पटना। आज देशव्यापी आंदोलन के दौरान जिले के समाहरणालय पर आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया गया। हजारों की संख्या में ग्रामीण मज़दूरों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारी गंगनभेदी लाल सलाम का नारा लगा रहे थे। सभी प्रदर्शनकारी हाथों में बैनर व लाल झंडे लेकर चल रहे थे। इससे सड़क लाले लाल दिख रहा था। हरेक प्रदर्शनकारियों ने बैनर लेकर समाहरणालय तक मार्च किया। आज का देशव्यापी आंदोलन समाहरणालय मार्च का शंखनाद भाकपा-माले से संम्बधित अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा (खेग्रामस) एवं अखिल भारतीय प्रगतीशिल महिला एसोसिएशन (ऐपवा) ने किया था।के द्वारा चलाया है। बिहार में तो यह बड़े आंदोलन का शक्ल ले लिया। पटना,सिवान,दरभंगा, समस्तीपुर आदि जिलों में आज बड़े-बड़े प्रदर्शन हुए।ग्रामीण गरीबों-महिलाओं ने इस बात का ऐलान किया कि अगर पीएम-सीएम कर्जमाफी की घोषणा नही करते हैं तो आगामी चुनाव में शासक समूहों से बदला लिया जाएगा। समाहरणालय तक मार्च का नेतृत्व खेग्रामस के जिला अध्यक्ष उत्तीम पासवान, जिला सचिव बेचन राम एवं ऐपवा के जिला संयोजक पिंकी सिंह ने किया। मार्च के जरिए निम्नलिखित मांग किया गया। जिसमें प्रमुख है,-
1)स्वयं सहायता समूह-जीविका समूहों से जुड़ी सभी महिलाओं का लोन माफ किया जाय।
2)ग्रूप लोन पर ब्याज दर आधा किया जाय।
3)ब्याज पर ब्याज वसूलना बंद किया जाय।
4)सभी प्रवासी और ग्रामीण मजदूरों को मनरेगा के तहत वर्ष में दो सौ दिन काम और पांच सौ रुपए दैनिक मजदूरी देने की गारंटी किया जाय।
5) दिल्ली में 48000 झोपड़ियां उजाड़ने से पहले उसे वैकल्पिक व्यवस्था किया जाय।
आज पूरे देश के अंदर स्वयं सहायता समूह एवं जीविका में काम करने वाली महिलाएं उनके कर्ज माफी को लेकर खेग्रामस, भाकपा माले एवं ऐपवा के तरफ पटना में आंदोलन सरकार को चेता देना चाहते है कि अगर आप सिर्फ कॉरपोरेट को पैकेज देंगे तो देश की जनता बर्दाश्त नही करेगी, आपको स्वयं सहायता समूह में काम करने वाली महिलाओं का कर्ज माफी करना होगा! साथ ही बंधन बैंक के द्वारा कर्ज वसूली के नाम पर जो गांवों में गुंडागर्दी चल रही है उसको हर हाल रोका जाना चाहिए। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार से स्पस्ट तौर पर कहना चाहते है कि अगले साल का जो पहला वितीय वर्ष होगा जो मार्च-2021 तक होगा तब तक का सारा कर्ज माफ किया जाए। सरकार अगर सच मे पैसा कर्ज वसूलना चाह रही तो वो कॉरपोरेट से कर्ज से, आम जनता कर्ज वसूली किसी भी हाल में बर्दास्त नही किया जाएगा। जिला समाहरणालय के समक्ष उत्तीम पासवान की अध्यक्षता में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए ऐपवा के जिला संयोजक एवं पूर्व जिला पार्षद पिंकी सिंह ने कहा कि मोदी नीतीश के राज में महिला सशक्तिकरण के नाम पर महिलाओं पर अत्यार ही बढ़ा है। कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण समूहों की महिलाओं को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे हालात में इनके साथ लोन वसूली का मामला अन्यायपूर्ण है।
खेग्रामस के जिला सचिव बेचन राम ने कहा कि हम लगातार प्रवासी श्रमिकों और ग्रामीण मजदूरों के सबालों पर संघर्ष चला रहें है। परंतु नीतीश मोदी सरकार मज़दूरों इस बिपदा की घड़ी में भी मनरेगा के तहत रोजगार देने में बिफल है। यह पूंजीपतियों और अमीरों की तिजोरी भरने में लगी हुई है। भाकपा-माले के मधुबनी जिला कमिटी सदस्य सह रहिका प्रखंड माले सचिव अनिल कुमार सिंह ने कहा कि नीतीश मोदी सरकार में गरीबों को पांच डिसमिल बास भूमि देने के बदले, पहले से बसे भूमिहीन गरीबों को उजाड़ने का काम कर रही है। माले गरीब बसाओ आंदोलन चलाकर इसका करारा जवाब दे रही है। आने वाले विधानसभा चुनाव में नीतीश सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। मार्च में अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला सचिव प्रेम कुमार झा, बेनीपट्टी प्रखंड माले सचिव श्याम पंडित, सोसल मीडिया प्रभारी शंकर पासवान, गणेश यादव, मनीष मिश्रा, संतोष साह, दीपक पासवान।खेग्रामस नेता राम बिनय पासवान, बीरबल दास, राम प्रसाद पासवान,बिबेकी सदाय, बिकास सदाय, शिवजी राम, राम अवतार मंडल, बिक्रम पासवान, नारायण राम, छोटे राम, योगेन्द्र दास, अनिल राम,तेतर पासवान। ऐपवा नेत्री, ललीता देवी,किरण दास,शिला देवी,पारो देवी, लीला देवी,इंदुला देवी, रामकली देवी,प्रिया कुमारी,जुलेखा खातून सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
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