पटना,20 अगस्त। लोकतान्त्रिक जन पहल, बिहार के तत्वावधान में ' प्रशांत भूषण पर कोर्ट की अवमानना का आरोप निराधार, सुप्रीम कोर्ट मुकदमा वापस ले- इस बैनर के तहत आज यहां दिन में एक बजे से डाकबंगला चौराहा पर स्थिर प्रतिरोध प्रर्दशन किया गया जिसमें सौ से अधिक लोग शामिल हुए जिसमें अच्छी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं। प्रर्दशन में शामिल लोग हाथों में नारों की तख्तियां लिए हुए थे और जमकर नारे लगा रहे थे। तख्तिययों पर लिखा था- जज की निजी अमर्यादित आचरण की आलोचना अवमानना नहीं, न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं है प्रशांत भूषण का ट्वीट, लोकतंत्र में कोर्ट जनता के प्रति जवाबदेह, अवमानना की आड़ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाना असंवैधानिक और अवमानना कानून के जनविरोधी और असंवैधानिक प्रावधानों को वापस लो और जजों की नियुक्ति में परिवारवाद खत्म करो । उल्लेखनीय है कि आज सुप्रीम कोर्ट प्रशांत भूषण को तथाकथित दोषी करार दिए जाने के बाद सजा सुनाने वाली थी लेकिन देशभर में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के व्यापक जन विरोध व ख्यातिप्राप्त संविधान और क़ानूनविदों द्वारा कड़ी आलोचना किये जाने के चलते मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के जजों की पीठ के आज का आदेश यह दर्शाता है कि जनप्रतिरोध के कारण उसने मामले को दो दिनों के लिए टालना ही उचित समझा।
आज के प्रतिरोध में शामिल प्रमुख लोगों में कंचन बाला, सुधा वर्गीज, लीना रोज, तबस्सुम अली, आरती वर्मा, आसमां खान, फ्लोरिन, अशोक कुमार एडवोकेट, मणिलाल एडवोकेट, शैलेन्द्र प्रताप एडवोकेट, एंटो जोसेफ, जोंस के, प्रदीप प्रियदर्शी, अनुपम प्रियदर्शी, विनोद रंजन, सरफराज, मोखतारूल हक, शम्स खान, निर्मल नंदी , मनहर कृष्ण अतुल, गगन गौरव, डॉ राशीद, अनूप सिन्हा , सोमपाल यादव पूर्व विधायक, पुरुषोत्तम, एम आजम , साधु प्रसाद और संजय श्याम के नाम प्रमुख हैं। एक मुलाकात में एडवोकेट अशोक कुमार लोकतंत्र में न्यायालय जनता के प्रति जबाबदेह है । जनता के प्रति जबाबदेह होने का मतलब है ' संविधान' के मूलभूत मूल्यों की कसौटी पर खरा उतरना है ।हमरा मानना है कि प्रशांत भूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला गैरजबाबदेह है। सुप्रीम कोर्ट ने विधि के समक्ष समता का अधिकार जो संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत ( Equally before Iaw ) देश के प्रत्येक नागरिक को प्राप्त है का उल्लंघन है । सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 19 (a) To Freedom of Speech and Expression अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करने के बजाय उल्टे ही "माननीय जज की निजी अमर्यादित आचरण की आलोचना " को लेकर देश के जाने माने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण पर अवमानना वाद के मामले सजा सुनाने का फैसला बिल्कुल ही गैरकानूनी है। एक अन्य जगह में मुसलाधार वर्षा के बीच वाहिनी के साथी अधिवक्ता धरणीधर, अधिवक्ता सतीश कुन्दन, अधिवक्ता कामेश्वर यादव रामदेव विश्वबन्धू जे पी प्रतिमा के समक्ष प्रशांत भूषण अधिवक्ता के साथ खड़े है का तख्ती लिए अवमानना के बहाने अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा संविधान और लोकतंत्र की रक्षा का समर्थन। हम देखेंगे कार्यक्रम के तहत। कई साथियों ने वर्षा के कारण घरों से ही तख्ती लगाकर समर्थन जताया।
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