- साल दर साल हज़ारों करोड़ रुपये नीतीश सरकार बाढ़ के नाम पर डकार जाती है लेकिन इसके नियंत्रण और रोकथाम पर अभी तक एक भी प्रभावी काम नहीं कर पायी है....
पटना,29 अगस्त। बिहार पिछले पंद्रह वर्षों में तरक्की जगह बर्बादी की ओर बढ़ता गया। आज भी बाढ़ जैसी विभीषिका अगर तबाही मचाती है तो उसके ज़िम्मेदार सिर्फ़ और सिर्फ़ नीतीश कुमार हैं। अगर मॉनसून हर साल एक ही समय पर आता है तो आख़िर सरकार क्यों नहीं तैयारी करती है? बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार सीएम नीतीश कुमार पर हमलावर हैं।तेजस्वी यादव के तेवर नर्म होते नहीं दिख रहे।इसी क्रम में शनिवार को तबीयत खराब होने के अफवाह के बीच तेजस्वी यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीएम नीतीश कुमार पर बड़ा हमला बोलते हुए उन्हें झूठा करार दिया है। सूबे के ऐसे मुद्दे जिसपर सरकार बात नहीं कर रही तेजस्वी ने उन सभी मुद्दों को उठाते हुए नीतीश सरकार पर सवालों की झड़ी लगा दी है। तेजस्वी यादव ने कहा, " जो मुख्यमंत्री सदन में झूठ बोलता हो उसपर बिहार की जनता कैसे विश्वास करे। उन्होंने झूठ ही नहीं मिसगाइड किया कि सदन में लोग मास्क न पहनें। इन्होंने तो जो मजदूर ट्रेन से आए उनसे भी पैसा वसूला। ये सबसे बड़े झूठे मुख्यमंत्री हैं। मजदूरों की बात हो, आंकड़ों की बात हो, पैकेज की बात हो हर जगह झूठ। उनका एजेंडा है कि सच छुपाओ लोग भूल जाएंगे। केवल शिलान्यास करो। मेरा सवाल है कि अभी शिलान्यास क्यूं कर रहे हैं? क्या चार साल से सब कुछ दबा रखे थे कि चुनाव आने पर करेंगे इस कोरोना काल में?" तेजस्वी यादव ने सूबे में बाढ़ की स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा, " बाढ़ से बिहार के 16 जिले 130 प्रखंड और 84 लाख आबादी प्रभावित है। हमारे कई बार कहने के बाद दो बार ही मुख्यमंत्री ने हवाई सर्वे किया है।उन्होंने प्रोएक्टिव होकर कोई काम नहीं किया है। बाढ़ में केवल दो से तीन दिन ही दिखावे के लिए राहत सामग्री का वितरण किया गया।कई तटबंध, पुल-पुलिया, बांध और कई नए अप्रोच रोड टूटे. ऐसे में जब 84 लाख आबादी प्रभावित है तो आपने राहत पहुंचाने के लिए क्या तैयारी की है? क्या एयरफोर्स का हेलीकॉप्टर सिर्फ फोटोशूट के लिए बुलाया गया था? क्या आपने इसके लिए केंद्र से सहायता मांगी है? और अगर केंद्र की ओर से मदद मिला तो क्या मिला?" उन्होंने कहा कि बिहार बाढ़ से सबसे ज़्यादा प्रभावित होता है लेकिन यहाँ बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई का प्रति व्यक्ति खर्च 104.40 ₹ है जबकि राष्ट्रीय औसत 199.20 ₹ है। अपने पंद्रह वर्ष के शासन काल में नीतीश जी ने एक भी नये तटबंध,डैम या बराज़ नहीं बनाये जिससे की बाढ़ के ख़तरे और उसके कारण नुक़सान को कम किया जा सके।नीतीश जी का एक अजीबोग़रीब नुस्ख़ा है सभी समस्याओं का- भगवान भरोसे छोड़ दो, धीरे धीरे स्वयं कोई भी परेशानी चाहे वो बाढ़ हो या कोरोना हो ख़त्म हो जायेगा।
तेजस्वी यादव ने सूबे में कोरोना महामारी की स्थिति के संबंध में कहा, " सरकार कोरोना जांच के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही है। RTPCR टेस्ट की जगह केवल एंटीजन टेस्ट करा कर वाहवाही लूट रही है।पिछले 28 दिनों से जब पूरे प्रदेश में लॉकडाउन है, इस समय राज्य में 80 हजार पॉजिटिव केस मिले हैं वहीं 376 लोगों की मृत्यु हुई है। आज तो टेस्टिंग भी बढ़ी है।पहले दस हजार की टेस्टिंग में 2500 पॉजिटिव केस आते थे और आज 1 लाख टेस्ट में भी उतने ही कोरोना मरीज कैसे आ रहे हैं?"