मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) मोदी सरकार का कृषि बिधेयक, किसानों की कृषि और भूमि पर कंपनी राज कायम करने की साज़िश। स्वामीनाथन आयोग का रिपोर्ट लागू करने से कतराकर कृषि उपज के मूल्य पर कंपनी का एकाधिकार कायम करने की साज़िश। आबश्यक बस्तुओं के भंडारण का छूट देकर जमाखोरों और कालाबाजारीयो को मालोमाल करने और किसानों और उपभोक्ताओं को लूटने की खुली छूट।का दस्तावेज है यह बिधेयक। भाकपा-माले से संम्बद्ध अखिल भारतीय किसान महासभा की ओर से आज मधुबनी रेलवे स्टेशन परिसर से भाजपा के मोदी सरकार द्वारा पारित कृषि बिधेयक के खिलाफ प्रतिवाद मार्च निकाला गया। मार्च का नेतृत्व किसान महासभा के जिला सचिव प्रेम कुमार झा एवं माले नेता अनिल कुमार सिंह ने किया।
जिला समाहरणालय के समक्ष पहूंच कर प्रर्दशन करते हुए सड़क जाम किया गया। जिला समाहरणालय के समक्ष सड़क जाम स्थल पर ही किसान महासभा के जिला अध्यक्ष महाकांत यादव की अध्यक्षता में हुए सभा को संबोधित करते हुए बिभिन्न बक्ताओं ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा पारित यह तीनों कृषि बिधेयक काला कानून है। कंपनी राज के तहत किसानों के गुलामी का दस्तावेज है। यह अध्यादेश अंग्रेजों के समय किसानों पर थोपे गए निलहा किसान बनाने की याद ताजा कर दिया है। संपूर्ण भारत में आज एक सौ से अधिक किसान संगठनों के लाखों लाख कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए है। मोदी नीतीश सरकार को किसान, मजदूर, और नौजवान,छात्र मीलकर उखाड़ फेंकने के लिए कमर कसकर उतर पड़े हैं। देश बेचू सरकार को जनता सबक सिखा कर रहेगी। सभा को किसान महासभा के जिला सचिव प्रेम कुमार झा, माले नेता अनिल कुमार सिंह,खेग्रामस जिला सचिव बेचन राम, माले नेता श्याम पंडित, दानी लाल यादव, शंकर पासवान, किसान महासभा के बिशंम्भर कामत, ने संबोधित किया। जबकि, राजेंद्र यादव, मनीष मिश्रा, सुनील पाठक,मनोज झा, मोहम्मद अकबर,उत्तम चंद्र झा,राम बृक्ष पासवान,सोनधारी राम, संतोष साह,हरे राम मंडल, लषण पासवान, बटोही पासवान,हरि राम सहित एक सौ लोगों ने भाग लिया।
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