पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह किया गया हैं कि आप अपने पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की घोषणा को पूर्ण करें.बिहार विधान परिषद में 2014 में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए विधान पार्षद दिलीप कुमार जायसवाल ने विख्यात स्वतंत्रता सेनानी मुंगेरी लाल के जन्म स्थल कुर्जी ग्राम का नाम बदलकर मुंगेरी ग्राम करने का प्रस्ताव में पेश किया था. इसके आलोक में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कुर्जी ग्राम को मुंगेरी ग्राम करने का ऐलान विधान परिषद में कर दिये.आज साढ़े पांच साल के बाद भी मुंगेरी बाबू के जन्म स्थल कुर्जी ग्राम का नाम परिवर्तन करके मुंगेरी ग्राम करने का ऐलान का अमल नहीं करवाया जा सका है. लोक कहावत की तरह ही मुंगेरी ग्राम का ऐलान परिवार वालों के लिए मुंगेरी लाल का हसीन सपना बनकर रह गया है. कुर्जी ग्राम में आम चर्चा है कि सादगी के प्रतिमूर्ति थे स्वतंत्रता सेनानी मुंगेरी लाल. अभाव में ही जिंदगी काटे. आप अपने आप में ही ‘संस्था‘ थे.पिछड़ा वर्ग के प्रथम अध्यक्ष मुंगेरी लाल जी थे. बिहार सरकार के मंत्री भी थे.बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे.उनका कुर्जी ग्राम में एक तल्ला मकान है. यहीं से कांग्रेस मुख्यालय जाते थे. उम्रदराज होने के बाद भी सदाकत आश्रम मुख्यालय जाते थे. उसके बाद ब्रज किशोर स्मारक संस्थान द्वारा संचालित पुस्तकालय में अखबार पढ़ने जाते थे. उनका पौत्र कुमार गौरव उर्फ सोनू कहते हैं कि बिहार सरकार खुश होकर कोटिल्य नगर में सवा कट्टा जमीन दी है. जो परती ही रह गयी है. परिवार की माली हालत खराब होने के कारण कुर्जी ग्राम में मकान का जीर्णोद्धार नहीं हो पा रहा है. उसी तरह कोटिल्य वाली जमीन की परती पड़ी हुई है. उनका कहना है कि दादा जी का बस यही संपति है. मुंगेरी लाल दादा का सपना साकार करने कुमार गौरव उर्फ सोनू बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सदस्य बने. यह सोचा था कि कांग्रेस वाले दादा के चलते विधान पार्षद अथवा किसी कमिटी के अध्यक्ष बना देंगे. जिससे भविष्य उज्जवल होगा.परन्तु. ऐसा नहीं हो सका. वहां तो अंधकारा ही छाने लगा. 15 साल लालू और राबड़ी जी की सरकार और 15 साल नीतीश और सुशील जी का राज है. इसके आलोक में कुमार गौरव का कांग्रेस से ही मोहभंग हो गया. कुमार गौरव उर्फ सोनू कहते हैं कि दादा जी केवल पुण्यतिथि के अवसर पर ही याद आते हैं.पटना प्रमंडल के आयुक्त के द्वारा राज्यस्तरीय नेताओं का जन्म दिन और पुण्य तिथि की सूची बनायी गयी है. इस सूची के माध्यम से ‘राज्य समारोह‘ का पता चलता है. इसमें स्वतंत्रता सेनानी मुंगेरी लाल का जन्म दिन अंकित नहीं है. केवल 29 जून को पुण्य तिथि अंकित है.उनका कहना है कि दादा जी का जन्म 01 जनवरी 1904 में हुआ है.
खैर, एक स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व मंत्री का परिवार दुखित है. यह परिवार है पिछड़ा वर्ग के प्रथम अध्यक्ष मुंगेरी लाल जी का. बिहार सरकार मुंगरी बाबू का जन्म दिन 01 जनवरी 1904 को मनाती नहीं है और सिर्फ 29 जून को पुण्यतिथि पर राजकीय समारोह आयोजित करती है. वर्ष 2014 की बात है. बिहार विधान परिषद में विधान पार्षद दिलीप कुमार जायसवाल ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए कुर्जी ग्राम का नाम बदलकर मुंगेरी ग्राम करने का प्रस्ताव में पेश किया था. इसके आलोक में सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुंगेरी ग्राम का ऐलान परिषद में कर दिये थे. जो साढ़े पांच साल के बाद भी आजतक मुंगेरी बाबू के जन्म स्थल कुर्जी ग्राम का नाम परिवर्तन कर मुंगेरी ग्राम नहीं कर सके. इसे परिवार वाले मुंगेरी लाल का हसीन सपना करार देते हैं. स्थानीय कुर्जी मोहल्ला को अब मुंगेरी ग्राम कहलाएगा. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने 2014 में (दिसम्बर माह) विधान परिषद में इसकी घोषणा की थी.विधान पार्षद दिलीप कुमार जायसवाल ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह मांग सदन में उठाई थी.उस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी सदन में मौजूद थे. श्री जायसवाल ने कहा था कि मुंगेरी लाल प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी और राज्य के मंत्री रहे. वे कुर्जी के निवासी थे. स्वतंत्रता आंदोलन में वे जेल भी गए. परिषद में तब के नेता प्रतिपक्ष सुशील मोदी ने भी इस मांग का समर्थन किया और मुख्यमंत्री से इसकी घोषणा की अपील की थी. रामवचन राय समेत कई अन्य ने भी इसका समर्थन किया. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बात सही है कि मुंगेरी लाल बड़े नेता और गरीबों के मसीहा थे. सदन और विपक्ष के नेता की भावना को देखते हुए कुर्जी का नामकरण मुंगेरी ग्राम करने की घोषणा करता हूं. इस ऐलान से लोग खुश हुए. आसपास के लोग पूर्व मंत्री मुंगेरी लाल के परिजनों को मुबारकवाद देने लगे. इसके बाद सरकार से परिजनों ने पिछड़ी जाति के मुंगेरी आयोग के अध्यक्ष मुंगेरी लाल की प्रतिमा लगाने की मांग करने लगे. उन्होंने कहा कि यह कोई जरूरी नहीं है कि प्रतिमा मुंगेरी ग्राम में ही लगे. राजधानी के किसी हिस्से में लगाया जा सकता है.बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अशोक कुमार, वरिष्ठ सदस्य सिसिल साह, धनजंय कुमार यादव आदि ने मुख्यमंत्री को साधुवाद दिया था.
