लॉकडाउन के बाद से ही सिनेमाघर बंद पड़े हैं. इसके साथ ही सिनेमा इंडस्ट्री अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. हॉल के मालिक के साथ-साथ वहां काम करनेवाले कर्मचारी भी परेशान हैं.
जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव और इसकी रोकथाम के लिए पूरे देश में लॉकडाउन किया गया है. लॉकडाउन के बाद से ही सिनेमाघर बंद पड़े हैं. इसके साथ ही सिनेमा इंडस्ट्री अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. लॉकडाउन में सिनेमाघर लगातार बंद रहने की वजह से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को बेबसी का शिकार होना पड़ रहा है. 90 के दशक में जमशेदपुर में 19 बड़े हॉल हुआ करते थेबॉलीवुड की फिल्में जिस तरह से हर शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज होती है और दर्शकों को हर शुक्रवार अपने पसंदीदा फिल्म का इंतजार रहता है. ठीक इसी तरह से सिनेमाघरों में काम करने वालों को सिनेमाघर के खुलने का इंतजार है. जमशेदपुर का साकची कभी कालीमाटी के नाम से जाना जाता था. 90 के दशक में जमशेदपुर में 19 बड़े हॉल हुआ करते थे. जमशेदपुर के टाटा स्टील का इतिहास तकरीबन 113 साल पुराना है. औद्योगिक नगरी टाटा की स्थापना 1907 में की गई थी. शुरुआती दौर में शहर के कई सामुदायिक भवन परिसर में वीडियो फिल्म के जरिए फिल्म की शुरुआत की गई थी. वैश्विक महामारी में सिनेमाघरों में काम करने वालों के साथ कला संस्कृति से जुड़े लोगों के जीवन पर आर्थिक संकट गहरा चुका है. अब तो बदलते दौर में लोग सोशल साइट के जरिए मूवीज के साथ कई तरह के वेब सीरिज से अपना इंटरटेन कर रहे हैं. आने वाले समय में सिनेमाघरों के मालिकों के लिए एक चुनौती भरा समय रहेगा. कोरोना काल में फिल्म इंडस्ट्री की कमर टूट चुकी है. पिछले 17 मार्च से सिनेमाघरों के बंद होने से करोड़ों रुपए का नुकसान का आकलन किया जा रहा है. सिनेमाघर बंद होने से इस दौरान रिलीज होने वाली फिल्म सिनेमाघरों में प्रदर्शित नहीं होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े लोगों को भी काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. फिल्म इंडस्ट्री सरकार को करोड़ों रुपए राजस्व भी देती रही है. लेकिन लॉकडाउन के कारण फिल्म व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो चुका है. सिनेमाघरों के मालिकों ने सरकार से राजस्व में कुछ रियायत देने की मांग की है. ताकि इस व्यवसाय को जीवित रखा जा सके.
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