नयी दिल्ली, 23 अगस्त, डेफ ओलम्पिक में तीन स्वर्ण और एक कांस्य पदक तथा डेफ विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में एक स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक जीत चुके गूंगा पहलवान के नाम से प्रसिद्ध हरियाणा के विरेंदर सिंह ने देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेल मंत्री किरेन रिजिजू से गुहार लगाई है। गूंगा पहलवान ने ट्वीट कर कहा, माननीय प्रधानमंत्री जी और माननीय खेल मंत्री जी। मुझे खेल रत्न नहीं मिला, “इस बात का दुःख नही है...दुःख इस बात का है कि पैरा एथलेटिक्स जिसकी उपलब्धियां मुझसे बहुत कम थी...उनको खेल रत्न दिया गया...मैं सुन-बोल नहीं सकता...शायद इसलिए मेरे साथ वर्षों से यह हो रहा है...जय हिंद।” उल्लेखनीय है कि इस बार पांच खिलाड़ियों को खेल रत्न पुरस्कार दिया जा रहा है जिसमें पैरालम्पिक 2016 का स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी भी शामिल है। हरियाणा के झज्जर जिले के विरेंदर ने 2005 डेफ ओलम्पिक मेलबोर्न में 84 किग्रा में स्वर्ण, 2013 डेफ ओलम्पिक बुल्गारिया में 74 किग्रा में स्वर्ण, 2017 डेफ ओलम्पिक तुर्की में 74 किग्रा में स्वर्ण और 2009 डेफ ओलम्पिक ताइवान में 84 किग्रा में कांस्य पदक जीता था। उन्होंने इसके अलावा 2008 डेफ विश्व चैंपियनशिप में रजत, 2012 डेफ विश्व चैंपियनशिप में कांस्य और 2016 डेफ विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। भारत ने अब तक डेफ ओलम्पिक के इतिहास में कुल 18 स्वर्ण पदक जीते हैं जिनमें से तीन स्वर्ण पदक अकेले गूंगा पहलवान के नाम हैं। गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर विरेंदर ने पिछले वर्ष भी खेल रत्न के लिए अपना नाम भेजा था लेकिन तब भी उन पर कोई विचार नहीं किया गया था। विरेंदर ने प्रधानमंत्री और खेल मंत्री को सम्बोधित अपने ट्वीट में अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहा कि वह सुन-बोल नहीं सकते, शायद इसलिए वर्षों से उनके साथ ऐसा हो रहा है।
हरियाणा के एक अन्य डेफ पहलवान अजय कुमार ने अर्जुन पुरस्कार के लिए आवेदन किया था लेकिन उनके नाम पर भी विचार नहीं हुआ जबकि इस साल 27 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार दिया जाना है। अर्जुन ने 2017 डेफ ओलम्पिक तुर्की में 64 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक हासिल किया था। इसी तरह दिल्ली की डेफ बैडमिंटन खिलाड़ी सोनू आनंद ने अपनी उपलब्धियों के लिए ध्यानचंद पुरस्कार के लिए आवेदन किया था लेकिन उन पर भी कोई विचार नहीं हुआ।मूक बधिर खिलाड़ियों ने उन्हें नजरअंदाज किये जाने पर पीड़ा जताई है। गूंगा पहलवान ने जिस तरह अपने ट्वीट में पैरा ओलम्पिक की तरफ इशारा किया है कि वह इस बात को दर्शाता है कि डेफ ओलम्पिक के उनके तीन स्वर्ण पदक को कोई महत्त्व नहीं दिया गया जबकि पैरा ओलम्पिक में एक स्वर्ण जीतने वाले को खेल रत्न दे दिया गया। विरेंदर को 2015 में अर्जुन पुरस्कार दिया गया था। डेफ ओलम्पिक और विश्व चैंपियनशिप में भारतीय टीम के साथ कई बार कोच के रूप में जा चुके द्रोणाचार्य अवार्डी कुश्ती कोच महासिंह राव ने कहा है कि गूंगा पहलवान की उपलब्धियां काफी बड़ी हैं और वह खेल रत्न पाने का पूरी तरह हकदार है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आठ पैरा खिलाड़ियों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार दिए जा सकते हैं तो डेफ खिलाड़ियों को क्यों नजरअंदाज किया गया है। मूक बधिर खिलाड़ियों ने भी यह सवाल उठाया है कि क्या डेफ खिलाड़ियों की उपलब्धियां कोई उपलब्धियां नहीं हैं। गूंगा पहलवान ऐसे खिलाड़ी हैं जिनके जीवन और संघर्ष पर डाक्यूमेंट्री फिल्म बनी है जिसे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में दिखाया गया है। इस फिल्म को कई पुरस्कार मिले हैं। इस फिल्म को 2015 में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल फॉर पर्सन्स विद डिसैबिलिटीज में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला था। उल्लेखनीय है कि डेफ ओलंपिक तुर्की 2017 से जीतकर लौटे खिलाड़ियों ने दिल्ली एयरपोर्ट से बाहर आने को मना कर दिया था। इस्तांबुल से लौटे खिलाड़ी और उनका सपोर्ट स्टाफ इस बात से नाराज था कि शानदार प्रदर्शन के बावजूद खेल मंत्रालय की तरफ न तो कोई अधिकारी उनकी अगवानी के लिए आया था और ना ही उनके सम्मान में किसी तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा था। तुर्की डेफ ओलंपिक खेलों में भारत को एक स्वर्ण समेत पांच पदक मिले थे और यह एकमात्र स्वर्ण पदक गूंगा पहलवान का था।
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