- · बीपीपीआई एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुआ आयोजन
- · कंबीनेशन ड्रग्स का जेनरिक नेम जारी करने का स्वस्थ भारत ने की सरकार से अपील
नई दिल्ली. 7 मार्च, जिस समय पीएम मोदी पूरे देश को जनऔषधि दिवस की शुभकमानाएं दे रहे थे और जनऔषधि के पढ़ते कदम के बारे में जनऔषधि संचालकों से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत कर रहे थे, ठीक उसी समय दिल्ली विश्वविद्यालय में महिलाओं की सेहत एवं जनऔषधि की जरूरत विषय पर परिसंवाद हो रहा था। बीपीपीआई और दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस परिसंवाद में मूलचंद अस्पताल के सीनीयर कंसल्टेंट डॉ. श्रीकांत शर्मा, प्रसिद्ध डर्मोटोलॉजिस्ट डॉ. दीपाली एवं स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह भाग लिया। आयोजन का संयोजन बीपीआई की ओर से मल्लिका पांडेय ने किया वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से डॉ. उत्सव सिंह एवं कुंवर सुर्यांश ने छात्र संयोजन का कार्य किया जबकि पूरे कार्यक्रम का संयोजन राजनीतिक शास्त्र विभाग की प्रो. रेखा सक्सेना ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ. श्रीकांत ने छात्रों को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने का संदेश दिया साथ ही कैंसर से संबंधित जानकारियों के बारे में उन्होंने छात्र-छात्राओं को अवगत कराया। महिला दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित इस परिसंवाद में बोलते हुए डॉ. दीपाली ने स्कीन से संबंधित बीमारियों के बारे में जानकारी दी। स्वस्थ भारत अभियान के राष्ट्रीय संयोजक आशुतोष कुमार सिंह जनऔषधि के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 के पहले पूरे देश में महज 60-70 जनऔषधि केन्द्र थे जिनकी संख्या बढ़कर अब 6200 से ज्यादा हो गई है। उन्होंने जनऔषधि के प्रसार के लिए किए गए अपने स्वस्थ भारत यात्रा-2 का जिक्र करते हुए कहा कि तमाम चिकित्सकों के लिए यह समस्या है कि कंबीनेशन ड्रग को कैसे जेनरिक नाम से लिखें। इसका समाधान देते हुए उन्होंने सरकार से मांग कि की अगर सरकार सभी कंबीनेशन ड्रग्स का एक जेनरिक नाम जारी कर दे तो चिकित्सकों के लिए आसानी हो जाएगी जेनरिक दवाइयां लिखनी। इस अवसर पर बीपीपीआई की ओर से मिस्टर आसिफ ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से जनऔषधि के बारे में विस्तार से बताया। प्रो. वीणा कुकरेजा ने स्वागत भाषण दिया जबकि प्रो. रेखा सक्सेना ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। गौरतलब है कि जेनरिक दवाइयों के लेकर लोगों के मन बहुत सारे भ्रम है। इन तमाम भ्रमों को दूर करने की जरूरत है। इस भ्रम को दूर करने में चिकित्सक एक अहम भूमिका निभा सकते हैं।
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