पटना,24 अगस्त। हर लोग चाहते हैं कि महामारी कोरोना का कहर खत्म हो। केंद्रीय व राज्य सरकार कोरोना वॉरियर्स की हित में अनेक कदम उठाया है।अब राज्य सरकार ने कोविड-19 पर नियंत्रण एवं बचाव के लिए बिहार सरकार का प्रोत्साहन देने वाला निर्णय लिया गया है।कोरोना संक्रमण से ठीक हुए प्लाज्मा डोनर को सरकार 5 हज़ार की प्रोत्साहन राशि देगी। बता दें कि इलाज के लिए 100 एमएल प्लाज्मा की जरूरत पड़ती है। कोरोना के गंभीर मरीज को 100 से 200 एमएल प्लाज्मा देने की जरूरत होती है। कुछ मामलों में अधिक से अधिक 200 एमएल। इसमें कोरोना के संक्रमित मरीज जो इलाज के बाद ठीक हो गए हैं, अस्पताल से छुट्टी होने के 14 से 28 दिन बाद उनका प्लाज्मा लिया जाता है। डोनेशन से पहले मरीज की एंटीबॉडी टाइटर जांची जाती है। बता दें कि राजधानी पटना के खाजपुरा के दीपक कुमार ने पटना एम्स में प्लाज्मा दान किया। वह बिहार-झारखंड के पहले प्लाज्मा डोनर था। पटना एम्स की ब्लड बैंक इंचार्ज डॉ. नेहा ने बताया कि खाजपुरा के दीपक को कोविड से ठीक हुए 28 दिन हो चुके थे। एनएमसीएच में हुई जांच में दीपक कोरोना पॉजिटिव मिले थे। इनके भाई भी पॉजिटिव आये थे। इनके प्लाज्मा से एम्स में भर्ती एक गंभीर मरीज का इलाज किया गया है। डॉ. नेहा ने बताया कि इनके ठीक होने की जानकारी मिली तो मैंने दीपक से बात की। वह प्लाज्मा देने के लिए तैयार हो गए। पटना एम्स में दीपक का प्लाजमा लिया गया। दीपक ने कहा है कि सब कुछ ठीक रहा तो दूसरे बार भी मैं अपना प्लाजमा दूंगा। डॉ. नेहा ने बताया कि दीपक कुमार बिहार-झारखंड के पहले प्लाज्मा थेरेपी डोनर हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की गाइडलाइन के अनुसार ही यह कार्य किया जा रहा है।
पटना एम्स के एनेस्थेसिया के एसोसिएट प्रो. डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि पटना एम्स को प्लाजमा थेरेपी के लिए पहला डोनर मिला था। पटना एम्स में 58 वर्ष के कोविड पॉजिटिव मरीज था, जो वेंटिलेटर पर था। वह काफी गंभीर था,उसको प्लाजमा थेरेपी दी गयी। एम्स के निदेशक डॉ. प्रभात कुमार ने दीपक को प्रोत्साहन प्रमाण पत्र भी दिया। इस पटना प्रमंडल के प्रमंडलीय आयुक्त संजय कुमार अग्रवाल ने शनिवार को एनएमसीएच का जायजा लिया। उन्होंने कोरोना पॉजिटिव गर्भवती महिलाओं की नॉर्मल और सिजेरियन डिलेवरी केे लिए डेडिकेटेड वार्ड बनाने को कहा। प्लाज्मा थेरेपी शुरू किए जाने की बात दोहराते हुए कहा कि यहां प्लाज्मा डोनेशन की व्यवस्था नहीं होने से इसे आईजीआईएमएस और पटना एम्स से संबद्ध किया गया। अगर कोई प्लाज्मा डोनेट करना चाहता है, तो उसे आईजीआईएमएस और पटना एम्स भेजा जाएगा और वहां से डोनेट किए गए प्लाज्मा को लाकर एनएमसीएच में भर्ती कोरोना मरीजों को चढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अस्पताल परिसर में एक प्रशासनिक भवन बनाया जाएगा। जहां अधीक्षक, उपाधीक्षक व अस्पताल का कार्यालय एक ही जगह रहेगा। कोरोना के एक मरीज को अस्पताल में 100 रुपए से बढ़ाकर 175 रुपए प्रति दिन के हिसाब से डाइट दिया जाएगा। मेनू रिवाइज होगा। मरीजों को पौष्टिक आहार के साथ-साथ काढ़ा, ड्राई फ्रूट आदि देने की भी व्यवस्था होगी।
डोनर की करानी होगी कई जांच
आईजीआईएमएस में प्लाज्मा उपलब्ध रहने पर 440 रुपए लगेंगे। यदि प्लाज्मा उपलब्ध नहीं है और डोनर को लेकर जाएंगे तो 9700 रुपए देने होंगे। साथ ही डोनर की जांच भी करानी होगी। संस्थान सूत्रों के मुताबिक प्लाज्मा किट की कीमत ही 9,600 रुपए के करीब हैं। आईजीआईएमएस में अभी तक 6 यूनिट प्लाज्मा ही डोनेट हुआ। इनमें पांच यूनिट प्लाज्मा मरीज को दे दिया गया। अब एक ही यूनिट प्लाज्मा बचा है।
इलाज के लिए 100 एमएल प्लाज्मा की जरूरत
कोरोना के गंभीर मरीज को 100 से 200 एमएल प्लाज्मा देने की जरूरत होती है। कुछ मामलों में अधिक से अधिक 200 एमएल। इसमें कोरोना के संक्रमित मरीज जो इलाज के बाद ठीक हो गए हैं, अस्पताल से छुट्टी होने के 14 से 28 दिन बाद उनका प्लाज्मा लिया जाता है। डोनेशन से पहले मरीज की एंटीबॉडी टाइटर जांची जाती है।
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