आजीविका के लिए पलायन पर गए सुकमा गांव के 120 परिवारों को 15 दिन की राहत सामग्री की वितरित की गयी। वहीं 120 परिवारों ने 600 फलदार पेड़ों का वृक्षारोपण किया...
बबीना, 28अगस्त। झांसी जिले के बबीना विकास खंड के सुकुमा गांव के 86 परिवारों के 200 से अधिक लोग रोजी रोटी के लिए होली के तुरंत बाद राजस्थान के जैसलमेर जिले में जीरे की फसल कटाई करने गए थे। ये परिवार मुश्किल से 10 दिन ही काम किया था,कि इस बीच कोरोना महामारी का फैलाव हो गया। इससे बचाव के लिए सरकार ने पूरे देश में लोक डाउन घोषित कर दी। घोषणा होने से आवागमन सभी साधन बंद हो गये। इसलिए हजारों लोग जैसलमेर में फंस गए थे।उन्हीं में से 200 पुरुष, महिला और बच्चे बबीना विकास खंड के सुकुमा गेन के थे। ये लोग 46 दिन तक फलौदी में फंसे रहे ।उसके बाद बहुत मुश्किल से ये लोग अपने घर वापस पहुंचे ।लेकिन सभी लोग खाली हाथ थे,क्योंकि जो भी मजदूरी मिली थी वह गांव वापिसी पर खर्च हो गई। इसलिए एकता परिषद ने प्रारम्भ में 15 दिन तक राहत उपलब्ध कराया था ।आज पुनः 15 दिन का राहत नि:शुल्क बांटा गया ।आज कोरोना की महामारी से सारा देश लड़ रहा है ।मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। इस लिए इस परिस्थिति में कोरोना बीमारी से बचना बेहद आवश्यक है, साथ ही गांव के आसपास के पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए घर -घर वृक्षारोपण करना भी बेहद जरूरी है।
उक्त बातें एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रनसिंह परमार ने ग्राम सुकमा में आयोजित को रोना राहत एवं सामुदायिक वृक्षारोपण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम के उदघाटन सत्र में ग्रामीणों को कहीं। कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए उन्होंने ग्रामीणों को बताया कि कोरोना से बचने के लिए सबसे जरूरी है आपस में 2 गज की दूरी एवं बार-बार साबुन से हाथ धोना एवं मास्क का उपयोग इन सब बातों का हमें रोजाना की आदतों में शामिल करना होगा ,तभी हम इस महामारी से अपने परिवार तथा गांव को बचा पाएंगे कोरोना का संकट अभी और समय तक रह सकता है इसलिए आदिवासी अंचल में समुदाय को जागरूक करने की बेहद जरूरत है। इस अवसर पर उन्होंने गांव में वृक्षारोपण की शुरुआत पौधा लगाकर करते हुए कहा कि एकता परिषद गांव-गांव में सामुदायिक वृक्षारोपण कार्यक्रम चला रहा है जिससे के पर्यावरण की सुरक्षा तो होगी ही साथ ही सरकार और समाज में यह संदेश भी जाएगा आदिवासी समाज जंगल उजाड़ने का काम नहीं करता बल्कि जंगल की सुरक्षा का काम करता है । इस अवसर पर उन्होंने आदिवासी समुदाय से आह्वान किया कि प्रत्येक परिवार अपने घर या आसपास के खाली पड़ी जमीन पर पेड़ अवश्य लगाएं और आने वाले कुछ सालों तक उसकी देखरेख करें तो अवश्य ही हम अपने संकल्प को पूरा कर पाएंगे । कार्यक्रम के अंत में 120 परिवारों को राहत सामग्री के रूप में 15 दिन की राशन किट वितरित की जिसमे 10 किलो आटा, 2 किलो दाल, नमक, सरसो का तेल , मसाले सामिल थे साथ ही सभी को पौधा वितरित किए । ज्ञात हो कि सुकमा गांव के करीब 130 परिवार लॉक डाउन की शुरुआत में राजस्थान के जैसलमेर जिले के फलोदी में मजदूरी करने गए थे जो कि अचानक लॉक डाउन लग जाने के कारण वही फस गए थे, तब एकता परिषद संगठन ने राजस्थान सरकार, स्थानीय प्रशासन एवं समाज सेवियों से लगातार कई दिनों तक संवाद कर बहुत कठिन प्रयास के बाद इन सभी मजदूरों को वापस गांव लाने में सफलता मिली थी ।आज के कार्यक्रम में एकता परिषद उत्तर प्रदेश के राकेश भाई सियाराम सहरिया एवं अन्य सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
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