गया के दशरथ मांझी ने अपने बल पर पहाड़ काटकर सड़क बना दी थी। लेकिन यहां की मंगुरा नदी पर पुल का निर्माण नहीं हो पा रहा था। तब घर-घर के लोग दशरथ मांझी बन गये। उन्होंने भी अपने बल पर जन सहयोग व श्रमदान के बल पर पुल खड़ा कर दिया है...
गया। जब सरकार नाकाम होती है तो जनता को खुद अपनी जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। तब वजीरगंज विधानसभा क्षेत्र के अमैठी पंचायत के बुधौल गांव के लोगों ने इस कथन को सच साबित कर दिया । चितरंजन कुमार उर्फ चिंटू भैया के नेतृत्व में मंगुरा नदी पर पुल का निर्माण करवाया गया। ग्रामीण स्थानीय विधायक, मंत्री एवं मुख्यमंत्री को आवेदन देकर थक गए तो ग्रामीणों ने खुद से निर्माण करने का निर्णय लिया। सर्वज्ञात है कि बिहार के गया की पहचान ऐसे तो स्वादिष्ट तिलकुट और विश्व प्रसिद्घ पर्यटकस्थल के लिए होती है, लेकिन यहां के लोग जीवटता के लिए भी चर्चित रहे हैं। इसी गया की चर्चा दशरथ मांझी के पहाड़ काटकर रास्ता बनाने को लेकर हुई थी, उसी गया के वजीरगंज के बुद्घौल गांव के ग्रामीणों ने श्रमदान और चंदा इकट्ठा कर एक पुलिया का निर्माण कर डाला। ग्रामीणों के मुताबिक, इस पुलिया के पाये का निर्माण तो 30 साल पहले हुआ था, लेकिन उसके बाद यह ऐसे ही पड़ा रहा। ग्रामीणों का कहना है कि 30 अगस्त को गांव में ही आमसभा हुई और पुलिस की तरफ से निर्माण कार्य शुरू करने का निर्णय लिया गया और दूसरे ही दिन काम शुरू कर दिया गया। बुधवार को इस पुलिया का निर्माण कार्य करीब-करीब पूरा भी कर लिया गया।
भासपा नेता ने पुल का शिलान्यास करते हुए सहयोग राशि के रूप में 50 हजार रुपए का दान भी दिया था। इस पुल के निर्माण से लोगों का आना-जाना आसान हो गया और इससे बुधौल वासियों के लिए एक नया अध्याय प्रारंभ होगा। माउंटेन मैन के नाम पर इस पुल का नामकरण करते हुए उन्होंने इसका नाम बाबा दशरथ मांझी सेतु रखा। बुद्घौल के रहने वाले रामनरेश प्रसाद कहते हैं, "इस पुल के निर्माण के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों, नेताओं और सरकार से मांग की जा चुकी , लेकिन आज तक ये पूरा नहीं हुआ। इसके बाद ग्रामीणों ने खुद ही आपसी सहयोग से इसे बनाने का फैसला लिया।" मंगुरा नदी पर बने इस पुल के संबंध में कहा जाता है कि, ऐसे तो नदी में पानी कम रहने के कारण लोग नदी पार कर लेते थे, लेकिन बरसात के दिनों में इस नदी का जलस्तर बढ़ जाने की वजह से लोगों की परेशानी बढ़ जाती थी।गांव के लोगों का कहना है कि पिछले वर्ष इस नदी में दो लोग बह गए थे। वजीरगंज के रहने वाले समाजसेवी चितरंजन कुमार बताते हैं कि तीन महीने पहले इस गांव के लोगों ने उनसे इस संबंध में बात की थी। उसी समय से इसकी पहल प्रारंभ की गई।उन्होंने कहा कि शुरू में गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर निर्माण कार्य के लिए कुछ सामान खरीदा और जो लोग चंदा देने में समर्थ नहीं थे, वे श्रमदान कर पुलिया निर्माण में जुटे। उन्होंने बताया कि बुधवार को ढलाई का कार्य संपन्न हुआ है, बचा निर्माण कार्य दो-चार दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह पुलिया वजीरगंज, अतरी विधानसभा को जोड़ती है, साथ ही मदरडीह और बुद्घौल गांव को भी जोड़ती है। उल्लेखनीय है कि गया के लौंगी भुइयां भी इन दिनों चर्चा में हैं। उन्होंने इमामगंज और बांकेबाजार की सीमा पर जंगल में बसे कोठीलवा गांव के लोगों की गरीबी दूर करने के लिए पांच किलोमीटर लंबी नहर खोद डाली।भुइयां ने 20 साल में पांच किलोमीटर लंबी, चार फुट चौड़ी व तीन फुट गहरी नहर की खुदाई कर किसानों के खेतों तक पानी पहुंचा दिया।
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