सामाजिक न्याय के पुरौधा स्व. मुंगेरी लाल की 19वीं पुण्यतिथि
स्वतंत्रता सेनानी एवं सामाजिक न्याय के पुरोधा स्व. मुंगेरी लाल जी की 19 वीं पुण्यतिथि है. कुमार गौरव उर्फ सोनू ने कहा कि श्री मुंगेरी लाल जी ने स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाई एवं कई बार जेल गए. 1952 में पटना पश्चिम विधान सभा क्षेत्र से चुन कर बिहार विधान सभा के सदस्य बने. 1952 से 1977 तक लगातार विधान सभा एवं विधान परिषद के सदस्य रहे एवं बिहार सरकार के विभिन्न विभागों में मंत्री के रूप में अपना दायित्व निभाया. मुंगेरी बाबू बिहार में गठित पहले पिछड़ा आयोग के अध्यक्ष रहे. यह आयोग मुंगेरी लाल आयोग के नाम से जाना जाता है. मुंगेरी लाल आयोग रिपोर्ट सामाजिक न्याय पर एक अति विस्तृत अध्ययन है. इस रिपोर्ट के माध्यम से मुंगेरी लाल जी ने सामाजिक स्थिति का संज्ञान लेते हुए अनेक अनुशंसा की थी जो सिर्फ उस समय की सामाजिक परिस्थिति ही नही बल्कि आज के समाज एवं सामाजिक न्याय के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है. उन्होंने रिपोर्ट में समाज के पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की अनुशंसा की एवं साथ ही सामान्य वर्ग के निर्धन एवं महिलाओं के लिए भी आरक्षण की अनुशंसा की जो आज भी समाज की आवश्यकता है. मुंगेरी बाबू बिहार दलित वर्ग संघ एवं बिहार खेतिहर मजदूर संघ के भी अध्यक्ष रहे. उनके जीवन का मूल मंत्र सादा जीवन उच्च विचार रहा. मुंगेरी लाल जी प्रखर गांधीवादी थे. वे पटना स्थित गांधी संग्रहालय से जीवन पर्यंत जुड़े रहे. बिहार स्वतंत्रता सेनानी संघ के अध्यक्ष के रूप में भी अपना दायित्व निभाया.
29 जून,2001 में निधन हुआ
बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के कार्यकारी अध्यक्ष रहे एवं कांग्रेस पार्टी के संगठन में विभिन्न पदों पर अपनी भूमिका निभाई.मुंगेरी बाबू के ओजस्वी एवं सार्थक जीवन का अंत 29 जून, 2001 को पटना के कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल में हुआ.मुंगेरी लाल जी के सम्मान में एवम इनके प्रेरणादायी उच्च विचारो एवं आदर्श को समाज एवं युवाओं के बीच पहुंचाने हेतु जनतांत्रिक चेतना मंच जो एक गैर राजनीतिक संस्था है, ने एक पहल की है.
कुर्जी मोहल्ला का नाम को बदलकर मुंगेरी ग्राम करना था
पटना प्रमंडल के आयुक्त के द्वारा राज्यस्तरीय नेताओं का जन्म दिन और पुण्य तिथि की सूची बनायी गयी है. इस सूची के माध्यम से ‘राज्य समारोह‘ का पता चलता है। इसमें स्वतंत्रता सेनानी मुंगेरी लाल का जन्म दिन अंकित नहीं है. केवल 29 जून को पुण्य तिथि अंकित है. सदाकत आश्रम स्थित डाकघर में 2014 के बाद से 6 वर्षों में मुंगेरी ग्राम का पता से लेटर न आया और न ही गया है. इसका मतलब सारी प्रक्रिया कागज में ही सिमटकर रह गयी. 19 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह हैं कि आप पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की घोषणा को पूर्ण कर दें.कुर्जी मोहल्ला का नाम बदलकर मुंगेरी ग्राम घोषित कर दें.
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