अगर कोरोना महामारी के सन्दर्भ में बात करे तो 6 महीने बीतने के बाद भी बिहार सरकार गंभीर नहीं हुई है। बिहार संक्रमण के मामले में अब भी देश में आगे है। जाँच की बात करें तो अब भी RT-PCR टेस्ट की संख्या 6 हज़ार के आस-पास है। इस विधि से जाँच करने में 50% से अधिक लोगों की रिपोर्ट पॉज़िटिव आ रही। वहीं रैपिड ऐंटिजेन टेस्ट किट से औसतन 3-5% लोगों की जाँच रिपोर्ट ही पॉज़िटिव आ रही। इसी कारण बिहार में जब 10 हज़ार जाँच हो रहे थे तो 2500-3000 पॉज़िटिव पाए जा रहे थे और 1 लाख जाँच हो रहे तब भी उतने ही पॉज़िटिव मरीज़ निकल रहें।नीतीश सरकार recovery रेट को लेकर अपना पीठ थपथपा रही है जबकि recovery रेट कोविड-19 नियंत्रण का indicator नहीं है। हमें संक्रमण के curve को flatten करना है,संक्रमण चेन को तोड़ना है जिसके लिए सरकार अब भी गंभीर नहीं दिख रही।अगर कोरोना पर सरकार ने नियंत्रण पा लिया होता तो कम से कम एक ज़िला भी कोरोना मुक्त घोषित हो जाना चाहिए था। लेकिन आज भी संक्रमण के फैलाव की स्तिथि जस की तस बनी हुई है।नीतीश जी बताएँ कि कोरोना के कारण उत्पन्न आर्थिक संकट से उबरने के लिए क्या रोडमैप है उनके पास?नीतीश जी यें बताएँ की केंद्र सरकार से कोरोना के लिए क्या कोई विशेष वित्तीय अनुदान मिला है? अप्रवासी माजदूरों के संबंध में उन्होंने कहा, " कोरोना काल में 40 लाख मजदूर बिहार आए।इन्होंने सभी के खाते में 1 हजार रुपये देने की बात कही थी, ऐसे में कितनों को यह राशि दी गई? आपने उसका 50 प्रतिशत भी लोगों को नहीं दिया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो मजदूर आएं हैं उन्हें रोजगार देना होगा, लेकिन किसी को रोजगार नहीं दिया गया। आज वो वापस जा रहे हैं, तो ये बताएं वो वापस क्यों जा रहे हैं?"कोरोना का सबसे बुरा असर ग़रीबों,मज़दूरों पर पड़ा है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देशित भी किया था की इन लोगों के रोज़गार की व्यवस्था कराई जाये। सरकार ने बड़े ताम-झाम से skill mapping करने की बात कही थी। मैं सरकार से पूछना चाहूँगा की कितने लोगों का पंजीयन किया गया और उनको रोज़गार उपलब्ध कराने की अद्धतन स्तिथि क्या है?
तेजस्वी यादव ने कहा, " एयर टिकट कटा कर लोग मजदूरों को ले जा रहे हैं।अभी प्लेन से सफर करने वालो में अधिक आबादी मजदूरों की है। नीतीश सरकार में हर दूसरा परिवार रोजगार के लिए पलायन कर रहा है।उन्होंने अपने लोगों को अपनाने से इंकार कर दिया, जो आबादी आई उसे क्रिमिनल चोर और बदमाश कहा गया।"सरकार मनरेगा के कार्य दिवस सृजन करने को अगर रोज़गार देना मानती है जिसमें सिर्फ़ निर्माण कार्य ही होते हैं तो फिर skill mapping का क्या औचित्य रह गया? मनरेगा के अलावा क्या सरकार ने दूसरे क्षेत्रों में एक भी रोज़गार के अवसर सृजित किए?आख़िर आज भी सरकार द्वारा 1000 ₹ की आर्थिक सहायता राशि आधे से ज़्यादा लोगों को क्यों नहीं मिल पायी?मैंने जून में सरकार से माँग किया था की प्रतिदिन 100₹ भत्ता के रूप में कम से कम 100 दिनों का भत्ता जो 10,000 ₹ है सभी बेरोज़गार कामगारों को दे। सरकार बताए उसने इस दिशा में क्या काम किया है? उन्होंने कहा, " राज्य में बाढ़ और कोरोना की दोहरी मार से स्थिति भयावह है। हमने डबल इंजन सरकार के खिलाफ आवाज उठाया लेकिन सरकार कभी गंभीर नहीं दिखी।उनको बिहार की चिंता नहीं, उन्हें केवल अपनी कुर्सी की चिंता है। सदन में भी सरकार कोरोना और बाढ़ पर सीरियस नहीं है। उन्होंने कमेटी गठन की बात कही थी जो कोरोना या बाढ़ के लिए काम करती लेकिन वो कमिटी आजतक नहीं बनी। ऐसे में जिस तरह से लालू प्रसाद यादव ने आरजेडी शासनकाल में सामाजिक न्याय किया था,अगर हमारी सरकार आती है तो हम सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक न्याय भी करेंगे।
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