संस्थान में भर्ती कोरोना पॉजिटिव पीड़ित स्टाफ नर्स सिस्टरों की सेवा कर रही थीं.इनके संपर्क में आने से स्टाफ नर्स सिस्टर श्वेता रॉबर्ट भी संक्रमित हो गयी.अंतत:कोरोना पॉजिटिव होने के बाद दम तोड़ दी.अभी तक बीमा की राशि पचास लाख नहीं मिली है....
पटना,22 अगस्त. केवल 250 स्टाफ नर्स सिस्टरों के सहारे चल रहा है इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान. यह स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई है महानगर पटना के शेखपुरा में स्थित है इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में. वर्ष 1984 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. ज्ञानी जैल सिंह ने संस्थान का उद्घाटन किया था.उक्त संस्थान के इतिहास में स्टाफ नर्स सिस्टरों के अभाव में पहली बार 36 साल में ताला लगने की नौबत आ गयी है. बताया जाता है कि उक्त संस्थान से एक बार 350 संविदा में कार्यरत स्टाफ नर्स सिस्टरों ने नौकरी छोड़ दी है.इसके कारण यहां पर अब 1200 बेड वाले संस्थान में केवल 250 स्टाफ नर्स सिस्टर ही बच गयी है.उसमें श्वेता रॉबर्ट नामक स्टाफ नर्स सिस्टर का निधन हो गया है.बताया गया कि वह संस्थान में भर्ती कोरोना पॉजिटिव पीड़ित स्टाफ नर्स सिस्टरों की सेवा कर रही थीं.इनके संपर्क में आने से स्टाफ नर्स सिस्टर श्वेता रॉबर्ट भी संक्रमित हो गयी.अंतत:कोरोना पॉजिटिव होने के बाद दम तोड़ दी.अभी तक बीमा की राशि पचास लाख नहीं मिली है. प्राप्त जानकारी के अनुसार बिहार तकनीकी चयन आयोग के द्वारा 4997 ग्रेड-A नर्सों की नियुक्ति हुई है.इसमें स्वशासी निकाय इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कार्यरत 350 संविदाकर्मी स्टाफ नर्स सिस्टर भी हैं.स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा है कि चयनित कुल 4997 ग्रेड - A नर्सों की स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई नियुक्ति से राज्य के अस्पतालों में नर्सिंग सेवाओं को मिली है ताकत, अब और भी बेहतर होंगीं स्वास्थ्य सेवाएं. बताते चले कि एक बार ही इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान से 350 संविदा में कार्यरत स्टाफ नर्स सिस्टरों के चले जाने से संस्थान में ताला लगने की नौबत आ गयी है.यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एक स्टाफ नर्स ने सोशल मीडिया फेसबुक पर लिखकर जाहिर की हैं' IGIMS Me Contractual sisters ke bharose se chal raha tha.aaj sare sister chor ke chali gayi ab hospital me LOCK lagne ki naubat aa gayi.Health minister ke aankho me patti lg gayi kan me gujju.unke tk koi SMS poucha do.'
बताते चले कि वर्ष 1984 में भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. ज्ञानी जैल सिंह के उद्घाटन समय संस्थान 500 से अधिक बेड था। अब बढ़ाकर 1200 कर दिया है.यहां पर अधिकांश कुर्जी होली फैमिली हॉस्पिटल से नर्सिंग उर्त्तीण नर्सेज हैं.जो मानव सेवा कर रही हैं. बाद में मासिक 18000 हजार मासिक वेतन पर 350 से अधिक संख्या में संविदा में स्टाफ नर्स बहाल की गयी. इनके द्वारा एम.डी.आर.,टी.बी.वार्ड,जेनरल मेडिसीन वार्ड समेत अन्य वार्ड संचालित होता था. संविदा में बहाल स्टाफ नर्स का वार्ड राम भरोसे चल रहा है.एक साथ ही इनकी नियुक्ति हो गई है. बता दें कि बिहार तकनीकी चयन आयोग द्वारा चयनित 4997 ग्रेड-A नर्सों की नियुक्ति होने से मोटी रकम मिलने के साथ स्थायी नौकरी का मार्ग प्रर्दस्त हो गयी है. 46000 का वेतनमान है.65000 ग्रोस सेलरी प्राप्त होगी. इनके अलावे अन्य लोग भी आकर शानदार कार्य करते हैं.इनलोगों की समर्पित सेवा भावना के चलते संस्थान में भर्त्ती मरीजों और तीमारदारी में लगे लोग खुश रहते हैं. 30 साल में संस्थान ने अनेकों विभाग खोले. अभी-अभी गर्भवती महिलाओं को शिशु जन्म देने के लिए प्रसव कक्ष भी खोला गया है.
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