21 से 25 तक आयोजित होने वाले वर्चुअल कारपेट फेयर की तैयारी पूरी
वाराणसी (सुरेश गांधी) । कारपेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के तत्वावधान में आयोजित होने वाले 21 से 25 अगस्त, 2020 तक वर्चुअल कारपेट फेयर की तैयारी पूरी हो चुकी है। यह वर्चुअल फेयर कोरोनाकाल में कालीन निर्यात दर में आयी गिरावट की खाई को पाटने के लिए आयोजित किया जा रहा है। दावा है कि कोरोनाकाल के दौरान दुनिया भर में हस्तनिर्मित कालीनों और फर्श कवरिंग की मांग को पूरा करने की अच्छी पहल है। हस्तनिर्मित कालीनों और अन्य फर्श कवरिंग के लिए खरीदारों के लिए यह आयोजन काफी कारगर साबित होगा। खासकर भारतीय निर्यातकों को वैश्विक खरीदारों तक पहुंचने के लिए एक शानदार और अनूठा अवसर है।
बता दें, शुक्रवार को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, मुम्बई के सहयोग से कालीन उद्योग के लिए पैकेजिंग की नई तकनीकों पर एक वेबिनार की व्यवस्था की गयी। इसकी अध्यक्षता सीईपीसी के सीनियर सीओए सदस्य उमेश कुमार गुप्ता ने की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत सरकार के वाणिज्य विभाग के निदेशक प्रवीण कुमार थे। कार्यक्रम में राजेन्द्र प्रसाद मिश्र, ओंकारनाथ मिश्र, हुसैन जाफर हुसैनी, सतीश वट्टल, सदस्य सीओए, सीईपीसी भी मौजूद थे। वक्ताओं ने कहा कि उत्पाद के विश्व व्यापार पैकेजिंग के बदलते परिदृश्य में गुणवत्ता व्यवसाय के लिए एक महत्वपूर्ण खंड है। खरीदार पैकेजिंग के बारे में बहुत विशेष हैं, इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि निर्यात समुदाय को निर्यात के लिए प्रस्तावित अपने उत्पादों की पैकेजिंग की नई तकनीकों के बारे में पता होना चाहिए। चूंकि हम विश्व स्तर के उत्पाद का उत्पादन और निर्यात कर रहे हैं और अगर इसे अच्छी पैकेजिंग द्वारा पूरक किया जाएगा तो यह धारणा पूरी तरह से अलग होगी।
उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए ही सीईपीसी ने सरकार के एक संगठन के माध्यम से विश्व स्तरीय पैकेजिंग तकनीकों का प्रदर्शन करने की योजना बनाई है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, मुंबई विभिन्न प्रकार की पैकेजिंग तकनीक का प्रदर्शन करने का एक शानदार अवसर प्रदान कर रहा है। डी तनवीर आलम, निदेशक (आईसी), इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग, मुंबई ने “कालीन उद्योग के लिए पैकेजिंग की नई तकनीक“ पर एक प्रस्तुति दी। अब एक दिन पैकेजिंग विज्ञान और कला और प्रौद्योगिकी का एक संयोजन है और उत्पाद के ब्रांड मूल्य में वृद्धि कर सकता है और इसे किसी भी उत्पाद का मूक विक्रेता माना जाता है। अधिकांश सदस्य प्लास्टिक और रोलिंग कारपेट आदि में पारंपरिक पैकिंग का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन कुछ देशों ने पहले से ही प्लास्टिक के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया है और इस समाधान का पता लगाने की आवश्यकता है जो न केवल प्रभावी है बल्कि हमारे उत्पादों के लिए मूल्यवर्धन भी है। श्री प्रवीण कुमार ने बताया कि शीघ्र ही भारतीय पैकेजिंग संस्थान वाराणसी में अपनी शाखा खोलने जा रहा है। श्री उमेश कुमार गुप्ता और बैठक में उपस्थित अन्य समिति के सदस्यों को उम्मीद है कि यह निश्चित रूप से संकट के समय में कालीन उद्योग के लिए सहायक होगा। श्री संजय कुमार और सीईपीसी के अधिकारियों को सूचित करेंगे। पूरी समिति ने सभी प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों को 74 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दीं।
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