आटा चक्कियों के संचालन पर असमंजस की स्थिति है, जिससे लोगों पर बहुत बड़ा असर पड़ रहा है, उन्हें सरकारी अनाज तो मिल जा रहा है पर फिर भी वो रोटी नहीं खा पा रहे हैं...
पटना,18 अप्रैल। बिहार के मुख्यमंत्री जी के द्वारा बेशक उदारता से कोरोनाबंदी में गरीबों व जरूरमंद लोगों की सुधि ले रहे हैं। जन वितरण प्रणाली दुकानों से गेहूं और चावल मिल रहा है।अब तो एक हजार रूपए भी मिल रहा है। सब को मिले रोटी की जनवकालत करने वाली रिंकी शर्मा ने कहा कि हुजूर! जब गरीब गेहूँ पिसा ही नहीं पाएगा तो सरकार द्वारा बाँटे गए गेहूँ से अपना पेट कैसे भरेगा? सब को मिले रोटी की जनवकालत करने वाली रिंकी शर्मा ने कहा कि हालांकि कई मीडिया रिपोर्ट में आया है कि लॉकडाउन में कुछ राज्यों में आटा चक्की खुल रही हैं, लेकिन कुछ राज्यों में आटा चक्कियों के बंद होने की भी खबरें आ रही हैं। आटा चक्कियों के संचालन पर असमंजस की स्थिति है। अगर सरकार लॉकडाउन के दौरान आटा चक्कियों को आवश्यक सेवाओं की सूची में डाल दे और राज्यों को उन्हें खुला रखने और सुरक्षित संचालन के साफ़ निर्देश दे तो लोगों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। ये पेटीशन सफल हुई तो विशेषकर गाँवों में जहाँ आज भी लोग पैकेट वाला नहीं बल्कि पीसा हुआ आटा खाते हैं, उनके लिए बड़ी राहत हो जाएगी।जब गरीब गेहूँ पिसा ही नहीं पाएगा तो सरकार द्वारा बाँटे गए गेहूँ से अपना पेट कैसे भरेगा? 21 दिन के लॉकडाउन में देश की जनता ने सरकार को अपना पूरा समर्थन दिया, पर आने वाले लॉकडाउन के दिनों के लिए सरकार को भी देश के गरीब नागरिकों के बारे में सोचना होगा।21 दिनों के लॉकडाउन के कारण आम जीवन एक प्रकार से रुक सा गया पर कोई भूख को कैसे रोक सकता है? मेरी पेटीशन साइन करिए ताकि किसी को रोटी खाए बिना ना सोना पड़े। कई मीडिया रिपोर्ट में आया है कि लॉकडाउन में आटा चक्की (आटा मिलों) के बंद होने के कारण लोगों के पास गेहूँ तो है पर आटा नहीं। कुछ राज्यों में आटा चक्की खुल रही हैं, लेकिन कुछ राज्यों में कई जगहों पर आटा चक्कियों के बंद होने की भी खबरे आ रही हैं। ये समस्या बड़ी है लेकिन इसका समाधान छोटा सा है, जिसके लिए मैंने ये पेटीशन शुरू की है। अगर सरकार लॉकडाउन के दौरान आटा चक्कियों को आवश्यक सेवाओं की सूची में डाल दे और राज्यों को उन्हें खुला रखने और सुरक्षित संचालन के साफ़ निर्देश दे तो लोगों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। आप सबसे अनुरोध है कि मेरी पेटीशन साइन करें और शेयर करें ताकि सरकार आटा चक्कियों को आवश्यक सेंवाओं में शामिल करे और सभी राज्यों को इस बाबत निर्देश जारी करे। इससे स्थानीय प्रशासन भी लोगों को सुरक्षित तरीके से आटा मुहैया कराने के लिए प्रेरित होगा। अगर ये पेटीशन सफल हुई तो करोड़ों लोगों को दो वक्त की रोटी पाने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। विशेषकर गाँवों में जहाँ आज भी लोग पैकेट वाला नहीं बल्कि पीसा हुआ आटा खाते हैं, उनके लिए बड़ी राहत हो जाएगी।
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