नयी दिल्ली 31 मार्च, सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं में कोरोना वायरस ( कोविड 19) संक्रमण की जांच नि:शुल्क कराने का दिशानिर्देश केंद्र सरकार को देने सम्बन्धी एक याचिका मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में दायर की गई। पेशे से वकील शशांक देव सुधी ने शीर्ष अदालत के समक्ष यह याचिका दायर की है और तत्काल सुनवाई की मांग की है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि कोरोना संक्रमण की जांच के लिए निजी प्रयोगशालाओं में 4500 रुपए की फीस निर्धारित की गई है जो मनमाना और विवेकहीन निर्णय है। याचिका में कहा गया है कि कोरोना वायरस से संबंधित सभी परीक्षण नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फोर टेस्टिंग एंड कॉलिब्रेशन लेबोरिटीज़ (एन ए बी एल) से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं के तहत ही किए जाने चाहिए, क्योंकि गैर-मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएं वैश्विक मानकों के अनुरूप नहीं है। याचिका में सरकार को यह भी निर्देश देने की मांग की गई है कि वह सरकारी डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ सहित सभी निजी अस्पतालों के डॉक्टरों को समायोजित करने के लिए कहे ताकि वे प्रभावी रूप से महामारी के खिलाफ लड़ाई में शामिल हो सकें। याचिकाकर्ता ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) द्वारा 17 मार्च को जारी परामर्श को संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के प्रावधानों के खिलाफ बताया है और कहा है कि इस परामर्श में कोरोना वायरस के असाधारण स्वास्थ्य संकट में परीक्षण सुविधाओं की पहुंच में भेदभाव किया गया है।
बुधवार, 1 अप्रैल 2020
कोरोना संक्रमण की जांच निशुल्क कराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका
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