स्व. पत्रकार विक्रम जोशी के परिवार को एक करोड़ की आर्थिक सहायता देने की मांग
नई दिल्ली(अशोक कुमार निर्भय)। नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स-इंडिया, दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन और यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय विक्रम जोशी के परिवार को एक करोड़ रुपए की सहायता एवं उनकी पत्नी को सरकारी नौकरी देने और बेटियों की शिक्षा का व्यवस्था करने की मांग की है। एनयूजे के अध्यक्ष रास बिहारी, दिल्ली जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश थपलियाल, महासचिव के पी मलिक और उपजा के अध्यक्ष रतन दीक्षित ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियबाद में पत्रकार की गोली मारकर की गई हत्या से मीडिया जगत में भारी रोष व्याप्त है। प्रदेश में पुलिस तंत्र पूरी तरह विफल हो चुका है। दिल्ली से लगते गाजियाबाद और नोएडा में खराब कानून व्यवस्था के कारण ही पत्रकारों पर लगातार हमले हो रहें हैं। जाहिर है कि पत्रकार विक्रम जोशी की मंगलवार देर रात इलाज के दौरान गाज़ियाबाद के यशोदा हस्पताल में मौत हो गई। बीते सोमवार को बदमाशों ने उनकी पिटाई करने के बाद सिर में गोली मार दी थी। विक्रम जोशी गाजियाबाद के प्रताप विहार में रहते थे, हमले के वक्त बाइक पर पत्रकार की दो बेटियां भी बैठी थीं। पुलिस में कई दिन पहले शिकायत किए जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं किये जाने पर गाजियाबाद पुलिस की ऐसी कार्यशैली पर लगातार प्रश्न उठ रहे है। एनयूजे अध्यक्ष रासबिहारी ने पत्रकार विक्रम जोशी की हत्या की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से तत्काल मामले का संज्ञान लेते हुए लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। पत्रकारों की हत्या और फर्जी मुकदमें दर्ज करने के खिलाफ संसद पर प्रदर्शन किया जाएगा। डीजेए के महासचिव के पी मलिक ने कहा कि प्रदेश में पत्रकारों के खिलाफ लगातार फर्जी मुकदमे लिखते हुए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है। योगी सरकार में इनकाउंटर का एक बड़ा सिलसिला भी अपराध की रोकथाम में नाकामयाब रहा है। सवाल उठता है कि जो सरकार आम नागरिकों, अपने पुलिसकर्मियों की रक्षा नही कर सकती वो खबरनवीसों की रक्षा क्या करेगी? आज जानकारी मिली है कि लखनऊ पुलिस की नाकामी पर खबर लिखने पर पत्रकार सुनील कुमार के खिलाफ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति की धाराओं के तहत फ़र्ज़ी मुकदमा पंजीकृत किया है। इस प्रकार के मामलों को पत्रकारों की अस्मिता पर हमला और सरकार के उदासीन रवैये को देखते हुए, प्रेस क्लब से प्रधानमंत्री कार्यालय तक मार्च करने का निर्णय लिया गया है।
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