नई दिल्ली। कोरोना महामारी के इस अंधेरे समय में राजकमल प्रकाशन समूह की ओर से लगातार यह कोशिश है कि लॉकडाउन में लोग अपने-आप को अकेला महसूस न करें। कोरोना महामारी में हमारी लड़ाई दो तरफा है शारीरिक और मानसिक। घर पर रहकर अपना पूरा ध्यान रखते हुए, हम इस लड़ाई में समाज और देश के हित में सहायक कदम उठा रहे हैं। वहीं मानसिक रूप से अपने को मजबूत करना भी हमारी ज़िम्मेदारी है। इसी प्रयास के तहत राजकमल प्रकाशन के साथ #StayAtHomeWithRajkamal कार्यक्रम के अंतर्गत साहित्यकारों, रंगकर्मियों, अभिनेताओं और गीतकारों से रोज़ फ़ेसबुक लाइव के जरिए मुलाक़ात होती है। इस सार्थक पहल के बाद अब राजकमल प्रकाशन लेकर आया है 'पाठ-पुनर्पाठ' पुस्तिका। इसके तहत राजकमल प्रकाशन के आधिकारिक वाट्सएप्प नंबर से रोज़ कहानियाँ, कविताएं और लेख पाठकों से साझा किए जाएंगे। रोज़ अलग-अलग साहित्यिक कृतियों को एक जगह पीडीएफ में तैयार कर उसे पाठकों से साझा किया जाएगा। 18 अप्रैल की रात पहली पुस्तिका साझा की गई। आगे, 3 मई 2020 तक प्रतिदिन यह पुस्तिका पाठकों से साझा की जाएगी। इस पहल के बारे में बताते हुए राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, “सभी के लिए मानसिक खुराक उपलब्ध रहे, यह अपना सामाजिक दायित्व मानते हुए अब हम 'पाठ-पुनर्पाठ' पुस्तिकाओं की यह श्रृंखला शुरू कर रहे हैं। ईबुक और ऑडियोबुक डाउनलोड करने की सुविधा सबके लिए सुगम नहीं है। इसलिए हम अब व्हाट्सएप्प पर सबके लिए नि:शुल्क रचनाएँ नियमित उपलब्ध कराने जा रहे हैं। जब तक लॉक डाउन है, आप घर में हैं लेकिन अकेले नहीं हैं। राजकमल प्रकाशन समूह आपके साथ है। भरोसा रखें।“ इस पुस्तिका को पाठक वाट्सएप्प से आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। इन्हें प्राप्त करने के लिए राजकमल प्रकाशन समूह के व्हाट्सएप्प नम्बर 98108 02875 को फोन में सुरक्षित कर, उसी नम्बर पर अपना नाम लिखकर मैसेज भेज दें। आपको नियमित नि:शुल्क पुस्तिका मिलने लगेगी। राजकमल प्रकाशन समूह अपनी पूरी प्रतिबद्धता के साथ लॉकडाउन के इस समय में पाठकों के लिए हमेशा कुछ नया करने की कोशिश कर रहा है। 22 मार्च से लगातार चल रहे लाइव कार्यक्रमों के जरिए समूह के फ़ेसबुक पेज से जुड़कर लेखक और साहित्यप्रेमी लोगों से किताब और कला की बातें करते हैं। 90 से ज्यादा लेखक और साहित्य प्रेमी लाइव कार्यक्रम में भाग ले चुके हैं।
रविवार, 19 अप्रैल 2020
वाटसएप्प के जरिए राजकमल प्रकाशन समूह साझा कर रहा है साहित्यिक रचनाएं
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