बिना समुचित तैयारी का किया गया लाॅकडाउन, गरीब भूखमरी के कगार पर: धीरेन्द्र झा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 30 मार्च 2020

बिना समुचित तैयारी का किया गया लाॅकडाउन, गरीब भूखमरी के कगार पर: धीरेन्द्र झा

घर की ओर निकले मजदूरों को अपने गंतव्य तक तत्काल पहंुचाये सरकार.
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पटना 30 मार्च, खेग्रामस के राष्ट्रीय महासचिव व भाकपा-माले पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा ने आज प्रेस बयान जारी कर कहा है कि ऐसा लगता है कि लाॅकडाउन बिना समुचित तैयारी के गई थी. 21 दिनों के सनकभरे लौकडाउन ने कोरोना से लड़ने की समस्या को कम करने की बजाए और बढ़ा दिया है।  लाखों की संख्या में मजदूर बड़ी-बड़ी पोटली लिए छोटे-छोटे बच्चों व परिवार के साथ पैदल ही अपने अपने घरों को चल दिये हैं। आजाद भारत की यह सबसे बड़ी त्रासदी बन गयी है। गरीबों-मजदूरों के प्रति सरकार और व्यवस्था का पूर्वाग्रह खुलकर सामने आया है। सरकार की नीतियों और कदमों से ऐसा लगता है कि ये लोग देश के नागरिक ही नहीं हैं। कोरोना की रोकथाम के लिये सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है, लौकडाउन  भी जरूरी हैं। लेकिन क्या इसकी पूरी तैयारी नही की जा सकती थी? क्या मजदूरों व अन्य गरीबों को इसके लिये तीन दिन का वक्त और समय नही दिया जा सकता था। सबों को अपने घरों में रहना है और लक्ष्मण रेखा नही लांघना है, तो मजदूरों को घरों तक भेजने की व्यवस्था क्यों नही की गई? क्या मजदूरों का घर-परिवार नही होता! कोरोना महामारी से दुनिया त्रस्त है। इसने दुनिया में एक बड़ा असुरक्षा बोध पैदा किया है। इसके साथ ही इसने पूंजीवादी दुनिया की चमकती तस्वीर को धुंधली कर दी है और नव उदारवादी अर्थव्यवस्था की असलियत को दुनिया के सामने ला खड़ा कर दिया है। इसने स्वास्थ्य व्यवस्था के बाजारीकरण के विरुद्ध जन स्वास्थ्य के समाजवादी पहलू को मजबूती से स्थापित किया है। भूख,बेकारी और स्थायी आवास की समस्या को बड़े रूप में स्थापित किया है। अपने देश में सरकार की नीतियों के चलते भूख और बेकारी की विकराल समस्या पैदा हुई है। करोड़ों असंगठित मजदूरों सहित दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित समूहों को भुखमरी के कगार पर खड़ा कर दिया है।  इस विकट स्थिति में हमें कोरोना से बचाव और सतर्कता के उपायों का जरूर पालन करना चाहिए लेकिन भुखमरी के कगार पर खड़ी देश की बड़ी आबादी की मुखर आवाज के बतौर भी सामने आना है।  इस दौर में हमें निम्नलिखित मांगों को तत्काल लागू करने की मांग सरकार से करते हैं. स्थानीय प्रशासन पास जारी करे और ताकि हम सभी स्वंयसेवक की भूमिका निभा सकें.

हमारी मांगें-
1 .सभी मजदूरों को केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर उन्हें गन्तव्य तक पहुंचाए। जिलों और प्रखंडों में आइसोलेशन केंद्र खोला जाय जहां सब तरह की सुविधाएं हों।
2. विदेशों से अथवा शहरों से आये तमाम लोगों की जांच युद्धस्तर पर हों।
3. सभी परिवारों चाहे राशन सूची में नाम हो या नही को 50 किलो चावल, 50किलो गेहूं, 5किलो दाल, 2 किलो तेल और 5 हजार रुपये दिए जाएं।
4. सभी मनरेगा मजदूरों को तीन महीने की मजदूरी मुआबजा के रूप में दिया जाए।
5. सभी जनधन खाताधारियों के खाते में अनिवार्य रूप से 10000 रुपये डाले जाएं।
6. पीएचसी से लेकर तमाम अस्पतालों के बन्द पड़े ओपीडी सेवा को अविलम्ब बहाल किये जाएं।
7. आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से सभी बच्चों, गर्भवती महिलाओं और वृद्धों के लिये दूध की व्यवस्था की जाए।
8. सभी स्किम वर्कर्स को 10 हजार रुपये का एडवांस दिया जाए।
9. तमाम निर्माण मजदूरों,ग्रामीण मजदूरों और घरों में काम करने वाली महिलाओं को 10,000 रुपये दिए जाएं। सभी वृद्धों को इस विकट घड़ी में 10 हजार रुपये का मासिक पेंशन सरकार दे चाहे पेंशनर सूची में नाम हो या नही!
10. सरकार फसल कटनी की गारंटी कराए, इसके लिए मशीन चलाने का आदेश जारी करे। छोटे-मझोले किसानों को भी विशेष पैकेज सरकार दे।
11. दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित समूहों  यथा मछुआरों आदि की अन्य जरूरी मांगों को मजबूती से उठाए जाएं

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