जमशेदपुर झारखंड की खोती हुई कला धालभूमगढ़ की पाटकर पेंटिग को जमशेदपुर की कला सास्कृतिक संस्था 'कला मंदिर' ने मास्क पर उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिससे मास्क की खुबसूरती बढ़ रही है. फिलहाल इसके चार तस्वीरों का चयन किया गया है.
जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) कोविड-19 की वजह से लोगों के जीने का तरीका ही बदल गया है. अब घरों से बिना मास्क के निकलना संभव नहीं है. इसी कड़ी में लोगों को लुभाने के लिए बाजारों मे तरह-तरह के मास्क मिल रहे हैं. जमशेदपुर की कला सास्कृतिक संस्था 'कला मंदिर' ने मास्क के मामले में एक प्रयोग किया है. संस्था ने झारखंड की खोती हुई कला धालभूमगढ़ की पाटकर पेंटिग को मास्क पर उपयोग करना शुरू कर दिया है, जिससे मास्क की खुबसूरती बढ़ रही है. फिलहाल इसके चार तस्वीरों का चयन किया गया है. यही नहीं कला मंदिर मास्क के लिए सरायकेला का प्रसिद्ध छऊ नृत्य के मुखौटों का भी प्रयोग किया गया है, जिसमें सरायकेला खरसावा जिले के ईचागढ़ के चोंगा में रहने वाले चार परिवार का सहयोग लिया गया है. छऊ मुखौटा को इस प्रकार बनाया गया है कि उसे आसानी से पहना जा सकता है. इस मुखौटा के अंदर दो लेयर के मास्क लगाकर पहना जाता है. कला मंदिर के संस्थापक अमिताभ घोष ने बताया कि लॉकडाउन के समय उन लोगों को कोई काम नहीं था. कला मंदिर झारखंड की सास्कृतिक संस्था को लेकर काफी कुछ कर रही है. उन्होंने कहा कि उनकी टीम ने सबसे पहले पाटकर पेंटिग पर प्रयोग किया. वह सफल होने के बाद छउ मुखौटा पर प्रयोग किया और उसमें भी सफलता मिली. उन्होंने कहा कि जल्द ही संताल भित्ती चित्र और सोहराय पर भी मास्क बनाने की योजना है. संस्थापक ने बताया कि इन मास्कों की कीमत भी काफी कम रखी गई है. तस्वीरों के साथ इन मास्कों की कीमत पचास रूपए और छऊ वाली मास्क की कीमत 125 रुपये है. इसे बेचने के लिए सोशल मीडिया के प्लेटफार्म का उपयोग किया जा रहा है और छऊ मास्क का तो विदेशों से भी ऑर्डर मिलने लगे हैं, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण अभी विदेशों में मास्क नहीं भेजा जा रहा है. कला मंदिर में फिलहाल सौ मास्क बनाए जा रहे हैं.
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