दरभंगा (आर्यावर्त संवाददाता) ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (लनामिवि) के संबद्ध महाविद्यालयों के शिक्षाकर्मियों के साथ लगातार शासन का सौतेला व्यवहार हो रहा है। एक तो वर्षों-वर्ष अनुदान सरकार द्वारा विमुक्त नहीं होता और जब होता भी है तो आधा-अधूरा। शिक्षा विभाग के निदेशक द्वारा जारी पत्र इस बात का सबूत है कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के संबद्ध महाविद्यालयों के साथ न्याय नहीं किया गया है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के शिक्षाकर्मियों के लिए सत्र 2009-12 के लिए अट्ठारह संबद्ध महाविद्यालयों को प्रथम किस्त की राशि विमुक्त की गई है उसमें भी एक चौथाई राशि बाकी रख लिया गया है। वही सत्र 2010 - 013 में मात्र 9 संबद्ध महाविद्यालयों को ही अनुदान विमुक्त किया गया है। उसमें भी आधी से भी कम राशि विमुक्त की गई है। आधी से अधिक राशि शेष रह गई है। वही बगल के विश्वविद्यालय में सारी राशि विमुक्त की गई है। मैं शिक्षा विभाग के निदेशक से जानना चाहता हूं की राशि वितरण में ऐसा क्यों हुआ है कि एक विश्वविद्यालय को सारी राशि विमुक्त हुई है और दूसरे विश्वविद्यालय को आधी से अधिक राशि शेष रख लिया गया है। सत्र 2009-2012 में मिथिला विश्वविद्यालय के 18 महाविद्यालय को अनुदान दिया गया। वही सत्र 2010-13 में मात्र 9 संबद्ध महाविद्यालय को ही क्यों अनुदान दिया गया। किसी कागज की कमी थी तो अनुदान के बाद भी मांगा जा सकता था। जिस विश्वविद्यालय में संबद्ध महाविद्यालयों की संख्या अधिक होगी वहाँ निश्चित रूप से अनुदान की राशि बढ़ेगी।
आज इस संबंध में प्रोफेसर चौधरी ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल निशिथ राय से वार्ता की तथा उनसे कहा कि जिन-जिन कॉलेजों की अनुदान राशि आ गई है उनका अनुदान राशि विमुक्त किया जाए और बचे हुए महाविद्यालयों के लिए निदेशक से तुरंत बात कर आवश्यक कागजात उन्हें भेजा जाए। सूत्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय द्वारा सभी महाविद्यालयों के सभी कागजात शिक्षा विभाग को पूर्व में ही भेजा गया था और 9 महाविद्यालय की अनुदान राशि विमुक्त नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।। शिक्षा विभाग ने जिन संबद्ध महाविद्यालयों का अनुदान रोका है उसमें बड़े-बड़े संबद्ध महाविद्यालय है। जिनके संबंध में कोई भी प्रश्न उठाना सर्वथा अनुचित होगा। सरकार द्वारा भेजे गए पत्र में 9 महाविद्यालयों में जिन कागजातों की कमी बताई है वह सारे कागजात शिक्षा विभाग के पास पूर्व से ही उपलब्ध होने चाहिए और जहाँ कहीं भी कुलसचिव के हस्ताक्षर नहीं होने की बात कही गई है। उसके लिए विश्वविद्यालय जिम्मेवार है महाविद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी उसके लिए कहीं से जिम्मेवार नहीं है।बार-बार एक ही कागज की मांग स्पष्ट बताता है कि सरकार की नियत सही नहीं है। सरकार तुरंत बाकी महाविद्यालयों के लिए भी अनुदान राशि विमुक्त करें। बार-बार शिक्षा विभाग द्वारा जांच के नाम पर अनुदान की राशि विमुक्त नहीं किए जाने से इन शिक्षाकर्मियों में आक्रोश बढ़ रहा और यह आक्रोश आंदोलन का भी रूप ले सकता है। डॉ नागेंद्र झा महिला महाविद्यालय लहेरियासराय, गोकुल कर्पूरी कॉलेज ताजपुर, के०आस०आर कॉलेज सरायरंजन, पार्वती लक्ष्मी महाविद्यालय झंझारपुर, डी एन वाई कॉलेज मधुबनी इत्यादि महाविद्यालयों का भी अनुदान रोक दिया गया है। जबकि इन महाविद्यालय पर किसी तरह से उंगली नहीं उठाई सकती है। अतः माननीय मुख्यमंत्री जी से मांग है कि तुरंत रोके गए महाविद्यालय का अनुदान शिक्षा विभाग से निर्गत कराएं।।
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