति पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन 20 मार्च तक कर सकते है।
जलवायु परिवर्तन - गंभीर समस्या (विशेष लेख)
विश्व एक परिवार है, परिवार में इंसान, पेड़, जानवर, कई प्राकृतिक और मानव निर्मित चीजें जैसे कई सदस्य हैं । हम पृथ्वी पर रहते हैं और यहाँ एक वायुमंडल है जिसमें वायु, गैस और कई तत्व हैं। जलवायु परिवर्तन मानव कर्मों के कारण वातावरण में परिवर्तन है। मानवीय कर्म वातावरण के तापमान को बढ़ाते हैं। मौसम में जलवायु परिवर्तन कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा के कारण होता है। जलवायु परिवर्तन एक जीवन बदलने वाली हानिकारक घटना है। दूसरे शब्दों में, अम्लीय वर्षा, अप्रत्याशित रासायनिक प्रतिक्रियाएँ, पृथ्वी का बढ़ा हुआ तापमान जलवायु परिवर्तन के प्रमाण हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण, मौसम गर्म हो रहा है, ग्लेशियर पिघलना, प्रदूषण, ग्रीन हाउस प्रभाव और ओजोन परत में छेद पृथ्वी के दुष्परिणाम हैं। कम बारिश की वजह से कई किसानों ने आत्महत्या तक कर ली है। जलवायु परिवर्तन के कारणों में औद्योगिक क्रांति, ईंधन का जलना, बढ़ती जनसंख्या और वनों की कटाई है। कई बार सरकार और अन्य संगठनों ने जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियान, कार्यक्रम और सम्मेलन आयोजित किए हैं लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। जलवायु परिवर्तन दिन और मिनट से मिनट तक बढ़ रहा है। लोग अप्रत्याशित आपदाओं जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। जिस प्रकार हर समस्या का हल है उसी प्रकार जलवायु परिवर्तन का भी समाधान है। हमारे लिए, जलवायु परिवर्तन के बारे में बहुत अधिक आबादी जागरूक नहीं है। कई ग्रामीणों और अशिक्षित लोग सटीक समस्या को समझने में असमर्थ हैं। कुछ विचार हैं जो जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेने में सहायक हो सकते हैं:- विषय वस्तु के बारे में जागरूकता बढ़ाएं, स्थानीय जनता के लिए स्वतंत्र रूप से नुकसान के परिणाम दिखाएं, शिक्षा में जलवायु परिवर्तन के विषय को हर स्तर पर शामिल करें, वृक्षारोपण के बारे में लोगों को जागरूक करना, जलते हुए ईंधन का उपयोग करने से रोकना, पर्यावरण के अनुकूल वातावरण बनाएं, अक्षय संसाधनों का उपयोग करें, प्राकृतिक चक्र को परेशान न करें, मोटर बाइक के स्थान पर साइकिल का उपयोग करें, नई तकनीक द्वारा कम कार्बन पदचिह्न उत्पादक के नए संसाधनों का उपयोग करें। केवल सरकार के अभियान वास्तव में इसे स्थानीय लोगों के सामने नहीं रख सकते। इसके लिए कार्रवाई करना युवाओं की जिम्मेदारी है। जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए भारत लगातार ताकत बढ़ा रहा है। साथ ही संयुक्त राष्ट्र की अनेक इकाईयां विशेषकर यू.एन. एन्वायरमेंट एवं संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम इस क्षेत्र में कार्यरत है|
“वैश्विक शांति में अड़चन, जलवायु परिवर्तन” : उमेश पंसारी छात्र (पी.जी. कॉलेज, सीहोर)
कोरोना वायरस से बचाव और जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर 104
कोरोना वायरस से संबंधित जानकारी उसके लक्ष्ण और बचाव से संबंधित जानकारी आमजन तक पहुचाने के लिए लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निर्देशानुसार नोवल कोरोना वायरस कंट्रोल रूम की स्थापना शासकीय कमला नेहरू अस्पताल हमीदिया अस्पताल के पास की है। नोवल कोरोना वायरस कंट्रोल रूम का फोन नंबर 104 है इस टोल फ्री नम्बर पर प्रतिदिन सुबह 8 बजे से रात 8 बजे के बीच काल करके नोवल कोरोना वायरस संबंधी किसी प्रकार की शंका के समाधान या जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
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