पूरे देश समेत सरायकेला जिले में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है, ऐसे में एक तरफ जहां आवागमन ठप है, वहीं लॉकडाउन में सबसे अधिक प्रभावित दूसरे राज्य से आने वाले लोग हो रहे हैं, जो लॉकडाउन में यहां फंसे हैं और उन्हें अब राशन की भी किल्लत हो रही है.
सरायकेला (आर्यावर्त संवाददाता) जिले के औद्योगिक क्षेत्र में तकरीबन एक सप्ताह पूर्व 100 से भी अधिक मालवाहक ट्रक विभिन्न उद्योगों में कच्चे माल की आपूर्ति को लेकर आए थे. इस बीच देशभर में लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद मालवाहक ट्रकों के चालक एक सप्ताह से नेशनल हाईवे 33 पर अपना बसेरा जमाए हुए हैं. पहले इन्हें पता था कि 31 मार्च के बाद सब कुछ सामान्य होगा. लेकिन इस बीच प्रधानमंत्री की तरफ से 14 अप्रैल तक लॉकडाउन की घोषणा किए जाने के बाद इन ट्रक चालकों के सामने विकट परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है. इनमें से ज्यादातर ट्रक चालक बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल से आए हुए हैं. जो लॉकडाउन में यहां से जा भी नहीं पा रहे हैं. नेशनल हाईवे पर थमे पहिए, ट्रक चालक राशन को तरसेलॉकडाउन की स्थिति में पिछले एक सप्ताह से 100 से भी अधिक मालवाहक ट्रकों के चालक नेशनल हाईवे के किनारे मजबूरन फंसे पड़े हैं. स्थिति यह हो गई है कि इनके पास सिर्फ एक सप्ताह का राशन था जो इन लोगों ने विगत सप्ताह रहकर यहां खत्म कर दिया है. अब इनके सामने विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है, एक तरफ जहां दुकानें बंद हैं, वहीं दूसरी ओर इन्हें एक वक्त का खाना भी ढंग से नसीब नहीं हो पा रहा है. आलम यह है कि ट्रक चालक ट्रकों को छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकते. क्योंकि इन्हें चोरी का भय भी सताता है, वहीं कई ट्रकों में माल लदे हुए हैं जिन्हें गंतव्य स्थानों तक पहुंचाना है, ऐसे में अब इन ट्रक चालकों के पास विकल्प के तौर पर कुछ भी नहीं बचा है. नेशनल हाईवे पर थमे पहिए, ट्रक चालक राशन को तरसेलॉकडाउन की स्थिति में पिछले एक सप्ताह से 100 से भी अधिक मालवाहक ट्रकों के चालक नेशनल हाईवे के किनारे मजबूरन फंसे पड़े हैं. स्थिति यह हो गई है कि इनके पास सिर्फ एक सप्ताह का राशन था जो इन लोगों ने विगत सप्ताह रहकर यहां खत्म कर दिया है. अब इनके सामने विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हो गई है, एक तरफ जहां दुकानें बंद हैं, वहीं दूसरी ओर इन्हें एक वक्त का खाना भी ढंग से नसीब नहीं हो पा रहा है. आलम यह है कि ट्रक चालक ट्रकों को छोड़कर कहीं जा भी नहीं सकते. क्योंकि इन्हें चोरी का भय भी सताता है, वहीं कई ट्रकों में माल लदे हुए हैं जिन्हें गंतव्य स्थानों तक पहुंचाना है, ऐसे में अब इन ट्रक चालकों के पास विकल्प के तौर पर कुछ भी नहीं बचा है.
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