पटना. शारीरिक रूप से कुछ कमी वाले व्यक्तियों में विशेष क्षमताएं होने और सरकार द्वारा ऐसे लोगों के लिए खास पहल करने को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन लोगों के लिए ‘विकलांग’ की बजाए ‘दिव्यांग’ शब्द के प्रयोग को सुझाया था. इसके बाद दिव्यांगों को सम्मान मिलने लगा. बताते चले कि शारीरिक रूप से दिव्यांग व्यक्तियों को कृत्रिम अंग एवं श्रवण सहायक यंत्र क्रय हेतु अनुदान योजना संचालित है.अभ्यर्थी को कृत्रिम अंग अथवा श्रवण सहायक यन्त्र लगाने की संस्तुति चिकित्साधिकारी द्वारा की गई हो. अभ्यर्थी(नाबालिग होने की स्थिति में माता-पिता की) की मासिक आय रुपये 4000.00 तक हो.अनुदान की राशि अधिकतम रुपये 3500.00 तक है. इस संदर्भ में सामाजिक कार्यकर्ता पप्पू राय ने कहा कि बिहार सरकार और जनप्रतिनिधियों के द्वारा दिव्यांगों को साइकिल या व्हील चेयर नहीं देने के कारण दिव्यांग बेसहारा हो गये थे.इसके आलोक में दिव्यांगों को समाज की मुख्य धारा में लाने और सम्मानित जीवन जीने में सहयोग देने के लिए सिर्फ बिल्डिंगों में उनके अनुकूल शौचालय बनाना भर काफी नहीं होगा.बल्कि समाज, सरकार, कॉर्पोरेट और मीडिया, सभी को एकजुट होकर इस दिशा में पहल करनी होगी. मीडिया और विज्ञापन कंपनियां मिलकर दिव्यांगों को न सिर्फ समाज की मुख्य धारा से जोड़ने में बल्कि, उनको समाज के असली नायक/नायिका के रूप में स्थापित करने में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होगा और निभा रहे हैं.
सामाजिक कार्यकर्ता पप्पू राय ने कहा कि दीघा विधानसभा के विधायक ने दिव्यांगों को उपेक्षित छोड़ दिया है.इसके आलोक में लॉकडाउन के दरम्यान दिव्यांगों का सहायक बनकर उनके बीच में राहत सामग्री बांटी गयी.इनकी सर्वें करने के बाद वैशाखी व व्हील चेयर वितरित किया जा रहा है.इस तरह का सहारा स्वावलंबी की ओर अग्रसर किया जा रहा है. उनको अपनी संकीर्ण मानसिकता को छोड़कर दिव्यांग बच्चों को सबल बनाने पर जोर दिया जा रहा है. एक अन्य खबर के अनुसार पटना सिटी में रहने वाले भाई विकास के द्वारा मालूम चला कि एक दिव्यांग बच्ची हैं, जो ठीक से चल नहीं पाती और ना बोल ही पाती है.उसके परिवार वाले आर्थिक रूप से कमजोर हैं, या कहे तो यह लॉकडाउन उन्हें कमजोर बना दिया . Being Helper Team की श्वेता चौधरी दीदी का आज जन्मदिन है और इस दिन के शुभ अवसर पर उन्होंने इस बच्ची को एक ट्राई साइकिल देकर सहायता किया है. ट्राई साइकिल का हैDoner : IWC Vanshree.इसके लिए दीदी को तहे दिल से धन्यवाद.बच्ची को दिव्यांग अस्पताल में दिखाया भी गया था और ऑपरेशन भी हुआ मगर बच्ची खड़ी नहीं हो पाई . वह घर में एक कमरे में हमेशा बंद रहती हैं. वह घर से बाहर निकल नहीं सकती थी, नहीं बाहरी दुनिया देख सकती थी. यहां तक की वह स्कूल में जाकर पढ़ाई भी नहीं कर पा रही थीं. अब विश्वास किया जा रहा है कि इस ट्राई साइकिल से शायद बच्ची अपने घर से बाहर निकल कर दुनिया देख पायेगी और अपना मनोबल मजबूत कर सकती हैं. अगर आप सभी का आशीर्वाद और सहयोग रहा तो यह बच्ची फिर से खड़ा हो सके कि हम लोग पूरी कोशिश करेंगे . विकास भाई का भी तहे दिल से धन्यवाद करते हैं जिनके माध्यम से इस परिवार वाले के बारे में पता चला और वह लगातार इस परिवार की सहायता कर रहे हैं.
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