और वह रैयती जमीन की विधवा से और सरकार के द्वारा अधिग्रहित जमीन का मुआवजा भी डकार गया
पटना,21 जून . अल्पसंख्यक मुस्लिम मोईंन अहमद ने पड़ोसी स्व. मुर्तुजा कुरैसी की विधवा अनवरी खातून को जमकर चूना लगाया. अव्वल रैयती जमीन की कीमत विधवा से वसूला और फिर जाकर सरकार के द्वारा अधिग्रहित जमीन का मुआवजा भी डकार गया. इसको लेकर वह आजकल जोरदार चर्चा में हैं. पटना नगर निगम के द्वारा अधिग्रहित जमीन पर मकान बनाने के आरोप में विधवा की जमीन पर निर्मित मकान को तोड़ देने से हमीदपुर मोहल्ला के पड़ोसी लोग मोईंन अहमद कहते हैं कि यह क्या तूने कर दिया मोईंन अहमद साहब! इस बीच विधवा अनवरी खातून का भी निधन हो गया. अभी उसका दो पुत्र छत पर टेंट लगाकर रहने को बाध्य हैं. दीघा थाना क्षेत्र के हमीदपुर मोहल्ला व कुर्जी पुल के नीेचे प्रभावितों का घर है. पीड़ित राजू कुरैसी ने बताया कि मोईंन अहमद और अम्मी विधवा अनवरी खातून के साथ करार हुआ. वह कहा कि रैयती जमीन 48 हजार रूपये प्रति कट्टा की दर से बेचेंगे। दोनों के बीच में सहमति हो गयी. अनपढ़ महिला समझकर मोईंन अहमद ने अम्मी के साथ धोखेबाजी कर दिया. बिहार सरकार ने कुर्जी नाला निर्माण करने के 1970 में रैयती जमीन को अधिग्रहित कर ली थी. इस बात की जानकारी लोगों को नहीं थी. फिर चालाकी से मोईंन अहमद ने अनजान अम्मी के साथ ही धोखा कर दिया.उस समय हमलोग बच्चे थे. हमलोग 6 भाई और 2 बहन हैं. युसुफ कुरैसी और तवरेज कुरैसी दिव्यांग हैं. दोनों को सरकार के द्वारा पेंशन मिलता है. लड़का और लड़की मिलाकर 4 लोगों की शादी हो गयी है. उन्होंने ने कहा 1988 में तयशुदा राशि 48 हजार रूपये लेने के बाद जमीन मालिक मोईंन अहमद ने धुर्तबाजी से आधा कट्टा रैयती और आधा कट्टा अधिग्रहित जमीन को ही रजिस्ट्री करा दिया. किसी को किसी तरह की जानकारी नहीं दी गयी. जबतक दीघा ग्राम पंचायत राज व्यवस्था रही तबतक कुर्जी नाला और अधिग्रहित जमीन का लफड़ा नहीं हुआ.गरीबी रेखा के नीचे जीवन बसर करने वाले परिवार ने 2 तल्ला मकान बनाकर रहने लगे. राजू कुरैसी बताते हैं कि इस बीच दीघा ग्राम पंचायत को विघटन करके पटना नगर निगम का सृजन किया गया. अभी यह क्षेत्र पाटलिपुत्र अंचल में है. पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर-22 बी में हमीदपुर मोहल्ला है। इसे कुर्जी पुल के नीचे वाला क्षेत्र भी कहा जाता है। वार्ड पार्षद सुचित्रा सिंह हैं. इनका पतिदेव निलेश प्रसाद पार्षद प्रतिनिधि हैं। उन्होंने कहा कि 2019 में महानगर पटना में भयंकर जलजमाव हो गया था. बिहार सरकार और पटना जिला के अधिकारियों पर अकर्मण्यता का आरोप लगा. इनलोगों की खुब फजीयत हुई.बाढ़ का पानी नेताओं और अधिकारियों के घरों तक पहुंच गया.सरकार में नंबर-2 और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी इससे बाढ़ से बच नहीं पाए. महज तीन-चार दिनों से हो रही भयंकर बारिश की वजह से पूरा पटना डूब गया है. उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और दो पूर्व मुख्यमंत्रियों सतेंद्र नारायण सिंह एवं जीतन राम मांझी के घरों में भी पानी घुस गया. राज्य में 29 लोगों की मौत हो चुकी. पानी बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के राजेंद्र नगर स्थित आवास में भी घुस गया है. जिसके बाद एनडीआरएफ की टीम ने वहां पहुंचकर उनके परिवार को बाहर निकाला.इस साल जिला अधिकारियों से किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है. इस साल 2020 में भी पटना की हालत खराब न हो इस लिए नाला की सफाई की जा रही है. खुद जिला पदाधिकारी कुमार रवि मोर्चा संभाल रहे हैं. इसी क्रम में कुर्जी नाला पर अधिग्रहित जमीन पर निर्मित मकान को बुलडोजर से ढाह दिया गया.बारिश से पटना नगर निगम की कलई ने खुले प्रयास जारी है. इस समय 1970 में बिहार सरकार के द्वारा अधिग्रहित जमीन को 1988 में विधवा अनवरी खातून से 48 हजार रूपये में बेचने वाले मोईंन अहमद के चलते छत पर चांद कुरैसी और उनकी बीबी शमीमा खातून बच्चों के साथ और उसी तरह शहजाद कुरैसी और उनकी बीबी मन्नु खातून बच्चों के साथ टेंट लगाकर रहने को बाध्य हैं. यहां पर उनको पेयजल की किल्लत है. शौचालय के लिए पड़ोसी के पास जाना पड़ता है. प्रभावितों ने विधवा अनवरी और सरकार को चूना लगाने वाले मोईंन अहमद पर कानूनी कार्रवाई करने की मांग सरकार से की है. प्रभावितों को 10 डिसमिल जमीन देकर नुरूम से घर बनाने का आग्रह किये हैं.
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