एक तरफ कोरोना संक्रमण को दूर करने के उद्देश्य से लोगों को लॉकडाउन में अपने घरों में ही सुरक्षित रहने की लगातार सलाह सरकार दे रही है. वहीं दूसरी ओर घर में रहने से लोग अब बोरियत महसूस कर रहे हैं. इसके अलावा हाल के दिनों में डॉक्टरों के पास कई ऐसे मामले सामने आए हैं. जहां लोग लॉकडाउन में चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं.
सरायकेला (आर्यावर्त संवाददाता) : राष्ट्रीय आपदा कोरोना वायरस के संक्रमण कोविड-19 से बचाव को लेकर सरकार ने देशभर में लॉकडाउन लगा दिया है ताकि संक्रमण का खतरा कम हो. 21 दिन के इस लॉकडाउन में लोग घरों में रहकर अपने दैनिक क्रियाकलापों से अलग हो गए हैं. इस बीच लोग चिंता, डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन का लगातार शिकार हो रहे हैं. वहीं डॉक्टरों ने लॉकडाउन में लोगों को अपने सेहत पर विशेष ध्यान रखने की सलाह दी है. डॉक्टरों की मानें तो इस लॉकडाउन में लोगों को अपने रोजाना के क्रियाकलापों को नहीं छोड़ना चाहिए. आम दिनों की तरह ही लोगों को सुबह समय से उठना चाहिए और तय समय से ही तैयार होकर घर पर रहकर ही अपने काम निपटाने चाहिए. लॉकडाउन में लोग अपने दैनिक क्रियाकलापों को छोड़ दे रहे हैं यानी कि लोग अक्सर देर से उठ रहे हैं और घर में रहने की आदत के कारण सभी कामों को देर से कर रहे हैं. डॉक्टर मानते हैं कि इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि लोगों को इस बात की जानकारी है कि उन्हें तय समय पर ऑफिस नहीं जाना है और घर से काम करना है तो लोग अब सभी कामों में लेटलतीफी बरत रहे हैं जो कि गलत है. ऐसे में लोगों के सभा में भी कई परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. डॉक्टर सलाह देते हैं कि लॉकडाउन में घरों में रहते हुए सबसे ज्यादा जरूरी है अपने आप को फिट और एक्टिव रखे. इसके लिए आप सुबह योगा, कसरत और मेडिटेशन का सहारा ले सकते हैं. चिकित्सक यह भी सलाह देते हैं कि घर में रहते हुए हैं पारंपरिक खेलकूद का भी आनंद इस दौरान ले सकते हैं ताकि मानसिक तंदुरुस्ती बनी रहे. लॉकडाउन में लोगों ने घरों में रहने के कारण भारी मात्रा में राशन समेत अन्य खाने-पीने की चीजें इकट्ठा कर ली है. ऐसे में लोगों का खान-पान भी काफी असंतुलित हो गया है. घर में लगातार रहने के कारण लोग अक्सर कुछ न कुछ खाते रह रहे हैं. जिससे इसका सीधा प्रभाव पाचन तंत्र पर पड़ता है और गैस्टिक समेत कब्जियत की भी शिकायत होती है. ऐसे में लोगों को सबसे पहले संतुलित और लो फैट के डाइट को अपने आहार में शामिल किया जाना चाहिए. लॉकडाउन के दौरान डॉक्टरों के सामने कुछ ऐसे भी मामले आ रहे हैं जहां लोग परिवार के बीच रहते हुए भी चिंता और डिप्रेशन में चले जा रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर लोगों को बताते हैं कि वे परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर कुछ ना कुछ क्रियाकलाप करते रहे और अधिक से अधिक परिवार के सदस्य एक दूसरे से इंटरेक्शन करें ताकि समय खुशनुमा माहौल में बीते.
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