सुशांत तुम्हारे चले जाने की जैसे मनहूस खबर आयी, मुझे गुजरे कल की बातें याद आने लगी। तुमसे हुई चंद मुलाकातों की हंसती तस्वीरों में आज उदासी उभर आयी। मुंबई की चकाचौंध भरी जिंदगी में मलीनता के दौर में भी जब कभी नजर पड़ती तो पड़ोस में रहने वालों को एक नौजवान सुशांत नजर आता था, जिसकी मुस्कुराहट कितनों के उदास पड़ी जिंदगी में हौसलों के रंग भर देते थे। अचानक से वो खुद ही इतना शांत हो गया कि इलाके में सन्नाटा पसर गया। मायानगरी मुंबई से लेकर बिहार की गलियों में सुशांत का जाना अफसोस और टीस पैदा कर गया। सबकी जुबां पर बस एक ही बात, आखिर ऐसा क्यों किया ? तुम्हें जिसने बाइक चलाना सिखाया, कम से कम अपनी उस बड़ी बहन की खातिर तो रुक जाते। तुम्हारा जाना एक छोटे से शहर के बड़े सपनों का दुनियाबी हकीकत के सामने टूट जाना है। क्या सच में ये साल हमें अपनों से इतना दूर कर देगा? पटना स्थित राजीव नगर घर पर पिता के के सिंह जो कल तक अपने लाडले की बातें और फिल्मों का जिक्र करते नहीं थकते थे, उसी बेटे की मौत की खबर ने उन्हें खामोश कर दिया। कुछ भी बोल नहीं रहे हैं। पिता के सामने बेटे का चला जाना दुनिया का सबसे बड़ा दर्द है, मगर शायद वक्त को यही मंजूर था। जिस चिराग के सहारे जिंदगी गुलजार थी उसके असमय बेवजह चले जाना के.के.सिंह के जीवन में घूप्प अंधेरा कर गया।
डांस से करियर की हुई शुरुआत
फिल्मी सफर तय करने के लिए सुशांत ने बतौर डांसर अपने कदम रखे। टीवी सीरियल 'पवित्र रिश्ता' ने उन्हें खास पहचान दी। उनके टीवी करियर की शुरूआत ‘किस देश में है मेरा दिल’ नामक सीरियल से हुई। वे डांस रियलिटी शो ‘जरा नच के दिखा 2' और 'झलक दिखला जा 4' में भी नजर आए थे। 'काय पो चे’ फिल्म से वो बड़े पर्दे की ओर मुखातिब हुए। उनकी अन्य चर्चित फिल्मों में 'शुद्ध देसी रोमांस' व 'पीके' शामिल हैं। सुशांत ने महेंद्र सिंह धोनी पर बनी बायोपिक में धोनी का किरदार निभाकर अपने किरदार का इंडस्ट्री को लोहा मनवाया। बिहार की मिट्टी से मायानगरी तक का सफर तय करने वाले सुशांत सिंह राजपुत ने काफी संघर्ष करके अपनी पहचान बनायी थी। लेकिन ऐसी कौन सी मनहूस छाया पड़ी जो अब सिर्फ यादों में रह जाएंगे।
आखिर सुसाइड के पीछे क्या है कारण
जहां कल तक उम्मीदों के चिराग जल रहे थे। बिहार की मिट्टी से डायरेक्टर सुशांत इधर कुछ समय से डिप्रेशन में थे। इसके पहले इसी साल 8 जून को उनकी मैनेजर दिशा सलियन ने मुंबई में 12 वीं मंजिल से कूदकर सुसाइड कर लिया था। इसके बाद आज सुशांत की सुसाइड का उस घटना से कोई रिश्ता है या नहीं, पुलिस इसकी भी पड़ताल कर रही है।
सदमें में परिवार
बिहार के पूर्णिया जिले के बी.कोठी प्रखंड स्थित मलडीहा के रहने वाले सुशांत का ननिहाल खगडि़या जिले के बोरने गांव में है। पिता केके सिंह पटना के राजीव नगर स्थित अपने घर में एक केयरटेकर के साथ रहते हैं। बेटे की मौत की खबर सुनकर पिता के के सिंह जो कि सरकारी अधिकारी से अवकाश प्राप्त सदमे में कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। सुशांत के परिवार में पिता के अलावा चार बहनें हैं। वे सभी बिहार से बाहर रहतीं हैं। उनमें एक मितू सिंह राज्य स्तरीय क्रिकेट खिलाड़ी हैं। सुशांत अपनी मां से काफी अनुराग रखते थे। पटना के राजीवनगर में रहकर प्रारंभिक शिक्षा राजधानी के सेंट कैरेंस स्कूल में हुई थी। 2002 में सुशांत की माता का निधन हुआ इसके बाद वे दिल्ली चले गए। दिल्ली में सुशांत ने कुलाची हंसराज स्कूल से पढ़ाई की। सुशांत ने डीसीई परीक्षा 2003 में पास किया था। इसके बाद दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में नामांकन कराया था। सुशांत की खुदकुशी की वजह का अब तक पता नहीं चल सका है। 21 जनवरी 1986 को जन्म सुशांत के बारे में बताया जाता है कि वे कुछ दिनों से डिप्रेशन में थे। सुशांत सिंह राजपूत वर्ष 2019 में 17 वर्ष के बाद अपने पैतृक गांव पूर्णिया के बड़हरा कोठी के मलडीहा आए थे। लेकिन किसे पता था कि जिस मिट्टी में पले बढ़े लोगों से मिले वही आखिरी सफर बनकर रह जाएगी।
मुरली मनोहर श्रीवास्तव
पटना
मो.9430623520
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