दरभंगा (आर्यावर्त संवाददाता) बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य एवं शिक्षक नेता प्रो० विनोद कुमार चौधरी ने आज यहां अपने एक बयान में कहा कि बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों के लिए जो नियमावली बनाई है उसमें व्यापक विसंगतियां है। सरकार को तुरंत इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियोजित शिक्षकों में पूर्व से अधिक आक्रोश व्याप्त है। वित्तीय मांगों की बात दूर रही गैर वित्तीय मांगों पर भी सरकार ने कैंची चला दी है। हड़ताल की मुख्य मांग समान काम समान वेतन की बात तो छोड़ ही दें गैर वित्तीय मांगों में भी असमानता है। माननीय पटना हाईकोर्ट ने समान काम समान वेतन के पक्ष में फैसला दिया था तो बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से इसे रुकवा कर अपने पक्ष में फैसला ले आई।
नई नियमावली की कुछ बातों की चर्चा यहाँ जरूरी है। पुराने शिक्षकों को सेवा के अंत में अधिकतम 300 दिनों का अर्जित अवकाश का लाभ मिलता है वही नियोजित शिक्षकों को मात्र 120 दिन का ही लाभ मिलेगा। पुराने शिक्षकों को 14 दिन का वार्षिक आकस्मिक अवकाश मिलता है वही नियोजित शिक्षकों के लिए 11 दिन का प्रावधान किया गया है। प्रोन्नति के संबंध में कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है। आम शिक्षकों के हर अवकाश प्रधानाचार्य ही स्वीकृत करते हैं जबकि नियोजित शिक्षकों के मात्र आकस्मिक एवं मातृका अवकाश ही प्रधानाचार्य स्वीकृत करेंगे बाकी के लिए उच्चाधिकारियों के पास दरबार लगावे। दरभंगा जिला माध्यमिक शिक्षक संघ के सचिव "श्रवण चौधरी" ने इस संबंध में कहा कि सरकार ने हमें ठगा है। पूर्व जिला सचिव श्री मणिकांत चौधरी ने कहा कि जल्द ही चुनाव होने वाला है सरकार को पता चल जाएगा। आम शिक्षकों में जो आक्रोश व्याप्त है उसको देखते हुए पूर्व विधान पार्षद प्रो० चौधरी ने सरकार से तुरंत नई नियमावली की विसंगतियों को दूर करने की मांग की है।।
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