राजनीति, अपराध और विकास
कानपुर में आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर रोंगटे खड़ा कर देने वाली घटना का दुर्दांत अपराधी विकास दुबे आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ गया। लेकिन विकास दुबे ने पुलिस की गिरफ्त में आने तक कई ऐसे सवालों को प्रादुर्भित किया है, जो शासन और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गहरे सवाल खड़े कर रहा है। इसमें सबसे पहली बात तो यह है कि एक दिन पूर्व फरीदाबाद में दिखाई दिया विकास आखिर महाकाल की नगरी उज्जैन तक कैसे पहुंचा। जाहिर है कि यह यात्रा करते समय उत्तरप्रदेश के रास्ते का उपयोग भी किया होगा। उज्जैन तक आने में विकास निश्चित रूप पुलिस को कई बार चकमा देने में भी सफल रहा होगा। कानपुर हत्याकांड का मुख्य आरोपी विकास दुबे निश्चित रूप से राजनीति और अपराध के सामंजस्य का जीता जागता प्रमाण है। विकास दुबे का पूरा इतिहास इस तथ्य की गवाही दे रहा है। वर्तमान में वह समाजवादी पार्टी के लिए राजनीति कर रहा था। इतना ही नहीं उसकी पत्नी ऋचा दुबे सपा की ओर से निर्वाचित जन प्रतिनिधि थी। तभी तो कहा जाता है कि बिना राजनीति और पुलिस के संरक्षण के कोई व्यक्ति अपराध की ओर प्रवृत्त नहीं हो सकता। विकास दुबे के पुलिस के अधिकारियों के साथ मिलीभगत थी। कानपुर में पुलिस के छापे की खबर भी उसको पुलिस के माध्यम से ही मिली थी। हालांकि इस मामले में दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार भी कर लिया है। अभी इस मामले में और नाम भी सामने आ सकते हैं।
राजनीति को अपराध मुक्त करने के लिए समय समय पर आवाज मुखरित होती रही है। यह लोकतंत्र को स्वस्थ रखने के लिए बहुत ही आवश्यक है। कहा जाता है कि अगर राजनीति अपराधियों के चंगुल में आ गई तो फिर राजनीति का स्वरूप कैसा होगा, यह हम समझ सकते हैं। हमने फिल्मों में भी देखा होगा कि हर बड़ा राजनेता कोई न कोई बड़ा आपराधिक कृत्य करता ही है। इसमें उसका राजनीतिक कद उसको सुरक्षित करने का ही काम करता है। किसी के मकान पर कब्जा करना, किसी की जमीन हथियाना, यह सब ऐसे ही आपराधिक प्रवृत्ति वाले राजनेताओं का काम है। विकास दुबे को हम अगर आपराधिक प्रवृत्ति का राजनेता लिखें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। विकास दुबे को लेकर उत्तरप्रदेश के विपक्षी राजनीतिक दल मुखर होकर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ पर हमला कर रहे हैं, लेकिन एक सवाल यह है कि उन्होंने विकास दुबे के विरोध में एक शब्द भी नहीं बोला। विपक्षी दल के नेताओं के बयान यह साबित कर रहे हैं कि उत्तरप्रदेश में जो अपराध हो रहे हैं और विकास जैसे अपराधी को पनपाने में योगी सरकार का हाथ है। हालांकि अपराध रोकना सरकार की जिम्मेदारी होती है, लेकिन विपक्ष की भी उतनी ही जिम्मेदारी है। विपक्ष को भी यह सोचना चाहिए कि उत्तरप्रदेश में उनकी भी सरकार रही है और विकास उस समय भी अपराध करता था, इसलिए यह कहना समुचित है कि आरोप लगाना बहुत ही सरल है, उसका हल निकालना मुश्किल कार्य है। विपक्ष ऐसे मामलों में सरकार का साथ दे तो राजनीति को अपराध और अपराधियों से मुक्त किया जा सकता है।
पांच लाख के इनामी अपराधी विकास के बारे में यह तो पहले दिन से ही तय हो चुका था कि वह इधर उधर कितना भी भाग ले, लेकिन उसके बचने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। मुठभेड़ में विकास दुबे की ओर से पुलिस दल पर कहर बनकर टूटे उसके समर्थक विकास की बड़ी ताकत थे, पुलिस ने योजना पूर्वक विकास की इस ताकत को नेस्तनाबूद किया। अभी हाल ही में विकास के एक साथी अमर दुबे को ढेर किया जाना, विकास के लिए एक गहरा धक्का ही था। विकास के सभी साथी अब खुफिया तंत्र के राडार पर हैं और जहां से विकास के मुखबिरी की जाती थी, वह भी लगभग समाप्त हो चुका है। इसलिए कहा जा सकता है कि विकास इस समय बिल्कुल अकेला पड़ गया था, ऐसे में विकास का बचना नामुमकिन ही था। खूंखार अपराधी विकास दुबे के मकान की अभेद्य सुरक्षा को देखकर यही कहा जा सकता है कि विकास अपने आपको एक आतंकवादी सरगना की तरह ही सुरक्षित रखता था। हर तरफ की गतिविधि को एक कमरे से बैठकर देखा जा सकता था, यहां तक कि मुठभेड़ वाले दिन विकास की पत्नी ऋचा दुबे पूरी मुठभेड़ को लाइव देख रही थी। पूरा मकान किसी किले की दीवारों की भांति सुरक्षित था। जिसे मुठभेड़ के बाद नेस्तनाबूद कर दिया। वहां से कई चौंकाने वाली जानकारी पुलिस के हाथ लगीं। पूरा मकान किसी बड़े आतंकी की सुरक्षित पनाहगार की तरह ही था। पुलिस विभाग के एक अधिकारी ने कहा भी था कि विकास के साथ आतंकियों जैसा बर्ताव किया जाएगा।
अपराध और राजनीति का बेखौफ संगम इस प्रकार की परिणति को प्राप्त होगा, यह कोई नया नहीं है। कोई अपराधी फंसता है तो स्वाभाविक रूप से उसके राजनीतिक आका भी उसे अकेला छोड़ देते हैं। शायद विकास के साथ भी ऐसा ही हुआ है। और जो अपराध की दुनिया में अभी भी पेअर जमाए हैं, उनका भविष्य भी विकास जैसा ही होगा। इसलिए अब हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि विकास दुबे जैसों को जो शक्तियां पनपाने का कार्य करती हैं, उनको सबक सिखाने की आवश्यकता है। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस दिशा में सार्थक और सकारात्मक पहल कर रहे हैं। वहां अपराधी या तो जेल में हैं या फिर उत्तरप्रदेश से बाहर हैं। इसे राजनीति के अपराध मुक्ति का अच्छा प्रयास ही कहा जाएगा। उत्तरप्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हालांकि इस बारे में बहुत पहले ही संकेत दे दिया था कि अब उत्तरप्रदेश अपराध मुक्त होगा। ऐसे ही प्रयास देश के अन्य राज्यों की सरकारें करें तो निश्चित ही अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
सुरेश हिंदुस्थानी, वरिष्ठ पत्रकार
सम्पर्क : 9770015780
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