नयी दिल्ली 03 जून, सरकार ने भारतीय औषध और होम्योपैथी के लिए औषधकोष आयोग की पुर्न स्थापना का निर्णय लिया है जो आयुष मंत्रालय के तहत अधीनस्थ कार्यालय के रूप में काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आज यहां हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी। इसके लिए गाजियाबाद में 1975 से स्थापित दो केन्द्रीय प्रयोगशालाओं फार्माकपीआ लेबोरेट्री फॉर इंडियन मेडिसिन (पीएलआईएम) और होम्योपैथिक फार्माकपीआ लेबोरेट्री (एचपीएल) का विलय किया गया है। वर्ष 2010 से भारतीय औषध और होम्योपैथी (पीसीआईएमऔरएच) के लिए औषधकोष आयोग एक स्वयत्तशासी संगठन के रूप में काम कर रहा है। इस विलय का उद्देश्य इन संगठनों की बुनियादी ढांचा सुविधाओं, तकनीकी जनशक्ति और वित्तीय संस्थानों का अधिकतम इस्तेमाल करना है ताकि आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी दवाओं के नतीजों के मानकीकरण में वृद्धि की जा सके। विलय के बाद औषधकोश और लिखे गए नुस्खे के विवरण के प्रकाशन और आयुष दवाओं के मानकों के केन्द्रीकरण तथा विकास को बढ़ावा मिलेगा। इससे पीसीआईएमऔरएच की अवसंरचना और इसकी प्रयोगशालाओं में आवश्यक संशोधन करके तथा औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम 1945 के प्रावधानों को कानूनी दर्जा प्रदान किया जा सकेगा। इस संबंध में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक, औषध महानियंत्रक, आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी औषध तकनीकी सलाहकार बोर्ड के साथ सलाह-मशविरा किया जा चुका है। वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग ने विलय किए गए संगठनों के पद और पदानुक्रम ढांचे को फिर से तैयार करने की सहमति दे दी है। विलय के बाद पीसीआईएमऔरएच के पास पर्याप्त प्रशासनिक ढांचा होगा जिससे औषधकोष कार्य की क्षमता तथा परिणामों में वृद्धि और आयुर्वेद, सिद्ध,यूनानी तथा होम्योपैथी औषधियों के औषधकोष मानकों के परस्पर हितों को हासिल करने का प्रयास किया जाएगा। इससे औषधियों के मानकीकरण के दोहराव को रोका जा सकेगा और संसाधनों का प्रभावी तरीके से अधिकतम इस्तेमाल हो सकेगा।
गुरुवार, 4 जून 2020
औषधकोष आयोग की पुर्न स्थापना को मंत्रिमंडल की मंजूरी
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