पटना (आर्यावर्त संवाददाता) देश भर में 12 संस्थानों का चयन किया है,इसमें पटना एम्स भी है.जहां कोरोना वैक्सीन का ट्रायल होगा.इन संस्थानों को 7 जुलाई तक विषय नामांकन (सब्जेक्ट एनरॉलमेंट) शुरू करने के लिए कहा गया है. यहां कोरोना वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल होगा. दो जुलाई की तारीख वाले पत्र में लिखा गया है, "सभी नैदानिक परीक्षणों के पूरा होने के बाद 15 अगस्त 2020 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपयोग के लिए वैक्सीन लॉन्च करने की परिकल्पना की गई है. बीबीआईएल लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है, हालांकि अंतिम परिणाम इस परियोजना में शामिल सभी नैदानिक परीक्षण साइटों के सहयोग पर निर्भर करेगा." इस बीच भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषषद आइसीएमआर के महानिदेशक डॉक्टर बलराम भार्गव की ओर से गुरवार को वैक्सीन के ट्रायल के लिए चुने गए एक दर्जन संस्थान निजाम्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एनआईएमएस) हैदराबाद, किंग जॉर्ज अस्पताल, (विशाखापट्टनम), यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (रोहतक), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली और एम्स पटना शामिल हैं.
इन संस्थानों को लिखे गए पत्र में उल्लेख है कि हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) के साथ स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन (बीबीवी152 कोविड वैक्सीन) के तेजी से परीक्षण के लिए साझेदारी की है. इसने उल्लेख किया कि यह भारत द्वारा विकसित किया जा रहा पहला स्वदेशी वैक्सीन है और सर्वोच्च प्राथमिकता वाली परियोजनाओं में से एक है, जिसकी निगरानी सरकार द्वारा शीर्ष स्तर पर की जा रही है.इससे वहीं साफ होता है कि भारत दुनिया के अन्य देशों को पीछे छोड़ने की तैयारी में है.डॉक्टर भार्गव के अनुसार इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल जल्द से जल्द पूरा करने का फैसला किया गया है ताकि 15 अगस्त को इसे आम लोगों के लिए लांच किया जा सके. इससे पहले आईसीएमआर के डायरेक्टर जनरल का भारत बायोटेक को लिखा एक पत्र लीक हुआ था. इसमें भी वैक्सीन के 15 अगस्त तक तैयार होने की बात कही गई थी॰ पत्र में कहा गया था कि आदेश का पालन नहीं करने को बहुत गंभीर माना जाएगा, इसलिए आपको सलाह है कि आप इस प्रोजेक्ट को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दें और तय समय में इसे पूरा करें.इस पर आईसीएमआर ने कहा था कि इस पत्र का उद्देश्य परीक्षण में तेजी लाना था, ताकि नतीजे जल्द मिल सकें. वैक्सीन के सार्वजनिक उपयोग में तो काफी समय लगेगा.
पटना एम्स के निदेशक डॉ पीके सिंह ने बताया कि शनिवार को संबंधित कंपनी व विभागीय अधिकारियों के साथ वीडियो कॉंफ्रेंसिंग पर चर्चा हुई. बाद में वैक्सीन आएगी। दवा की डोज देने से पहले डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा.इसके बाद ट्रायल आरंभ होगा.पटना एम्स की तरफ से इस बात को लेकर तैयरियां शुरू हो गई है. आइसीएमआर और भारत बायोटेक की साझेदारी से तैयार इस वैक्सीन का जानवरों पर परीक्षण सफल रहा है.अब इसके मानव परीक्षण की प्रक्रिया शुरू हो गई है. पटना एम्स के निदेशक डॉ पीके सिंह ने बताया कि पटना में कोरोना का कहर जारी रहने से जिला प्रशासन बेचैन है.आननफानन में एम्स पटना को जल्द ही कोरोना डेडिकेटेड अस्पताल में तब्दील कर दिया जाएगा. यहां सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों की जांच और इलाज होगा. अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए अब 50 की बजाय 500 बेड उपलब्ध होंगे। अस्पताल प्रशासन इसकी तैयारी पूरी कर चुका है. अगले तीन से चार दिनों में इसकी घोषणा भी हो जाएगी. इसके बाद यहां कोरोना के सिवा अन्य किसी भी बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज अगले आदेश तक बंद रहेगा.फिलहाल एम्स में कोरोना आइसोलेशन वार्ड में संक्रमितों के लिए 50 बेड उपलब्ध हैं. कोरोना अस्पताल में तब्दील करने के लिए निदेशक की अध्यक्षता में अधीक्षक व एम्स के वरीय चिकित्सकों की एक बैठक हो चुकी है. बैठक में शामिल एक वरीय चिकित्सक के अनुसार, संस्थान को कोरोना अस्पताल में बदलने का निर्णय ले लिया गया है.जल्द ही यह कोरोना अस्पताल में तब्दील हो जाएगा.
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