जनांदोलनों और पार्टी के दैनंदिन जीवन का हिस्सा बनेगा सोशल मीडिया
पटना, कोरोना व लाॅकडाउन काल में सोशल मीडिया प्लेटफार्म की जनांदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका देखते हुए भाकपा-माले ने सोशल मीडिया को पार्टी के दैनंदिन जीवन का हिस्सा बनाने का निर्णय किया है. आज जूम पर पार्टी की सोशल मीडिया की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सोशल मीडिया के सभी मोर्चों पर अपने काम को युद्ध स्तर पर गति प्रदान करना है तथा ऊपर से लेकर नीचे तक प्रचार का सशक्त माध्यम खड़ा करना है. बैठक में यह बात साफ तौर पर उभर कर आई कि सोशल मीडिया के उपयोग में तेजी से आए परिवर्तन ने उसे अब प्रमुख राजनीतिक हथियार बना दिया है और उसका महत्व पहले की तुलना में कई गुणा बढ़ चुका है. अब वह जनांदोलनों को नई गति प्रदान करने का सबसे सशक्त माध्यम बन गया है. सोशल मीडिया के ही जरिए भाकपा-माले आज तकरीबन 2 लाख प्रवासी मजदूरों के सीधे संपर्क में है और उसने ट्वीटर व अन्य माध्यमों के जरिए लाॅकडाउन के दौरान जहां तक संभव हो सका, उन लोगों को राहत प्रदान करने का काम किया. बिहार आए प्रवासी मजदूरों के सर्वे अभियान के दौरान भी उनसे नंबर इकटठे किए गए हैं. इन मजदूरों के साथ नीतीश कुमार का विश्वासघात एक बार फिर से खुलकर सामने आया है. नीतीश कुमार ने कहा था कि इन लोगों को बिहार में ही उनकी क्षमता के अनुसार काम मिलेगा, लेकिन ऐसा कहीं नहीं हो रहा है. मजदूर एक बार फिर रोजी-रोजगार की तलाश में वापस लौटने लगे हैं. इसकी बजाए भाजपा व जदयू बिहार में वर्चुअल प्रचार में लग गए हैं और बिहार चुनाव को हड़पने की कोशिश कर रहे हैं. प्रवासी मजदूरों, छात्र-नौजवानों, दलित-गरीबों और विभिन्न प्रकार के जनांदोलनों को इस दौर में जब फिजिकल ऐक्टिविटी पर बहुत सारे प्रतिबंध है, भाकपा-माले ने गांव स्तर पर व्हाट्सएप ग्रुप और ब्राॅडकास्ट बनाने का निर्णय किया है. अभी कुल मिलाकर पार्टी के पास 20 हजार व्हाट्एपग्रुप हैं, जिसे जुलाई के अंत तक बढ़ाकर चालीस हजार करने का निर्णय किया गया है.
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