बड़ी तमन्ना से कृष्ण कुमार सिंह उर्फ शंभू सिंह ने अपनी पुत्री पूजा कुमारी को रूस की किर्गिस्तान शहर में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए भेजा था...
नवादा,04 जून। बिहार के नवादा जिले के वारिसलीगंज के मंजौर गांव में गमगीन माहौल कायम हो गया है। कृष्ण कुमार सिंह ने बहुत गर्व से 22 वर्षीया बिटिया पूजा कुमारी को Kyrgyzstan में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए भेजे थे। कृष्णा कुमार सिंह की बेटी थी जो पिछले 3 सालों से किर्गिस्तान के बिश्केक में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी। यह छात्रा किर्गिस्तान के बिश्केक में स्थित किर्गिस्तान स्टेट मेडिकल कॉलेज में थर्ड ईयर की छात्रा थी। अब फोर्थ ईयर की छात्रा है।
जानकारी के मुताबिक पिछले तीन दिनों से बीमार चल रही थी।उसे पेट में अचानक तकलीफ हुई जिसके बाद चिकित्सकों ने ऑपरेशन किया, पर वह ऑपरेशन टेबल से उठ नहीं सकीं।इलाज के दौरान सोमवार एक जून को की रात मौत हो गई। इसकी खबर मृतक पूजा की सहेली ने परिजनों को दी जिसके बाद परिजनों से लेकर गांव में शोक की लहर उठ गई।मौत की सूचना मिलते ही घर में हाहाकार मच गया।उसके परिवार के लोगों ने जिलाधिकारी समेत राज्य सरकार से बेटी के शव को भारत मंगवाने की गुहार लगाई है।पूजा के पार्थिव शरीर को नवादा लाने के लिए बिहार के सूचना और जनसंपर्क विभाग के मंत्री नीरज कुमार और स्थानीय सांसद चंदन सिंह ने भारत सरकार से किया है ।विदेश मंत्रालय जल्द से जल्द पार्थिव शरीर को घर लाने के लिए मदद करे ।
रूस के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि मंगलवार को भारत आने के लिए एक फ्लाइट है। मंगलवार को छात्रा का शव भारत नहीं आ सकेगा तो फिर 12 दिनों के बाद ही दूसरी फ्लाइट है। स्वजनों ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नवादा के जिलाधिकारी यशपाल मीणा से गुहार लगाई गई है। जहां से हर मदद करने का आश्वासन दिया गया है।घटना पर दुख व्यक्त करते हुए सांसद चंदन सिंह ने कहा कि पूजा का शव मंगाने के लिए सभी स्तर से प्रयासरत हूं। विदेश मंत्रालय व दूतावास से संपर्क किया गया है। हर हाल में शव मंगाया जाएगा।
पूजा के पिता नवादा में ब्लड बैंक चलाते हैं। पूरे परिवार नवादा शहर में रहते हैं। पूजा परिवार के साथ रहकर ही इंटर तक की पढ़ाई नवादा से पूरी की थी। इंटर में अच्छे अंक से पास करने के बाद मेडिकल परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन के बाद स्वजनों ने होनहार छात्रा का एडमिशन 2017 में रूस के किर्गिस्तान स्थित करगी स्टेट मेडिकल अकादमी बिश्केक में नामांकन कराया था। कोरोना फैलने के बाद लॉकडाउन लग जाने से मेडिकल कॉलेज बंद था। इस बीच स्वजनों ने छात्रा को घर आने के लिए कहा था लेकिन 28 जून को परीक्षा होने के कारण छात्रा घर नहीं लौट सकी थी।
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