बिहार : ‘करो ना कुछ‘ अभियान के तहत 43 करोड़ मजदूर करेंगे उपवास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020

बिहार : ‘करो ना कुछ‘ अभियान के तहत 43 करोड़ मजदूर करेंगे उपवास

ईसाई समुदाय का पवित्र शुक्रवार को उपवास और परहेज दिवस है। इसी दिन 10 अप्रैल की सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 43 करोड़ मजदूरों के साथ एक जुटता जाहिर करने के लिए घर में ही उपवास करेंगे........
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पटना,10 अप्रैल। सामाजिक कार्यकर्ता हैं महेन्द्र यादव। उनका कहना है कि कोरोना काल की विपत्ति के बड़ी भुक्तभोगी हमारे मजदूर साथी हैं।देशभर के आंदोलन की साथी इस समय पूरी एकजुटता के साथ अपनी सभी संसाधन जुटाकर ऐसे कठिन समय में मजदूर साथियों को भोजन पहुंचाने का काम कर रहे हैं। हम जानते हैं कि भूख का समुंदर बहुत बड़ा है और हमारा काम उसमें बहुत छोटा ही होगा। किंतु महत्वपूर्ण यह भी है कि हमारी ऊर्जा उनके साथ है। इस लॉकडाउन का सबसे मारक असर बेघर लोगों पर पड़ा है, जो भीख मांग कर जीवन जीने को मजबूर थे, निराश्रित है, इसका असर उन प्रवासी मजदूरों, दिहाड़ी मजदूरों ,ठेका मजदूरों, निर्माण मजदूरों, दैनिक मजदूरों पर सर्वाधिक पड़ा है , जिनका रोजगार का स्त्रोत समाप्त हो गया है। गांव मे रोजगार न होने के चलते गांव के छोटे किसान , खेतिहर मजदूर और गरीब शहरों मे जाकर रोजगार कर रहे थे । अचानक लॉकडाउन कर दिए जाने के चलते करोड़ों मजदूर पैदल ही गांव लौट आए ,लाखों रास्ते में फंस गए । लॉकडाउन के चलते उनके पास आय का कुछ साधन नहीं है। सरकार ने राशन देने और बैंकों मे सहायता राशि डालने की घोषणा की है लेकिन जिन लोगों के कार्ड बने नही है या कार्ड शहरों के बने है उन्हें राशन भी नही मिल पा रहा है । राशन लेने जाने, बैंक मे जाने पर पुलिस की पिटाई की तमाम घटनाएं आपने पढ़ी और देखी होंगी । कुल मिलाकर 43 करोड़ गरीबों - असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार कागजों तक सीमित रह गया है। लॉकडाउन के समय यह जरूरी है कि हम यह विचार करें कि सरकारों की किन नीतियों के चलते आज न्यू इंडिया की यह शक्ल दिखलाई पड़ रही है ।इस स्थिति को बदलने के लिए हमें विकास की वर्तमान अवधारणा को बदलने का सुनियोजित संगठित प्रयास करना होगा।वैकल्पिक विकास की नीति ,आर्थिक नीतियों , स्वावलंबी गाँव एवम् पर्यावरण सम्मत नीतियो को लागू करने के संघर्ष करना होगा । यह हमारा लॉकडाउन खुलने के बाद का लक्ष्य है परन्तु तत्काल यह जरूरी है कि हम प्रवासी मजदूरों सहित 43 करोड़ श्रमिकों - श्रमिकों की व्यथा को सरकार के समक्ष रखने तथा इन श्रमिकों के साथ एकजुटता जाहिर करने के लिए कल 10 अप्रैल को सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक उपवास करें । हमारी मांग है कि केंद्र सरकार सभी 43 करोड़ जरूरतमंदों को 5000 रुपये प्रतिमाह की व्यवस्था करें तथा राज्य सरकारें केंद्र सरकार के गृह एवम श्रम मंत्रालय द्वारा जारी द्वारा जारी एडवाइजरी का पालन करें ,जिसकी मांग देश के मान्यता प्राप्त 10 मजदूर संगठनों द्वारा लगातार की जा रही है। जो ऐसे साथी हैं ,जो डाइबिटीज या अन्य बीमारी से पीड़ित हैं ,वे मौन रखकर एकजुटता जाहिर करने के इस अभियान में शामिल हो सकते हैं। 102 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दुराई स्वामी,बंगलुरू , 97 वर्षीय डॉ जी जी पारिख ,मुम्बई ,प्रख्यात लेखक रामचन्द्र गुहा, कर्नाटक विधान परिषद के पूर्व उप-सभापति बी.आर. पाटिल, . युसूफ मेहर अली सेंटर की महामंत्री विजया चैहान, कर्नाटक के प्रसिद्ध गांधीवादी प्रसन्ना, राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष गणेश देवी,जनांदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर , जल पुरुष राजेन्द्र सिंह, पूर्व विधायक,कार्यकारी अध्यक्ष किसान संघर्ष समिति के डॉ .सुनीलम् व हिम्मत सेठ द्वारा उपवास करने की सूचना प्राप्त हुई है। हम जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की ओर से देशभर के आंदोलनकारी साथियों, समूहों, मानवतावादी इंसानों से अपील करते हैं कि वह कोरोना के कहर के समय मजदूरों के साथ अपनी एकजुटता दिखाते हुए इस कार्यक्रम में शामिल हो। हम महात्मा गांधी के आभारी हैं कि उन्होंने हमें एकल सत्याग्रह का भी रास्ता दिखाया।

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